NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 Tantara Vamiro Katha

कक्षा 10 हिंदी पाठ – 12 तताँरा वामीरो कथा (Tantara Vamiro Katha)

Tantara Vamiro Katha Class 10 Hindi Chapter 12 (तताँरा वामीरो कथा)

Tantara Vamiro Katha summary of  CBSE Class 10 Hindi lesson along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson तताँरा वामीरो कथा , all the exercises and Question and Answers given here

लेखक परिचय

लेखक – लीलाधर मंडलोई
जन्म – 1954 (छिंदवाड़ा -गुढ़ी)

पाठ प्रवेश – Tantara Vamiro Katha Chapter

Introduction

जो सभ्यता जितनी अधिक पुरानी होगी उतनी ही अधिक किस्से -कहानियाँ उससे जुड़ी होती है जो हमें सुनने को मिलती हैं। जो किस्से – कहानियाँ हमें सुनने को मिलती हैं जरुरी नहीं कि वो उसी तरह घटित हुई हो जिस तरह वो हमें सुनाई जा रही हों।इतना जरूर होता है कि इन किस्सों और कहानियों में कोई न कोई सीख छुपी होती है। अंदमान निकोबार द्वीपसमूह में भी बहुत तरह के किस्से – कहानियाँ मशहूर हैं। इनमें से कुछ को लीलाधर मंडलोई ने लिखा है।

प्रस्तुत पाठ ‘तताँरा वामीरो कथा’ अंडमान निकोबार द्वीप समूह के एक छोटे से द्वीप पर केंद्रित है। उस द्वीप पर एक -दूसरे से शत्रुता का भाव अपनी अंतिम सीमा पर पहुँच चूका था। इस शत्रुता की भावना को जड़ से उखाड़ने के लिए एक जोड़े को आत्मबलिदान देना पड़ा था। उसी जोड़े के बलिदान का वर्णन लेखक ने प्रस्तुत पाठ में किया है।

प्यार सबको एक साथ लाता है और नफरत सब के बीच दूरियों को बढ़ाती है,इस बात से भला कौन इनकार कर सकता है। इसलिए जो कोई भी समाज के लिए अपने प्यार का ,अपने जीवन का बलिदान करता है ,समाज न केवल उसे याद रखता है बल्कि उसके द्वारा किये गए त्याग और बलिदान को बेकार नहीं जाने देता। यही वह कारण है जिसकी वजह से तत्कालीन समाज के सामने मिसाल कायम करने वाले इस जोड़े को आज भी इस द्वीप के निवासी गर्व और श्रद्धा से याद करते हैं।

Tantara Vamiro Katha Summary पाठ सार

प्रस्तुत पाठ ‘तताँरा वामीरो कथा’ अंडमान निकोबार द्वीप समूह के एक छोटे से द्वीप पर केंद्रित है। उस द्वीप पर एक -दूसरे से शत्रुता का भाव अपनी अंतिम सीमा पर पहुँच चूका था। इस शत्रुता की भावना को जड़ से उखाड़ने के लिए एक जोड़े को आत्मबलिदान देना पड़ा था। उसी जोड़े के बलिदान का वर्णन लेखक ने प्रस्तुत पाठ में किया है।

बहुत समय पहले ,जब लिटिल अंदमान और कार -निकोबार एक साथ जुड़े हुए थे ,तब वहाँ एक बहुत सुंदर गाँव हुआ करता था। उसी गाँव के पास में ही एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। जिसका नाम तताँरा था। निकोबार के सभी व्यक्ति उससे बहुत प्यार करते थे। इसका एक कारण था कि तताँरा एक भला और सबकी मदद करने वाला व्यक्ति था।जब भी कोई मुसीबत में होता तो हर कोई उसी को याद करता था और वह भी भागा -भागा वहाँ उनकी मदद करने के लिए पहुँच जाता था।

तताँरा हमेशा अपनी पारम्परिक पोशाक ही पहनता था और हमेशा अपनी कमर में एक लकड़ी की तलवार को बाँधे रखता था। लोगों का मानना था कि उस तलवार में लकड़ी की होने के बावजूद भी अनोखी दैवीय शक्तियाँ हैं। तताँरा कभी भी अपनी तलवार को अपने से अलग नहीं करता था। वह दूसरों के सामने तलवार का प्रयोग भी नहीं करता था।  तताँरा की तलवार जिज्ञासा पैदा करने वाला एक ऐसा राज था जिसको कोई नहीं जानता था।

एक शाम को तताँरा दिन भर की कठोर मेहनत करने के बाद समुद्र के किनारे घूमने के लिए चल पड़ा।समुद्र से ठंडी ठंडी हवाएँ आ रही थी। शाम के समय पक्षियों की जो चहचहाहटें होती हैं वे भी धीरे -धीरे शांत हो रही थी। अपने ही विचारों में खोया हुआ तताँरा समुद्री बालू पर बैठ कर सूरज की आखरी किरणों को समुद्र के पानी पर देख रहा था जो बहुत रंग -बिरंगी लग रही थी। तभी कहीं से उसे मधुर संगीत सुनाई दिया जो उसी के आस पास कोई गा रहा था।तताँरा बैचेन मन से उस दिशा की ओर बढ़ता गया। आखिरकार तताँरा की नज़र एक युवती पर पड़ी उस युवती को यह पता नहीं था कि कोई युवक उसे बिना कुछ बोले बस देखता जा रहा है। उसी समय अचानक एक ऊँची लहर उठी और उसको भिगो कर चली गई। इस तरह अचानक भीगने से वह युवती हड़बड़ा गई और अपना गाना भूल गई। तताँरा ने बहुत ही विनम्र तरीके से उस युवती से पूछा ‘तुमने अचानक इतना सुरीला और अच्छा गाना अधूरा ही क्यों छोड़ दिया ?’

अपने सामने एक सुंदर युवक को देख कर वह युवती आश्चर्यचकित हो गई।उसने नकली नाराजगी दिखाते हुए उत्तर दिया।

“पहले ये बताओ कि तुम कौन हो,मुझे इस तरह क्यों देख रहे हो और इस तरह के अनुचित या बेकार के प्रश्न पूछने का क्या कारण है ?”

तताँरा बार- बार अपना प्रश्न दोहराता रहा। तताँरा के बार – बार एक ही प्रश्न को दोहराने के कारण युवती चिढ़ गई। युवती ने कहा -आखिर मैं गीत क्यों गाऊं अर्थात मैं तुम्हारी बात क्यों मानूं ?क्या उसे गाँव का नियम नहीं मालूम कि एक गाँव का व्यक्ति दूसरे गाँव के व्यक्ति से बात नहीं कर सकता ? इतना कह कर वह युवती जाने के लिए तेज़ी से मुड़ी। उसके मुड़ते ही मानो तताँरा को कुछ होश आया। अब उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा था। तताँरा उस युवती के सामने चला गया और उसका रास्ता रोक कर लाचारी के साथ प्रार्थना करने लगा कि तुम बस अपना नाम बता दो मैं तुम्हें जाने दूंगा। तताँरा द्वारा नाम पूछे जाने पर युवती ने जवाब दिया ” वामीरो ” यह नाम सुनना तताँरा को ऐसा लगा जैसे उसके कानों में किसी ने रस घोल दिया हो। तताँरा ने वामीरो से कहा कि कल वह वही चट्टान पर उसकी प्रतीक्षा करेगा । वह वामीरो को जरूर आने के लिए कहता है।

वामीरो ने तताँरा के बारे में बहुत सी कहानियाँ सुनी थी। उसकी सोच में तताँरा एक बहुत ही शक्तिशाली युवक था। परन्तु वही तताँरा जब वामीरो के सामने आया तो बिलकुल अलग ही रूप में था। वह सुंदर और शक्तिशाली तो था ही साथ ही साथ वह बहुत शांत ,समझदार और सीधा साधा था। वह बिलकुल वैसा ही था जैसा वामीरो अपने जीवन साथी के बारे में सोचती थी। परन्तु दूसरे गाँव के युवक के साथ उसका सम्बन्ध रीति रिवाजों के विरुद्ध था। इसलिए वामीरो ने तताँरा को भूल जाना ही समझदारी समझा। परन्तु यह आसान नहीं लग रहा था क्योकि तताँरा बार -बार उसकी आँखों के सामने आ रहा था जैसे वह बिना पलकों को झपकाए उसकी प्रतीक्षा कर रहा हो।

तताँरा दिन ढलने से बहुत पहले ही लपाती गाँव की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच गया था जहाँ उसने वामीरो को आने के लिए कहा था। वामीरो के इन्तजार में उसे हर एक पल बहुत अधिक लम्बा लग रहा था। उसके अंदर एक शक भी पैदा हो गया था कि अगर वामीरो आई ही नहीं तो।उसके पास प्रतीक्षा करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। वामीरो तताँरा से मिलने आए गई।

तताँरा और वामीरो अब हर रोज उसी जगह मिलने लगे। लपाती के कुछ युवकों को इस प्रेम के बारे में पता चल गया और ये खबर हवा की तरह हर जगह फैल गई। वामीरो लपाती गाँव की रहने वाली थी और तताँरा पासा गाँव का। दोनों का सम्बन्ध किसी भी तरह संभव नहीं था। क्योंकि रीतिरिवाज़ के अनुसार दोनों के सम्बन्ध के लिए दोनों का एक ही गाँव का होना जरुरी था।  

कुछ समय के बाद पासा गाँव में ‘पशु पर्व ‘का आयोजन किया गया। पशु पर्व में हटे -कटे पशुओं के दिखावे के अलावा पशुओं से युवकों की शक्ति परखने की प्रतियोगितायें भी होती थी। तताँरा का मन इन में से किसी भी कार्यक्रम में नहीं लग रहा था। उसकी परेशान आँखे तो वामीरों को ढूंढने में व्यस्त थी।जब तताँरा ने वामीरो को देखा तो उसकी आँखें नमी से भरी थी और उसके होंठ डर कर काँप रहे थे। तताँरा को देखते ही वामीरो फुट -फुटकर रोने लगी। तताँरा इस तरह वामीरो को रोता देखकर भावुक हो गया। वामीरो के रोने की आवाज सुनकर वामीरो की माँ वहाँ आ गई और दोनों को एक साथ देख कर गुस्सा हो गई। उसने तताँरा को कई तरह से अपमानित करना शुरू कर दिया। गाँव वाले भी तताँरा के विरोध में बोलने लगे।  लोगो की बातों को सुनना अब तताँरा के लिए सहन कर पाना मुश्किल हो रहा था।अचानक उसका हाथ उसकी तलवार पर आकर टिक गया। गुस्से से उसने तलवार निकली।  उसने अपने गुस्से को शांत करने के लिए अपनी पूरी शक्ति से तलवार को धरती में गाड़ दिया और अपनी पूरी ताकत से उसे खींचने लगा ।जो लकीर तताँरा ने खींची थी उस लकीर की सीध में धरती फटती जा रही थी।तताँरा द्वीप के एक ओर था और वामीरो दूसरी ओर। तताँरा को जैसे ही होश आया ,उसने देखा कि द्वीप के जिस ओर वह है वो टुकड़ा समुद्र में धँसने लगा है। अब वह तड़पने लगा, वह छलांग लगा कर दूसरी ओर जाना चाहता था परन्तु उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और वह निचे की ओर फिसलने लगा।वह उस कटे हुए द्वीप के उस आखरी भू -भाग पर बेहोश पड़ा हुआ था जो संयोगवश उस द्वीप से जुड़ा हुआ था। बहता हुआ तताँरा कहा गया ,उसके बाद उसका क्या हुआ ये कोई नहीं जान सका। इधर वामीरो तताँरा से अलग होने के कारण पागल हो गई। वह हर समय बस तताँरा को ही खोजती रहती और उसी जगह आकर घंटों बैठी रहती जहाँ वो तताँरा से मिलने आया करती थी। उसने खाना -पीना छोड़ दिया था। परिवार से वह कही अलग हो गई। लोगो ने उसे ढूंढ़ने की बहुत कोशिश की परन्तु अब वामीरो का भी कोई सुराग नहीं मिला कि वह कहा गई।

आज ना तो तताँरा है और ना ही वामीरो है,परन्तु फिर भी आज उनकी प्रेमकथा हर घर में सुनाई जाती है। निकोबार के निवासियों का मानना है कि तताँरा की तलवार से कार -निकोबार के जो दो टुकड़े हुए, उसमे से दूसरा टुकड़ा आज लिटिल अंदमान के नाम से प्रसिद्ध है जो कार -निकोबार से 96 कि.मी. दूर स्थित है।निकोबार निवासीयों ने इस घटना के बाद अपनी परम्परा को बदला और दूसरे गाँव में भी विवाह सम्बन्ध बनने लगे। तताँरा – वामीरो की जो एक -दूसरे के लिए त्यागमयी मृत्यु थी वह शायद इसी सुखद बदलाव के लिए थी।

Tantara Vamiro Katha Explanation पाठ व्याख्या

अंदमान द्वीप समूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप है लिटिल अंदमान। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह की श्रृंखला आरम्भ होती है जो निकोबारी जनजाति की आदिम संस्कृति के केंद्र हैं। निकोबार द्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप है कार -निकोबार जो लिटिल अंदमान से 96 कि.मी. दूर है। निकोबारियों का विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने की एक लोककथा है,जो आज भी दोहराई जाती है।

अंतिम – आखरी
पोर्ट ब्लेयर – अंदमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी
श्रृंखला – सीमा
आदिम – प्राचीन
विभक्त – अलग -अलग

(लेखक अंदमान -निकोबार के बारे में जानकारी दे रहा है)

अंदमान द्वीप समूह का आखरी द्वीप लिटिल अंदमान है जो अंदमान के दक्षिण में स्थित है। यह अंदमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर है। इसके बाद ही निकोबार द्वीपसमूह की सीमा शुरू होती है। ये जगह निकोबारी जनजाति की प्राचीन संस्कृति का केंद्र मानी जाती है।निकोबार द्वीपसमूह का जो पहला द्वीप है उसे कार – निकोबार के नाम से जाना जाता है जो लिटिल अंदमान से लगभग 96 किलोमीटर दूर है। निकोबार के निवासियों का मानना है कि पुराने समय में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके अलग -अलग होने के पीछे एक लोककथा बताई जाती है ,जिसका वर्णन आज भी वहाँ के लोग करते हैं।

सदियों पूर्व ,जब लिटिल अंदमान और कार -निकोबार आपस में जुड़े हुए थे तब वहाँ एक सुंदर सा गाँव था। पास में एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। उसका नाम था तताँरा। निकोबारी उससे बेहद प्रेम करते थे। तताँरा एक नेक और मददगार व्यक्ति था। सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहता। अपने गाँव वालों को ही नहीं ,अपितु समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझता था। उसके इस त्याग की वजह से वह चर्चित था। सभी उसका आदर करते। वक्त मुसीबत में उसे स्मरण करते और वह भागा -भागा वहाँ पहुँच जाता।

सदियों पूर्व – बहुत समय पहले
सदैव – हमेशा
तत्पर – तैयार
समूचे – सारे
स्मरण – याद

(लेखक ने कहानी की शुरुआत तताँरा के व्यवहार का वर्णन करने से की है)

बहुत समय पहले ,जब लिटिल अंदमान और कार -निकोबार एक साथ जुड़े हुए थे ,तब वहाँ एक बहुत सुंदर गाँव हुआ करता था। उसी गाँव के पास में ही एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। जिसका नाम तताँरा था। निकोबार के सभी व्यक्ति उससे बहुत प्यार करते थे। इसका एक कारण था कि तताँरा एक भला और सबकी मदद करने वाला व्यक्ति था। वह हमेशा ही दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहता था। वह केवल अपने गाँव वालों की ही नहीं बल्कि पुरे द्वीपवासियों की सेवा या मदद करना अपना सबसे बड़ा कर्तव्य समझता था। उसके इसी त्याग भाव की वजह से लोग उसे जानते थे और सभी उसका आदर भी करते थे। जब भी कोई मुसीबत में होता तो हर कोई उसी को याद करता था और वह भी भागा -भागा वहाँ उनकी मदद करने के लिए पहुँच जाता था।

दूसरे गाँव में भी पर्व -त्योहारों के समय उसे विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता। उसका व्यक्तित्व तो आकर्षक था ही ,साथ ही आत्मीय स्वभाव की वजह से लोग उसके करीब रहना चाहते। पारम्परिक पोशाक के साथ वह अपनी कमर में सदैव एक लकड़ी की तलवार बाँधे रहता। लोगों का मत था ,बावजूद लकड़ी की होने पर, उस तलवार में अद्भुत दैवीय शक्ति थी। तताँरा अपनी तलवार को कभी अलग न होने देता। उसका दूसरों के सामने उपयोग भी न करता। किन्तु उसके चर्चित साहसिक कारनामों के कारण लोग -बाग तलवार में अद्भुत शक्ति का होना मानते थे। तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।

विशेष – मुख्य
आमंत्रित – बुलाना
आत्मीय – अपना
अद्भुत – अनोखी
साहसिक कारनामें – सहस से पूर्ण कार्य
विलक्षण – जिज्ञासा उत्पन्न करने वाला
रहस्य – राज,जो कोई न जानता हो

(यहाँ लेखक तताँरा के व्यक्तित्व का वर्णन कर रहा है)

दूसरे गाँव में भी जब कोई पर्व या त्यौहार होता तो तताँरा को उसमें मुख्य रूप से बुलाया जाता था। उसका व्यक्तित्व तो आकर्षक था ही उसके साथ ही साथ लोगों का उसके करीब रहने का एक सबसे बड़ा कारण था उसका सबको अपना मानने का स्वभाव। तताँरा हमेशा अपनी पारम्परिक पोशाक ही पहनता था और हमेशा अपनी कमर में एक लकड़ी की तलवार को बाँधे रखता था। लोगों का मानना था कि उस तलवार में लकड़ी के होने के बावजूद भी अनोखी दैवीय शक्तियाँ हैं। तताँरा कभी भी अपनी तलवार को अपने से अलग नहीं करता था। वह दूसरों के सामने तलवार का प्रयोग भी नहीं करता था। परन्तु उसके सहस से पूर्ण कार्यों के कारण लोगों का तलवार में अनोखी शक्ति होने पर विश्वास था। तताँरा की तलवार जिज्ञासा पैदा करने वाला एक ऐसा राज था जिसको कोई नहीं जानता था।

एक शाम तताँरा दिन भर के अथक परिश्रम के बाद समुद्र किनारे टहलने निकल पड़ा। सूरज समुद्र से लगे क्षितिज तले डूबने को था। समुद्र से ठंडी बयारें आ रही थी। पक्षियों की सांयकालीन चहचहाहटें शनैः शनैः क्षीण होने को थीं। उसका मन शांत था। विचारमग्न तताँरा समुद्री बालू पर बैठ कर सूरज की अंतिम रंग -बिरंगी किरणों को समुद्र पर निहारने लगा। तभी कहीं पास से उसे मधुर गीत गूँजता सुनाई दिया। गीत मानों बहता हुआ उसकी तरफ़ आ रहा हो। बीच -बीच में लहरों का संगीत सुनाई देता।

अथक – कठोर
क्षितिज – जहाँ धरती और आसमान मिलते हुए प्रतीत हों
बयारें – हवाएँ
शनैः शनैः – धीरे धीरे

एक शाम को तताँरा दिन भर की कठोर मेहनत करने के बाद समुद्र के किनारे घूमने के लिए चल पड़ा। समुद्र में जहाँ धरती और आसमान के मिलने का आभास हो रहा था, वहाँ सूरज डूबने वाला था। समुद्र से ठंडी ठंडी हवाएँ आ रही थी। शाम के समय पक्षियों की जो चहचहाहटें होती हैं वे भी धीरे -धीरे शांत हो रही थी। तताँरा का मन भी शांत था। अपने ही विचारों में खोया हुआ तताँरा समुद्री बालू पर बैठ कर सूरज की आखरी किरणों को समुद्र के पानी पर देख रहा था जो बहुत रंग -बिरंगी लग रही थी। तभी कहीं से उसे मधुर संगीत सुनाई दिया जो उसी के आस पास कोई गा रहा था। ऐसा लग रहा था कि गीत उसी के ओर बहता हुआ आ रहा हो। बीच -बीच में समुद्र की लहरों का संगीत भी सुनाई पड़ता था।

गायन इतना प्रभावी था कि वह अपनी सुध बुध खोने लगा। लहरों के एक प्रबल वेग ने उसकी तन्द्रा भंग की। चैतन्य होते ही वह उधर बढ़ने को विवश हो उठा जिधर से अब भी गीत के स्वर बह रहे थे। वह विकल सा उस तरफ बढ़ता गया। अंततः उसकी नजर एक युवती पर पड़ी जो ढलती हुई शाम के सौंदर्य में बेसुध,एकटक समुद्र की देह पर डूबते आकर्षक रंगों को निहारते हुए गा रही थी। यह एक श्रृंगार गीत था।

गायन – गीत
सुध बुध – होश हवास
तन्द्रा – नींद आने से पहले की अवस्था
चैतन्य – होश में आना
विवश – मजबूर
विकल – बैचेन
बेसुध – जिसे कोई ख़बर न हो

जो गीत तताँरा को सुनाई दे रहा था, वह इतना अधिक प्रभावी था कि तताँरा उस गीत को सुन कर अपना होश हवास खोने लगा था। गीत सुनते हुए तताँरा की अवस्था ऐसी हो गई थी जैसी अवस्था नींद आने से पहले होती है, इस अवस्था को लहरों की एक तेज़ लहर ने तोड़ा। होश में आते ही तताँरा उस दिशा में बढ़ने के लिए मजबूर हो गया जहाँ से वो गीत सुनाई दे रहा था। तताँरा बैचेन मन से उस दिशा की ओर बढ़ता गया। आखिरकार तताँरा की नज़र एक युवती पर पड़ी उस ढलती हुई शाम के सुंदर दृश्य को बिना किसी ख़बर के कि आस पास क्या हो रहा है, वह युवती एकटक नजर से समुद्र के ऊपर पड़ते हुए सूरज की किरणों के सुंदर रंगों को देख कर गाना गा रही थी। यह एक प्रेम भरा गीत था।

उसे ज्ञात ही न हो सका कि कोई अजनबी युवक उसे निःशब्द ताके जा रहा है। एकाएक एक ऊँची लहर उठी और उसे भिगो गई। वह हड़बड़ाहट में गाना भूल गई। इसके पहले कि वह सामान्य हो पाती, उसने अपने कानों में गूँजती गंभीर आकर्षक आवाज़ सुनी।
“तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया?” तताँरा ने विनम्रतापूर्वक कहा।
अपने सामने एक सुन्दर युवक को देखकर वह विस्मित हुई। उसके भीतर किसी कोमल भावना का संचार हुआ। किन्तु अपने को संयतकर उसने बेरुखी के साथ जवाब दिया।
“पहले बताओ!तुम कौन हो ,इस तरह मुझे घूरने और इस असंगत प्रश्न का कारण ? अपने गाँव के अलावा किसी और गाँव के युवक के प्रश्नों का उत्तर देने को मैं बाध्य नहीं। यह तुम भी जानते हो।”

निःशब्द – जो कुछ न बोल रहा हो

विस्मित – आश्चर्यचकित
बेरुखी – नाराजगी
असंगत – अनुचित
बाध्य – विवश

उस युवती को यह पता नहीं था कि कोई युवक उसे बिना कुछ बोले बस देखता जा रहा है। उसी समय अचानक एक ऊँची लहर उठी और उसको भिगो कर चली गई। इस तरह अचानक भीगने से वह युवती हड़बड़ा गई और अपना गाना भूल गई। इससे पहले कि वो अपने आपको सम्भाल पाती उसे एक आकर्षक परन्तु भारी  आवाज़ सुनाई दी।
तताँरा ने बहुत ही विनम्र तरीके से उस युवती से पूछा ‘तुमने अचानक इतना सुरीला और अच्छा गाना अधूरा ही क्यों छोड़ दिया ?’
अपने सामने एक सुंदर युवक को देख कर वह युवती आश्चर्यचकित हो गई। उसे ऐसा लगा जैसे उसके अंदर एक कोमल भाव बहने लगा हो। परन्तु अपने आपको सम्भालते हुए उसने नकली नाराजगी दिखाते हुए उत्तर दिया।
“पहले ये बताओ कि तुम कौन हो,मुझे इस तरह क्यों देख रहे हो और इस तरह के अनुचित या बेकार के प्रश्न पूछने का क्या कारण है ?ये बात तुम भी जानते हो कि अपने गाँव के आलावा मैं किसी दूसरे गाँव के व्यक्ति के प्रश्नो के उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं हूँ।”

तताँरा मानो सुध बुध खोए हुए था। जवाब देने के स्थान पर उसने पुनः अपना प्रश्न दोहराया। “तुमने गाना क्यों रोक दिया? गाओ, गीत पूरा करो। सचमुच तुमने बहुत सुरीला कण्ठ पाया है। “
“यह तो मेरे प्रश्न का उत्तर ना हुआ?” युवती ने कहा।
“सच बताओ तुम कौन हो?लपाती गाँव में तुम्हें कभी देखा नहीं। “
तताँरा मानो सम्मोहित था। उसके कानों में युवती की आवाज़ ठीक से पहुँच न सकी। उसने पुनः विनय की ,”तुमने गाना क्यों रोक दिया ? गाओ न ?”

सम्मोहित – मुग्ध किया हुआ
विनय – प्रार्थना

(यहाँ लेखक वर्णन कर रहा है कि तताँरा किस तरह अपने होश हवास खोए हुए था)

ऐसा लग रहा था मानो तताँरा अपने होश हवास में नहीं था। युवती के प्रश्न का जवाब देने की जगह वह अपने ही प्रश्न को दोहराए जा रहा था कि तुमने गाना क्यों रोक दिया ? गाओ न, अपना गीत पूरा करो। तुमने सच में बहुत सुरीला कण्ठ पाया है ,तुम बहुत अच्छा गाना गाती हो।
तताँरा के दूसरी बार वही प्रश्न दोहराने पर युवती ने कहा कि “ये तो मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं है। सच बताओ कि तुम कौन हो ? लपाती गाँव में तो तुम्हें कभी देखा नहीं। “
तताँरा तो मानो उस गीत को सुन कर मुग्ध हो रखा था। उसके कानों तक युवती की आवाज़ ठीक से पँहुची ही नहीं। वह फिर से युवती से प्रार्थना करने लगा कि “तुमने गाना क्यों रोक दिया ? गाओ न। “

युवती झुँझला उठी। वह कुछ और सोचने लगी। अंततः उसने निश्चयपूर्वक एक बार पुनः लगभग विरोध करते हुए कड़े शब्दों में कहा।
“ढीठता की हद है। मैं जब से परिचय पूछ रही हूँ और तुम बस एक ही राग अलाप रहे हो। गीत गाओ – गीत गाओ ,आखिर क्यों ? क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम ?” इतना बोलकर वह जाने के लिए तेज़ी से मुड़ी। तताँरा को मानो कुछ होश आया। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। वह उसके सामने रास्ता रोक कर ,मानो गिड़गिड़ाने लगा।
“मुझे माफ़ कर दो। जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। तुम्हें देख कर मेरी चेतना लुप्त हो गई थी। मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूँगा। बस अपना नाम बता दो। ” तताँरा ने विवशता में आग्रह किया। उसकी आँखे युवती के चेहरे पर केंद्रित थीं। उसके चहरे पर सच्ची विनय थी।

झुँझला – चिढ़ना
ढीठता – दुःसाहस
विचलित – अस्थिर
विवशता – लाचारी

तताँरा के बार – बार एक ही प्रश्न को दोहराने के कारण युवती चिढ़ गई। वह कुछ और सोचने लगी क्योंकि तताँरा कुछ सुन नहीं रहा था । वह बस एक ही प्रश्न को बार -बार दोहरा रहा था। युवती ने एक बार फिर विपरीत स्वभाव के साथ कठोर शब्दों में कहा कि दुःसाहस की भी एक सीमा होती है। क्योंकि युवती बार -बार तताँरा से उसका परिचय पूछ रही थी और तताँरा एक ही प्रश्न को बार -बार दोहरा रहा था कि गीत गाओ – गीत गाओ। युवती ने कहा -आखिर मैं गीत क्यों गाऊं अर्थात मैं तुम्हारी बात क्यों मानूं ?क्या उसे गाँव का नियम नहीं मालूम कि एक गाँव का व्यक्ति दूसरे गाँव के व्यक्ति से बात नहीं कर सकता ? इतना कह कर वह युवती जाने के लिए तेज़ी से मुड़ी। उसके मुड़ते ही मानो तताँरा को कुछ होश आया। अब उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा था। तताँरा उस युवती के सामने चला गया और उसका रास्ता रोक कर मानो उससे विनती करने लगा कि वह उसे माफ़ कर दे  क्योंकि जीवन में पहली बार वो इस तरह अस्थिर हुआ है जहाँ उसे कोई होश ही नहीं रहा। तताँरा को ऐसा लगता है कि उस युवती को देख कर ऐसा हुआ है। तताँरा लाचारी के साथ प्रार्थना करने लगा कि तुम बस अपना नाम बता दो मैं तुम्हें जाने दूंगा। तताँरा की आँखे युवती के चेहरे से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। प्रार्थना करते हुए तताँरा के चेहरे पर सच्चाई दिखाई दे रही थी।

“वा…. मी….. रो…..” एक रस घोलती आवाज उसके कानों में पहुंची।
“वामीरो…. वा…. मी…. रो…. वाह कितना सुंदर नाम है। कल भी आओगी न यहाँ ?तताँरा ने याचना भरे स्वर में कहा।
“नहीं…. शायद…… कभी नहीं।” वामीरो ने अन्यमनस्कतापूर्वक कहा और झटके से लपाती की तरफ़ बेसुध सी दौड़ पड़ी। पीछे तताँरा के वाक्य गूँज रहे थे।
“वामीरो… मेरा नाम तताँरा है। कल मैं इसी चटान पर प्रतीक्षा करूँगा…..तुम्हारी बाट जोहूंगा…… जरूर आना…”
वामीरो रुकी नहीं ,भागती ही गई। तताँरा उसे जाते हुए निहारता रहा।

याचना – प्रार्थना  
अन्यमनस्कतापूर्वक – बिना सोचे समझे
निहारना – देखना

तताँरा द्वारा नाम पूछे जाने पर युवती ने जवाब दिया ” वामीरो ” यह नाम सुनना तताँरा को ऐसा लगा जैसे उसके कानों में किसी ने रस घोल दिया हो। तताँरा बार -बार नाम को दोहराने लगा “वामीरो…. वामीरो…. वाह कितना सुंदर नाम है। ” तताँरा प्रार्थना भरे शब्दों में पूछने लगा कि वह कल भी आएगी या नहीं। वामीरो ने बिना सोचे समझे ही कह दिया ” नहीं शायद कभी नहीं ” इतना कह कर वह झटके से अपने गाँव लपाती की ओर बिना किसी की परवाह किये दौड़ पड़ी। उसे पीछे तताँरा के वाक्य सुनाई पड़ रहे थे। तताँरा कह रहा था कि वामीरो…. उसका नाम तताँरा है। कल वह वही चट्टान पर उसकी प्रतीक्षा करेगा ,उसका रास्ता देखेगा। वह वामीरो को जरूर आने के लिए कहता है। वामीरो बिना रुके भागती रही। तताँरा उसे जाते हुए देखता ही रहा।

वामीरो घर पहुँच कर भीतर ही भीतर कुछ बैचेनी महसूस करने लगी। उसके भीतर तताँरा से मुक्त होने की एक झूठी झटपटाहट थी। एक झल्लाहट में उसने दरवाजा बंद किया और मन को किसी और दिशा में ले जाने का प्रयास किया। बार -बार तताँरा का याचना भरा चेहरा उसकी आँखों में तैर जाता। उसने तताँरा के बारे में कई कहानियां सुन रखी थी। उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था। किन्तु वही तताँरा उसके सम्मुख एक अलग रूप में आया। सुंदर ,बलिष्ठ किन्तु बेहद शांत ,सभ्य और भोला। उसका व्यक्तित्व कदाचित वैसा ही था जैसा वह अपने जीवन साथी के बारे में सोचती रही थी। किन्तु एक दूसरे गाँव के युवक के साथ यह सम्बन्ध परम्परा के विरुद्ध था। अतएव उसने उसे भूल जाना ही श्रेयस्कर समझा। किन्तु यह असंभव जान पड़ा। तताँरा बार -बार उसकी आँखों के सामने था। निर्निमेष याचक की तरह प्रतीक्षा में डूबा हुआ।

 झल्लाहट – बौखलाहट

सम्मुख – सामने
बलिष्ठ – बलवान
परम्परा – रीति रिवाज
श्रेयस्कर – कल्याणकर
निर्निमेष – बिना पालक झपकाए

(यहाँ लेखक ने तताँरा से मिलने के बाद वामीरो की स्थिति का वर्णन किया है )

जब वामीरो अपने घर पहुँची तो अपने अंदर कुछ बैचेनी का अनुभव करने लगी। उसके अंदर तताँरा से पीछा छुड़ाने की जो ख़ुशी थी वह झूठी थी। बौखलाहट में उसने दरवाजा बंद किया और अपने मन को तताँरा की ओर जाने से रोकने के लिए किसी और दिशा में ले जाने की कोशिश की। परन्तु बार -बार कोशिश करने के बाद भी तताँरा का प्रार्थना से भरा हुआ चेहरा उसकी आँखों के सामने आ जाता था। उसने तताँरा के बारे में बहुत सी कहानियाँ सुनी थी।

उसकी सोच में तताँरा एक बहुत ही अधिक शक्तिशाली युवक था। परन्तु वही तताँरा जब वामीरो के सामने आया तो बिलकुल अलग ही रूप में था। वह सुंदर और शक्तिशाली तो था ही साथ ही साथ वह बहुत शांत ,समझदार और सीधा साधा था। वह बिलकुल वैसा ही था जैसा वामीरो अपने जीवन साथी के बारे में सोचती थी। परन्तु दूसरे गाँव के युवक के साथ उसका सम्बन्ध रीति रिवाजों के विरुद्ध था। इसलिए वामीरो ने तताँरा को भूल जाना ही समझदारी समझा। परन्तु यह आसान नहीं लग रहा था क्योकि तताँरा बार -बार उसकी आँखों के सामने आ रहा था जैसे वह बिना पलकों को झपकाए उसकी प्रतीक्षा कर रहा हो।

किसी तरह रात बीती। दोनों के ह्रदय व्यथित थे। किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और ऊबाऊ दिन गुजरने लगा। शाम की प्रतीक्षा थी। तताँरा के लिए मानो पुरे जीवन की अकेली प्रतीक्षा थी। उसके गंभीर और शांत जीवन में ऐसा पहली बार हुआ था। वह अचंभित था ,साथ ही रोमांचित भी। दिन ढलने के काफ़ी पहले वह लपाती की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच गया। वामीरो की प्रतीक्षा में एक -एक पल पहाड़ की तरह भारी था। उसके भीतर एक आशंका भी दौड़ रही थी। अगर वामीरो न आई तो ?वह कुछ निर्णय नहीं कर पा रहा था। सिर्फ़ प्रतीक्षारत था। बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।

व्यथित – अप्रसन्न
आँचरहित – बिना गर्मी का
ऊबाऊ – बेकार
अचंभित – आश्चर्यचकित
आशंका – शक
आस – उम्मीद

तताँरा और वामीरो दोनों ने दुखी मन से किसी तरह रात गुजारी। किसी तरह गर्मी से रहित ठण्डा और बेकार सा दिन गुजरने लगा। दोनों को ही शाम का इंतज़ार था। तताँरा के लिए तो मानो ये उसकी पूरी ज़िन्दगी की पहली और अकेली प्रतीक्षा थी। उसके गहरे और शांत जीवन में ऐसा पहली बार हुआ था जब उसे बैचेनी से किसी का इंतज़ार था। वह आश्चर्यचकित तो था परन्तु साथ ही साथ उत्सुक भी था। वह दिन ढलने से बहुत पहले ही लपाती गाँव की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच गया था जहाँ उसने वामीरो को आने के लिए कहा था। वामीरो के इन्तजार में उसे हर एक पल बहुत अधिक लम्बा लग रहा था। उसके अंदर एक शक भी पैदा हो गया था कि अगर वामीरो आई ही नहीं तो। वह इस बारे में कुछ सोच नहीं पा रहा था। उसके पास प्रतीक्षा करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। उसे सिर्फ उम्मीद की एक किरण नजर आ रही थी और वो भी समय बीतने के साथ -साथ समुद्र के शरीर पर जैसे किरणे डूब रही थी उसी प्रकार कभी भी डूब सकती थी।
वह बार -बार लपाती के रास्ते पर नजर दौड़ाता। सहसा नारियल के झुरमुटों में उसे एक आकृति कुछ साफ़ हुई….. कुछ और…. कुछ और। उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। सचमुच वह वामीरो थी। लगा जैसे वह घबराहट में थी। वह अपने को छुपाते हुए बढ़ रही थी। बीच -बीच में इधर उधर दृष्टि दौड़ाना नहीं भूलती। फिर तेज़ क़दमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। दोनों शब्दहीन थे। कुछ था जो दोनों के भीतर बह रहा था। एकटक निहारते हुए वे जाने कब तक खड़े रहे। सूरज समुद्र लहरों में कहीं खो गया था।

अँधेरा बढ़ रहा था। अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ दौड़ पड़ी। तताँरा अभी भी वहीँ खड़ा था…… निश्चल….. शब्दहीन…..।

सहसा – अचानक
निहारना – देखना
सचेत – होश में आना
निश्चल – जो अपने स्थान से हटे नहीं
शब्दहीन – जो कुछ न बोल सके

तताँरा बार – बार लपाती गाँव के रास्तों पर वामीरो के इंतजार में नजरे गाड़ कर खड़ा था। तभी अचानक नारियल के पेड़ों में से कोई एक आकृति सी दिखाई दी ,वो आकृति जैसे -जैसे नजदीक आ रही थी  वैसे -वैसे साफ दिखाई देने लगी। उसे देखते ही तताँरा बहुत खुश हो गया क्योंकि वह सचमुच वामीरो ही थी। ऐसा लग रहा था कि वह घबरा रही थी या डरी हुई थी। वह अपने आप को छुपा कर आगे बढ़ रही थी। बीच -बीच में वह डर कर इधर उधर नज़रे घुमा रही थी कि कही कोई उसे देख ना ले। फिर तेज़ क़दमों के साथ आ कर तताँरा के सामने आकर रुक गई।दोनों कुछ बोल नहीं रहे थे। कुछ था जो दोनों के अंदर किसी भावना का संचार कर रहा था।ना जाने कब तक बिना पलक झपकाए दोनों एक दूसरे को देखते रहे।  सूरज समुद्र में कहीं डूब गया था अर्थात शाम हो गई थी। अब अँधेरा बढ़ रहा था। अचानक वामीरो को होश आया और वह अपने घर की ओर दौड़ पड़ी। तताँरा अभी ही उसी जगह खड़ा था ,अपनी जगह से बिलकुल भी नहीं हटा और कोई एक शब्द भी नहीं कहा।

दोनों रोज उसी जगह पहुँचते और मूर्तिवत एक दूसरे को निर्निमेष ताकते रहते। बस भीतर समर्पण था जो अनवरत गहरा रहा था। लपाती के कुछ युवकों ने इस मूक प्रेम को भाँप लिया और खबर हवा की तरह बह उठी। वामीरो लपाती ग्राम की थी और तताँरा पासा का। दोनों का सम्बन्ध संभव न था। रीति के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था। वामीरो और तताँरा को समझाने-बुझाने के कई प्रयास हुए किन्तु दोनों अडिग रहे। वे नियमतः लपाती के उसी समुद्री किनारे पर मिलते रहे। अफ़वाहें फैलती रहीं।

मूर्तिवत – मूर्ति की तरह

निर्निमेष – एकटक
अनवरत – जिसे रोका न जा सके
अडिग – डटे रहना
नियमतः – नियम के अनुसार

तताँरा और वामीरो हर रोज उसी जगह मिलने लगे और दोनों एक दूसरे को एकटक नजरों से मूर्ति की  तरह देखते रहते। केवल उनके भीतर एक दूसरे के लिए त्याग की वो भावना थी जिसे कोई रोक नहीं सकता था और वो हर समय बढ़ता ही जा रहा था। लपाती के कुछ युवकों को इस प्रेम के बारे में पता चल गया और ये खबर हवा की तरह हर जगह फैल गई। वामीरो लपाती गाँव की रहने वाली थी और तताँरा पासा गाँव का। दोनों का सम्बन्ध किसी भी तरह संभव नहीं था। क्योंकि रीतिरिवाज़ के अनुसार दोनों के सम्बन्ध के लिए दोनों का एक ही गाँव का होना जरुरी था। सभी ने वामीरो और तताँरा को समझाने -बुझाने के बहुत प्रयास किये परन्तु दोनों ने किसी की भी बात नहीं मानी। वे अपने नियम के अनुसार हमेशा लपाती के उसी समुद्री किनारे पर मिलते रहे। और लोगो ने दोनों के बारे में बाते फैलानी जारी रखी।

कुछ समय बाद पासा गाँव में ‘पशु पर्व ‘का आयोजन हुआ। पशु पर्व में हष्ट पुष्ट पशुओं के प्रदर्शन के अतिरिक्त पशुओं से युवकों की शक्ति परीक्षा प्रतियोगिता भी होती है। वर्ष में एक बार सभी गाँव के लोग हिस्सा लेते हैं। बाद में नृत्य -संगीत और भोजन का भी आयोजन होता है। शाम को सभी लोग पासा में एकत्रित होने लगे। धीरे -धीरे विभिन्न कार्यक्रम शुरू हुए। तताँरा का मन इन कार्यक्रमों में तनिक न था। उसकी व्याकुल आँखे वामीरों को ढूंढने में व्यस्त थीं। नारियल के झुण्ड के एक पेड़ के पीछे से उसे जैसे कोई झांकता दिखा। उसने थोड़ा और करीब जा कर पहचानने की चेष्टा की। वह वामीरो थी जो भयवश सामने आने से झिझक रही थी।

हष्ट पुष्ट – हटे कटे
प्रदर्शन – दिखाना
व्याकुल – परेशान
चेष्टा – कोशिश

कुछ समय के बाद पासा गाँव में ‘पशु पर्व ‘का आयोजन किया गया। पशु पर्व में हट्टे कट्टे  पशुओं के दिखावे के अलावा पशुओं से युवकों की शक्ति परखने की प्रतियोगितायें भी होती थी। साल में एक बार मेला लगता था और सभी गाँव के लोग इसमें भाग लेने आते थे। प्रतियोगिता के बाद नाच -गाना और फिर भोजन सब का प्रबंध किया जाता था। शाम के समय सभी लोग पासा गाँव में इकठ्ठे होने लगे। धीरे -धीरे कई तरह के  कार्यक्रम शुरू हुए। तताँरा का मन इन में से किसी भी कार्यक्रम में नहीं लग रहा था। उसकी परेशान आँखे तो वामीरों को ढूंढने में व्यस्त थी। तभी उसे नारियल के पेड़ों के झुण्ड में से एक पेड़ के पीछे से कोई झांकता हुआ दिखाई दिया। उसने थोड़ा और पास में जा कर उसे पहचानने की कोशिश की। वह वामीरो थी जो डर के मारे किसी के भी सामने आने से परेशान हो रही थी।

उसकी आँखे तरल थी। होंठ काँप रहे थे। तताँरा को देखते ही वह फुटकर रोने लगी। तताँरा विह्वल गया। उससे कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था। रोने की आवाज लगातार ऊँची होती जा रही थी। तताँरा किंकर्तव्यविमूढ़ था। वामीरो के रुदन स्वरों को सुन कर उसकी माँ वहाँ पहुँची और दोनों को देखकर आग बबूला हो उठी। सारे गाँव वालों की उपस्थिति में यह दृश्य उसे अपमान जनक लगा। इस बीच गाँव के कुछ लोग भी वहाँ पहुँच गए। वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। उसने तताँरा को तरह -तरह से अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाजें उठाने लगे।

विह्वल – भावुक
किंकर्तव्यविमूढ़ – हका बका होना

जब तताँरा ने वामीरो को देखा तो उसकी आँखें नमी से भरी थी और उसके होंठ डर कर काँप रहे थे। तताँरा को देखते ही वामीरो फुट -फुटकर रोने लगी। तताँरा इस तरह वामीरो को रोता देखकर भावुक हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले। वामीरो के रोने की आवाज लगातार बढ़ती जा रही थी। तताँरा हकाबका हो गया था उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वामीरो के रोने की आवाज सुनकर वामीरो की माँ वहाँ आ गई और दोनों को एक साथ देख कर गुस्सा हो गई। उसे सभी गाँव वालों के सामने अपमानित महसूस हो रहा था। इस बीच गाँव के लोग भी वहाँ आ गए। वामीरो की माँ को और भी ज़्यादा गुस्सा आ गया। उसने वामीरो को कई तरह से अपमानित करना शुरू कर दिया। गाँव वाले भी तताँरा के विरोध में बोलने लगे।  

यह तताँरा के लिए असहनीय था। वामीरो अब भी रोए जा रही थी। तताँरा भी गुस्से से भर उठा। उसे जहाँ विवाह की निषेध परम्परा पर क्षोभ था वहीँ अपनी असहायता पर खीझ। वामीरो का दुःख उसे और गहरा कर रहा था। उसे मालूम न था कि क्या कदम उठाना चाहिए ?अनायास उसका हाथ तलवार की मूठ पर जा टिका। क्रोध में उसने तलवार निकली और कुछ विचार करता रहा। क्रोध लगातार अग्नि की तरह बढ़ रहा था। लोग सहम उठे। एक सन्नाटा सा खींच गया। जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसने शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा। वह पसीने से नहा उठा। सब घबराए हुए थे।

असहनीय- जो सहन न हो सके

निषेध – जो न किया जा सके
क्षोभ – बहुत अधिक गुस्सा
खीझ – चीड़
अनायास – अचानक
शमन -शांत

लोगो की बातों को सुनना अब तताँरा के लिए सहन कर पाना मुश्किल हो रहा था। वामीरो का रोना अब भी शांत नहीं हुआ था। अब तताँरा भी गुस्से में आ गया। पहली बात पर तो उसे गुस्सा इस बात का था की गाँव की परम्पराओं के कारण उसका और वामीरो का विवाह नहीं हो सकता था और दूसरा इस समय वह कुछ नहीं कर पा रहा था। वामीरो का दुखी होना उसके गुस्से को और अधिक बड़ा रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था  कि क्या करना चहिए । अचानक उसका हाथ उसकी तलवार पर आकर टिक गया। गुस्से से उसने तलवार निकली और कुछ सोचने लगा। उसका गुस्सा लगातार आग की तरह बढ़ता ही जा रहा था। लोगों में डर बैठ गया।  हर जगह सन्नाटा सा छा गया। जब तताँरा को कोई रास्ता दिखाई न दिया तो उसने अपने गुस्से को शांत करने के लिए अपनी पूरी शक्ति से तलवार को धरती में गाढ़ दिया और अपनी पूरी ताकत से उसे खींचने लगा। वह पसीना -पसीना हो गया। सभी डरे हुए थे  कि अब क्या होगा।

वह तलवार को अपनी तरफ खींचते -खींचते दूर तक पहुँच गया। वह हाँफ रहा था। अचानक जहाँ तक लकीर खिंच गई थी ,वहाँ एक दरार होने लगी। मानो धरती दो टुकड़ों में बांटने वाली हो। एक गड़गड़ाहट -सी गूँजने लगी और लकीर की सीध में धरती फटती ही जा रही थी। द्वीप के अंतिम सिरे तक तताँरा धरती को मानो क्रोध में काटता जा रहा था। सभी भयाकुल हो उठे। लोगों ने ऐसे दृश्य की कल्पना न की थी ,वे सिहर उठे। उधर वामीरो फटती हुई धरती के किनारे चीखती हुई दौड़ रही थी -तताँरा……तताँरा…..तताँरा उसकी करुण चीख मानो गड़गड़ाहट में डूब गई।

(यहाँ लेखक ने तताँरा के क्रोध का वर्णन किया है)

तताँरा ने जो तलवार गुस्से से धरती में गाड़ दी थी वह उस तलवार को अपनी ओर खींचता हुआ बहुत दूर तक पहुँच गया था। अब वह थक कर हाँफ रहा था। अचानक जहाँ तक तताँरा ने लकीर खिंच ली थी ,वहाँ पर दरार होने लगी। ऐसा लग रहा था मानो धरती के दो टुकड़े होने वाले हैं। एक गरजन सी होने लगी और जो लकीर तताँरा ने खींची थी उस लकीर की सीध में धरती फटती जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि तताँरा द्वीप को क्रोध में काटता जा रहा था। सभी लोग डर कर काँपने लगे। किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि इस तरह कुछ होगा ,वे सभी लोग सहम गए। उधर वामीरो फटती हुई धरती के किनारे चीखते हुए दौड़ रही थी -तताँरा……तताँरा…..तताँरा परन्तु उसकी ये चीखें मानो उस गरजना में कहीं खो गई थी अर्थात तताँरा को उसकी चीखें सुनाई नहीं दी।

तताँरा दुर्भाग्यवंश दूसरी तरफ था। द्वीप के अंतिम सिरे तक धरती को चीरता वह जैसे ही अंतिम छोर तक पहुँचा ,द्वीप दो टुकड़ों में विभक्त हो चूका था। एक तरफ तताँरा था दूसरी तरफ वामीरो। तताँरा को जैसे ही होश आया ,उसने देखा उसकी तरफ का द्वीप समुद्र में धँसने लगा है। वह छटपटाने लगा उसने छलांग लगा कर दूसरा सिरा थामना चाहा किन्तु पकड़ ढीली पड़ गई। वह निचे की तरफ फिसलने लगा। वह लगातार समुद्र की सतह की तरफ फिसल रहा था। उसके मुँह से सिर्फ एक ही चीख उभर कर डूब रही थी ,वामीरो…….  वामीरो…….  वामीरो…….  वामीरो……. ” उधर वामीरो भी “तताँरा तताँरा ता….  ताँ….  रा …. ” पुकार रही थी।

दुर्भाग्यवंश – बदकिस्मती
विभक्त – अलग
छटपटाने – तड़फने

जब धरती दो टुकड़ों में बांटने लगी तो सबसे बड़ी बदकिस्मती ये थी कि तताँरा दूसरी तरफ था। जब तताँरा द्वीप के आखरी सिरे तक धरती को चीरता हुआ पहुँचा ,तब तक द्वीप के दो टुकड़े हो चुके थे। तताँरा द्वीप के एक ओर था और वामीरो दूसरी ओर। तताँरा को जैसे ही होश आया ,उसने देखा कि द्वीप के जिस ओर वह है वो टुकड़ा समुद्र में धँसने लगा है। अब वह तड़पने लगा ,वह छलांग लगा कर दूसरी ओर जाना चाहता था परन्तु उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और वह निचे की ओर फिसलने लगा। वह लगातार समुद्र की तरफ फिसल रहा था। उसके मुँह से सिर्फ एक ही चीख निकल रही थी वामीरो…….वामीरो…….वामीरो…….वामीरो……., लेकिन ये चीख कहीं डूबती हुई सी लग रही थी। उधर वामीरो भी लगातार तताँरा को पुकारती जा रही थी।

तताँरा लहूलुहान हो चूका था… वह अचेत होने लगा और कुछ देर बाद उसे कोई होश नहीं रहा। वह कटे हुए द्वीप के अंतिम भूखंड पर पड़ा हुआ था जो की दूसरे हिस्से से संयोगवंश जुड़ा था। बहता हुआ तताँरा कहाँ पहुँचा,बाद में उसका क्या हुआ कोई नहीं जानता। इधर वामीरो पागल हो उठी। वह हर समय तताँरा को खोजती हुई उसी जगह पहुँचती और घण्टों बैठी रहती। उसने खाना पीना छोड़ दिया। परिवार से वह एक तरह विलग हो गई। लोगो ने उसे ढूंढने की बहुत कोशिश की किन्तु कोई सुराग नहीं मिला।

अचेत – बेहोश
भूखंड – भूमि का टुकड़ा
विलग – अलग

(यहाँ लेखक ने तताँरा से बिछड़ कर वामीरो के हाल का वर्णन किया है )

दूसरी ओर आने की कोशिश करते -करते तताँरा लहूलुहान हो गया था। अब उसमे शक्ति नहीं बची थी वह बेहोश होने लगा था और थोड़ी देर बाद उसे कोई होश नहीं रहा। अब वह उस कटे हुए द्वीप के उस आखरी भू -भाग पर बेहोश पड़ा हुआ था जो संयोगवश उस द्वीप से जुड़ा हुआ था। बहता हुआ तताँरा कहाँ गया ,उसके बाद उसका क्या हुआ ये कोई नहीं जान सका। इधर वामीरो तताँरा से अलग होने के कारण पागल हो गई। वह हर समय बस तताँरा को ही खोजती रहती और उसी जगह आकर घंटों बैठी रहती जहाँ वो तताँरा से मिलने आया करती थी। उसने खाना -पीना छोड़ दिया था। परिवार से वह कही अलग हो गई। लोगो ने उसे ढूंढ़ने की बहुत कोशिश की परन्तु अब वामीरो का भी कोई सुराग नहीं मिला कि वह कहाँ  गई।

आज न तताँरा है और न वामीरो किन्तु उनकी यह प्रेमकथा घर -घर में सुनाई जाता है। निकोबारियों का मत है कि तताँरा की तलवार से कार -निकोबार के जो टुकड़े हुए ,उसमें दूसरा लिटिल अंदमान है जो कार निकोबार से आज 96 कि.मी. दूर स्थित है। निकोबारी इस घटना के बाद दूसरे गाँवों में भी आपसी वैवाहिक सम्बन्ध करने लगे। तताँरा- वामीरो की त्यागमयी मृत्यु शायद इसी सुखद परिवर्तन के लिए थी।

आज ना तो तताँरा है और ना ही वामीरो है,परन्तु फिर भी आज उनकी प्रेमकथा हर घर में सुनाई जाती है। निकोबार के निवासियों का मानना है कि तताँरा की तलवार से कार -निकोबार के जो दो टुकड़े हुए, उसमे से दूसरा टुकड़ा आज लिटिल अंदमान के नाम से प्रसिद्ध है जो कार -निकोबार से 96 कि.मी. दूर स्थित है।निकोबार निवासीयों ने इस घटना के बाद अपनी परम्परा को बदला और दूसरे गाँव में भी विवाह सम्बन्ध बनने लगे। तताँरा – वामीरो की जो एक -दूसरे के लिए त्यागमयी मृत्यु थी वह शायद इसी सुखद बदलाव के लिए थी।

Tantara Vamiro Katha Question Answers प्रश्न अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (20 – 30 शब्दों में )लिखिए –
प्रश्न 1 – तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था ?

उत्तर – तताँरा हमेशा अपनी पारम्परिक पोशाक ही पहनता था और हमेशा अपनी कमर में एक लकड़ी की तलवार को बाँधे रखता था। लोगों का मानना था कि उस तलवार में लकड़ी की होने के बावजूद भी अनोखी दैवीय शक्तियाँ हैं।वह दूसरों के सामने तलवार का प्रयोग भी नहीं करता था। परन्तु उसके सहस से पूर्ण कार्यों के कारण लोगों का तलवार में अनोखी शक्ति होने पर विश्वास था।

प्रश्न 2 – वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया ?

उत्तर – तताँरा ने जब विनम्र तरीके से वामीरो से पूछा कि उसने अचानक इतना सुरीला और अच्छा गाना अधूरा ही क्यों छोड़ दिया ?’ तो अपने सामने एक सुंदर युवक को देख कर वामीरो आश्चर्यचकित हो गई और हड़बड़ा गई । परन्तु अपने आपको सम्भालते हुए वामीरो ने  नकली नाराजगी दिखाते हुए बेरुखी से उत्तर दिया कि  पहले ताँतारा यह बताए कि वह कौन है, वह वामीरों को इस तरह क्यों देख रहा है और वह वामीरों से इस तरह के अनुचित या बेकार के प्रश्न क्यों पूछ रहा है?”

प्रश्न 3 – तताँरा – वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया ?

उत्तर – निकोबार निवासीयों ने तताँरा – वामीरो की त्यागमयी मृत्यु के बाद अपनी परम्परा को बदला और दूसरे गाँव में भी विवाह सम्बन्ध बनने लगे। तताँरा – वामीरो की जो एक -दूसरे के लिए त्यागमयी मृत्यु थी वह शायद इसी सुखद बदलाव के लिए थी।

प्रश्न 4 – निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे ?

उत्तर – तताँरा एक भला और सबकी मदद करने वाला व्यक्ति था। वह हमेशा ही दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहता था। जब भी कोई मुसीबत में होता तो हर कोई उसी को याद करता था और वह भी भागा -भागा वहाँ उनकी मदद करने के लिए पहुँच जाता था।उसका व्यक्तित्व तो आकर्षक था ही उसके साथ ही साथ लोगों का उसके करीब रहने का एक सबसे बड़ा कारण था उसका सबको अपना मानने का स्वभाव।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 -60 शब्दों में ) दीजिए –
प्रश्न 1 – निकोबार द्वीप समूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास था ?

उत्तर – निकोबारियों का विश्वास था कि पहले अंदमान और निकोबार एक ही द्वीप थे। इनके अलग -अलग होने के पीछे तताँरा -वामीरो की एक लोककथा प्रचलित है। दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे। परन्तु दोनों अलग -अलग गाँव से थे और उस समय के रीतिरिवाज़ों के अनुसार अलग -अलग गाँव के निवासियों में विवाह सम्बन्ध संभव नहीं था। जब लोगो को तताँरा और वामीरो के प्रेम का पता चला तो वे तताँरा को बुरा कहने व्लगे जिस कारण तताँरा को अत्यधिक क्रोध आ गया उसने अपनी तलवार पूरी शक्ति से धरती में गाड़ दी और दूर तक खींचता हुआ चला गया। इससे धरती के दो टुकड़े हो गए और अंदमान -निकोबार नाम से दो द्वीप बन गए।

प्रश्न 2 – तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया ?वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिये।

उत्तर – तताँरा दिन भर की कठोर मेहनत करने के बाद समुद्र के किनारे घूमने के लिए चल पड़ा। समुद्र में जहाँ धरती और आसमान के मिलने का आभास हो रहा था, वहाँ सूरज डूबने वाला था। समुद्र से ठंडी ठंडी हवाएँ आ रही थी। शाम के समय पक्षियों की जो चहचहाहटें होती हैं वे भी धीरे -धीरे शांत हो रही थी। तताँरा का मन भी शांत था। अपने ही विचारों में खोया हुआ तताँरा समुद्री बालू पर बैठ कर सूरज की आखरी किरणों को समुद्र के पानी पर देख रहा था जो बहुत रंग -बिरंगी लग रही थी। बीच -बीच में लहरों का संगीत सुनाई पड़ रहा था। पूरा वातावरण बहुत ही सुन्दर और मोहक लग रहा था।

प्रश्न 3 – वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर – वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में बहुत परिवर्तन आ गया था। उसके गहरे और शांत जीवन में ऐसा पहली बार हुआ था जब वह बैचेनी से किसी का इंतज़ार करता था। वह आश्चर्यचकित तो था परन्तु साथ ही साथ उत्सुक भी था। वह दिन ढलने से बहुत पहले ही लपाती गाँव की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच जाता था जहाँ वह वामीरो से मिला करता था। वामीरो के इन्तजार में उसे हर एक पल बहुत अधिक लम्बा लग रहा था। तताँरा बार – बार लपाती गाँव के रास्तों पर वामीरो के इंतजार में नजरे गाड़ कर खड़ा रहता था।

प्रश्न 4 – प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किये जाते थे ?

उत्तर – प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए ‘पशु पर्व ‘का आयोजन किया जाता था। पशु पर्व में हटे -कटे पशुओं के दिखावे के अलावा पशुओं से युवकों की शक्ति परखने की प्रतियोगितायें भी होती थी। साल में एक बार मेला लगता था और सभी गाँव के लोग इसमें भाग लेने आते थे। प्रतियोगिता के बाद नाच -गाना और फिर भोजन का प्रबंध भी किया जाता था।

प्रश्न 5 – रूढ़ियाँ जब बंधन लगने लगे तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों ?स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – रूढ़ियाँ और बंधन समाज को अनुशासित करने के लिए बने होते हैं ,परन्तु जब इन्ही के कारण मनुष्यों की भावनाओं को ठेस पहुँचने लगे और ये सब बोझ लगने लगे तो उनका टूट जाना ही अच्छा होता है। तताँरा – वामीरो की कहानी में हमनें जाना कि रूढ़ियों के कारण इनका प्रेम -विवाह नहीं हो सकता था ,जिसके कारण दोनों को जान गवानी पड़ी। जहाँ रूढ़ियाँ किसी का भला करने की जगह नुकसान करे और जहाँ रूढ़ियाँ आडंबर लगने लगे वहाँ इनका टूट जाना ही बेहतर होता है।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसने शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।

उत्तर – तताँरा -वामीरो को पता था कि रीतिरिवाज़ों के कारण उनका विवाह संभव नहीं है फिर भी वे मिलते रहे। जब गाँव वालो को पता चला तो वे तताँरा को बुरा कहने लगे। क्रोध में आकर तताँरा ने अपनी तलवार को धरती ने पूरी शक्ति से गाड़ दिया और अपनी और खींचता हुआ द्वीप के आखरी कोने तक पहुँच गया जिसके कारण द्वीप के दो टुकड़े हो गए।

(ख) बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।

उत्तर – तताँरा दिन ढलने से बहुत पहले ही लपाती गाँव की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच गया था जहाँ उसने वामीरो को आने के लिए कहा था। वामीरो के इन्तजार में उसे हर एक पल बहुत अधिक लम्बा लग रहा था। उसके अंदर एक शक भी पैदा हो गया था कि अगर वामीरो आई ही नहीं तो। उसके पास प्रतीक्षा करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। उसे सिर्फ उम्मीद की एक किरण नजर आ रही थी और वो भी समय बीतने के साथ -साथ समुद्र के शरीर पर जैसे किरणे डूब रही थी उसी प्रकार कभी भी डूब सकती थी।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है?
उत्तर-
तताँरा-वामीरो की कथा निकोबार द्वीप समूह के प्रमुख दूद्वीप ‘कार-निकोबार’ की है।

प्रश्न 2.
वामीरो अपना गाना क्यों भूल गई?
उत्तर-
वामीरो मंत्रमुग्ध होकर गाना गा रही थी कि एकाएक समुद्र की एक ऊँची लहर ने उसे भिगो दिया था। वह हड़बड़ाकर उठ । बैठी। ऐसी स्थिति में उसने गाना बंद कर दिया था।

प्रश्न 3.
तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की?
उत्तर-
तताँरा ने वामीरो से अगले दिन उसी स्थान पर उससे मिलने की याचना की। इससे पूर्व उसने एक और याचना की कि वह अपना अधूरा गाना पूरा करे।

प्रश्न 4.
तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी?
उत्तर-
तताँरा और वामीरो के गाँव की रीति थी कि वहाँ के निवासी केवल अपने गाँववालों के साथ ही विवाह कर सकते थे। गाँव के बाहर के किसी लड़के या लड़की से विवाह करना अनुचित माना जाता था।

प्रश्न 5.
क्रोध में तताँरा ने क्या किया?
उत्तर-
गाँववालों और वामीरो की माँ द्वारा अपमानित होने के बाद तताँरा के क्रोध का ठिकाना न रहा। क्रोध में ही उसने अपनी तलवार निकालकर उसे पूरी शक्ति से धरती में घोंप दिया और पूरी ताकत से खींचने लगा, जिससे धरती में सीधी दरार आ गई और धरती दो टुकड़ों में बँट गई।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
उत्तर-
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का यह मत था कि लकड़ी की होने के बावजूद उस तलवार में अद्भुत दैवीय शक्ति थी। वह अपनी तलवार को अपने से कभी भी अलग न होने देता था और दूसरों के सामने उसका उपयोग नहीं करता था।

प्रश्न 2.
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
उत्तर-
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से जवाब दिया कि वह उसके कहने पर गाना क्यों गाए? वह पहले उसे बताए कि वह कौन है? वह उससे असंगत प्रश्न क्यों कर रहा है? वह उसे घूर क्यों रहा है? वह अपने गाँव के पुरुष के अलावा किसी अन्य को जवाब देने को विवश नहीं है।

प्रश्न 3.
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर-
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में यह परिवर्तन आया कि वहाँ लोग अब दूसरे गाँवों से भी वैवाहिक संबंध स्थापित करने लगे। दोनों की त्यागमयी मृत्यु ने लोगों की विचारधारा में एक सुखद तथा अद्भुत परिवर्तन ला दिया तथा उनकी रूढ़िवादी परंपराएँ भी परिवर्तित हो गईं।

प्रश्न 4.
निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे?
उत्तर-
निकोबार के लोग तताँरा को उसके साहसी और परोपकारी स्वभाव के कारण पसंद करते थे। वह सदैव दूसरों की सहायता करने में विश्वास रखता था और समूचे दूद्वीपवासियों की सेवा करना अपना कर्तव्य समझता था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
निकोबार द्वीप समूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है?
उत्तर-
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का यह विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने में तताँरा और वामीरो की प्रेम-कथा की त्यागमयी मृत्यु है, जो एक सुखद परिवर्तन के लिए थी।

प्रश्न 2.
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद समुद्र के किनारे टहलने गया था। संध्या का समय था। उस समय क्षितिज पर सूरज डूबने को था। ठंडी हवाएँ चल रही थीं। पक्षियों की चहचहाहट से वातावरण गूंज रहा था। सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें, पानी में घुलकर अद्भुत स्वर्गिक सौंदर्य की रचना कर रही थीं।

प्रश्न 3.
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर-
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में अद्भुत परिवर्तन आया। वह वामीरो से मिलकर सम्मोहित-सा हो गया।
उसके शांत जीवन में हलचल मच गई। वह स्वयं को रोमांचित अनुभव कर रहा था। वह वामीरो की प्रतीक्षा में दिन बिताने लगा। प्रतीक्षा का एक-एक पल उसे पहाड़ की तरह भारी प्रतीत होता था। वह हमेशा अनिर्णय की स्थिति में रहता था कि दामीरो उससे मिलने आएगी या नहीं अर्थात् उसके मन में आशंका-सी बनी रहती थी।

प्रश्न 4.
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
उत्तर-
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए अनेक प्रकार के आयोजन किए जाते थे। पशु-पर्व, कुश्ती, दंगल तथा मेलों का आयोजन किया जाता था। पशु-पर्व में हृष्ट-पुष्ट पशुओं का प्रदर्शन होता था। युवकों की शक्ति-परीक्षा के लिए उन्हें पशुओं से भिड़ाया जाता था। इसमें सभी लोग हिस्सा लेते थे। पासा गाँव में वर्ष में एक ऐसा मेला होता था जिसमें सभी गाँवों के लोग इकट्ठे होते थे। उसमें नृत्य-संगीत और भोजन का भी प्रबंध होता था।

प्रश्न 5.
रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें, तब वास्तव में उनका टूट जाना ही उचित है तथा इनमें परिवर्तन करना श्रेयस्कर होता है, क्योंकि रूढ़ियाँ व्यक्ति को बंधनों में जकड़ लेती हैं, जिससे व्यक्ति का विकास होना बंद हो जाता है। इनके टूट जाने से व्यक्ति के दिलो-दिमाग पर छाया बोझ हट जाता है। व्यक्ति की उन्नति तथा स्वतंत्रता हेतु इन रूढ़ियों को तोड़ देना चाहिए, नहीं तो ये हमारी उन्नति में बाधक बनकर खड़ी रहेंगी।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसने शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।
उत्तर-
इसका आशय है कि गाँववालों और वामीरो की माँ दुवारा अपमानित होने के बाद तताँरा के क्रोध का ठिकाना न रहा। क्रोध में ही उसने अपनी तलवार निकालकर उसे पूरी शक्ति से धरती में घोंप दिया और पूरी ताकत से खींचने लगा, जिससे धरती में सीधी दरार आ गई और धरती दो टुकड़ों में बँट गई।

प्रश्न 2.
बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।
उत्तर-
तताँरा वामीरो को पहली ही नज़र में बेहद प्रेम करने लगा था। वह उसकी प्रतीक्षा में अपने जीवन की संपूर्ण आस लगाए बैठा था। उसने उसे पुनः साँझ को समुद्री चट्टान पर आने के लिए कहा था। अतः वह छटपटाते हुए अधीरता से उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। उसके मन में एक आशंका यह भी थी कि कहीं वामीरो न आए। इस आशंका से उसका मन काँप उठता था, परंतु साथ ही एक आशा की किरण भी थी।

उसे लगता है कि आशा की यह किरण वामीरो के न आने पर समुद्र में डूबते सूर्य की किरणों के समान कहीं डूब न जाए। तताँरा इस उधेड़बुन में बैठा हुआ था और आशा-निराशा के बीच झूलते हुए अपने प्रेम के सफल होने की कामना कर रहा था।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के सामने दिए कोष्ठक में (✓) का चिह्न लगाकर बताएँ कि यह वाक्य किस प्रकार का है-

  1. निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
  2. तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
  3. वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
  4. क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम ? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
  5. वाह! कितना सुंदर नाम है। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
  6. मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)

उत्तर-

  1. विधानवाचक
  2. प्रश्नवाचक
  3. विधानवाचक
  4. प्रश्नवाचक
  5. विस्मयादिबोधक
  6. विधानवाचक

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
(क) सुध-बुध खोना
(ख) बाट जोहना
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना
(घ) आग बबूला होना
(ङ) आवाज़ उठाना
उत्तर-
मुहावरे – वाक्य प्रयोग
(क) सुध-बुध खोना – लता मंगेशकर का मधुर गीत सुनकर कुछ श्रोता अपनी सुध-बुध खो बैठे।
(ख) बाट जोहना – घर लौटने में देर होने पर सुमन मेरी बाट जोहने लगती है।
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना – बेटे के आई.ए.एस. बनने पर माँ-बाप की खुशी का ठिकाना न रहा।
(घ) आग बबूला होना – रिक्शेवाले द्वारा किराया माँगते ही पुलिसवाला आग बबूला हो गया।
(ङ) आवाज़ उठाना – आवाज़ उठाए बिना कभी अधिकार नहीं मिलते हैं।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए-

उत्तर-

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए-
……….. + आकर्षक = ……….
………… + ज्ञात = ………
………… + कोमल = …………
………. + होश = ………..
………… + घटना = ………….
उत्तर-
अन + आकर्षक = अनाकर्षक
अ + ज्ञात = अज्ञात
सु + कोमल = सुकोमल
बे + होश = बेहोश
दुर + घटना = दुर्घटना

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए-

  1. जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। (मिश्र वाक्य)
  2. फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। (संयुक्त वाक्य)
  3. वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ दौड़ी। (सरल वाक्य)
  4. तताँरा को देखकर यह फूटकर रोने लगी। (संयुक्त वाक्य)
  5. रीति के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था। (मिश्र वाक्य)

उत्तर-

  1. जीवन में ऐसा पहली बार हुआ है कि मैं विचलित हुआ हूँ।
  2. फिर तेज कदमों से चलती हुई तताँरा के पास आई और ठिठक गई।
  3. वामीरो कुछ सचेत होकर घर की ओर दौड़ी।
  4. उसने तताँरा को देखा और फूट-फूटकर रोने लगी।
  5. रीति के अनुसार यह आवश्यक था कि दोनों एक ही गाँव के हों।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्य पढ़िए तथा ‘और’ शब्द के विभिन्न प्रयोगों पर ध्यान दीजिए-

  1. पास में सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। (दो पदों को जोड़ना)
  2. वह कुछ और सोचने लगी। (‘अन्य’ के अर्थ में)
  3. एक आकृति कुछ साफ़ हुई… कुछ और … कुछ और… (क्रमशः धीरे-धीरे के अर्थ में)
  4. अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ गई। (दो उपवाक्यों को जोड़ने के अर्थ में)
  5. वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। (‘अधिकता’ के अर्थ में)
  6. उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। (‘निकटता’ के अर्थ में)

उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
भय, मधुर, सभ्य, मूक, तरल, उपस्थिति, सुखद।
उत्तर-
निर्भय, कटु, असभ्य, वाचाल, ठोस, अनुपस्थित, दुखद।

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
समुद्र, आँख, दिन, अँधेरा, मुक्त।
उत्तर
समुद्र – रत्नाकर, वारिधि, नीरधि, जलधि
आँख – नेत्र, चक्षु, नयन, लोचन, दृग
दिन – दिवस, दिवा, वासर, वार
अँधेरा – तम, तिमिर, अंधकार
मुक्त – उन्मुक्त, आजाद, बंधनहीन

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
किंकर्तव्यविमूढ़, विह्वल, भयाकुल, याचक, आकंठ।
उत्तर-
शब्द – वाक्य प्रयोग
किंकर्तव्यविमूढ़ – महाभारत के मैदान में गुरुजन एवं बंधु-बाँधवों को सामने देखकर अर्जुन किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए।
विह्वल – अपने खोए बेटे से मिलकर माँ विह्वल होकर रोने लगी।
भयाकुल – डाकुओं से स्वयं को घिरा देखकर यात्री भयाकुल हो गए।
याचक – याचक करुण स्वर में दो रोटियाँ माँग रहा था।
आकंठ – कुछ नेता और अधिकारी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हैं।

प्रश्न 10.
‘किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और ऊबाऊ दिन गुजरने लगा’ वाक्य में दिन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? आप दिन के लिए कोई तीन विशेषण और सुझाइए।
उत्तर-
उमस भरा लंबा थकाऊ दिन।
सुंदर-सुहावना धूपदार दिन।

प्रश्न 11.
इस पाठ में देखना’ क्रिया के कई रूप आए हैं-‘देखना’ के इन विभिन्न शब्द-प्रयोगों में क्या अंतर है?

इसी प्रकार ‘बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग बताइए।

उत्तर-

प्रश्न 12.
नीचे दिए गए वाक्यांशों को पढ़िए-
(क) श्याम का बड़ा भाई रमेश कल आया था। (संज्ञा पदबंध)
(ख) सुनीता परिश्रमी और होशियार लड़की है। (विशेषण पदबंध)
(ग) अरुणिमा धीरे-धीरे चलते हुए वहाँ जा पहुँची। (क्रिया विशेषण पदबंध)
(घ) आयुष सुरभि का चुटकुला सुनकर हँसता रहा। (क्रिया पदबंध)
ऊपर दिए गए
वाक्य (क) में रेखांकित अंश में कई पद हैं जो एक पद संज्ञा का काम कर रहे हैं।
वाक्य (ख) में तीन पद मिलकर विशेषण पद का काम कर रहे हैं।
वाक्य (ग) और (घ) में कई पद मिलकर क्रमशः क्रिया विशेषण और क्रिया का काम कर रहे हैं।

ध्वनियों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’ कहलाता है; जैसे‘पेड़ों पर पक्षी चहचहा रहे थे।’ वाक्य में ‘पेड़ों’ शब्द पद है क्योंकि इसमें अनेक व्याकरणिक बिंदु जुड़ जाते हैं। कई पदों के योग से बने वाक्यांश को जो एक ही पद का काम करता है, पदबंध कहते हैं। पदबंध वाक्य का एक अंश होता है।

पदबंध मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं-

  • संज्ञा पदबंध
  • क्रिया पदबंध
  • विशेषण पदबंध
  • क्रियाविशेषण पदबंध

वाक्यों के रेखांकित पदबंधों का प्रकार बताइए-

  1. उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था।
  2. तताँरा को मानो कुछ होश आया।
  3. वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता।
  4. तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
  5. उसकी व्याकुल आँखें वामीरो को ढूंढने में व्यस्त थीं।

उत्तर-

  1. विशेषण पदबंध
  2. क्रिया पदबंध
  3. क्रियाविशेषण पदबंध
  4. विशेषण पदबंध
  5. विशेषण पदबंध

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
पुस्तकालय में उपलब्ध विभिन्न प्रदेशों की लोककथाओं का अध्ययन कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
भारत के नक्शे में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की पहचान कीजिए और उसकी भौगोलिक स्थिति के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
छात्र भूगोल अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें।

प्रश्न 3.
अंदमान निकोबार द्वीप समूह की प्रमुख जनजातियों की विशेषताओं का अध्ययन पुस्तकालय की सहायता से कीजिए।
उत्तर-
छात्र पुस्तकालय से पुस्तकें स्वयं प्राप्त करें।

प्रश्न 4.
दिसंबर 2004 में आए सुनामी का इस द्वीप समूह पर क्या प्रभाव पड़ा? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर-
छात्र अपने अध्यापक की मदद से जानकारी एकत्र करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
अपने घर-परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से कुछ लोककथाओं को सुनिए। उन कथाओं को अपने शब्दों में कक्षा में सुनाइए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
द्वीप समूह के बारे में निकोबारियों का विश्वास स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
द्वीप समूह के बारे में निकोबारियों को यह विश्वास है कि प्राचीन काल में अंदमान द्वीप समूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप-लिटिल अंदमान और कार निकोबार अविभाजित हुआ करते थे। यद्यपि आज उनके बीच 96 किलोमीटर दूरी है पर तब पूरा द्वीप समूह एक था।

प्रश्न 2.
तताँरा कौन था? ग्रामवासियों के साथ उसके संबंध कैसे थे?
उत्तर-
तताँरा अविभाजित अंदमान निकोबार द्वीप समूह के पासा गाँव का नवयुवक था, जो अपने साहसिक कारनामों और विलक्षण तलवार के लिए प्रसिद्ध था। वह अपने उदार एवं मददगार स्वभाव के लिए भी प्रसिद्ध था।

प्रश्न 3.
तताँरा को पर्व-त्योहारों में विशेष रूप से क्यों बुलाया जाता था?
उत्तर-
तताँरा बेहद नेक और मददगार युवक था, जिसे निकोबारी बेहद प्रेम करते थे। वह सदैव दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था। द्वीपवासियों की सेवा करना वह अपना कर्तव्य समझता था। अपने त्यागमयी स्वभाव के कारण वह सभी के आदर का पात्र था। इसी कारण उसे पर्व-त्योहारों में विशेष रूप से बुलाया जाता था।

प्रश्न 4.
तताँरा की तलवार लोगों की चर्चा का विषय क्यों थी?
उत्तर-
तताँरा अपनी पारंपरिक पोशाक के साथ कमर पर एक तलवार बाँधे रहता था। लकड़ी की इस तलवार के बारे में लोग चर्चा करते थे कि उसमें अद्भुत दैवीय शक्ति थी। वह अपनी तलवार का प्रयोग दूसरों के सामने नहीं करता था तथा सदैव अपने साथ रखता था। तताँरा के साहसिक कारनामों को भी लोग उसी तलवार की अद्भुत शक्ति मानते थे।

प्रश्न 5.
समुद्र के किनारे गया तताँरा अपनी सुध-बुध क्यों खोने लगा?
उत्तर-
समुद्र के किनारे शाम का वातावरण अत्यंत मनोहारी था। समुद्र की ओर से शीतल हवा के झोंके आ रहे थे। वातावरण शांत था। ऐसे में तताँरा ने कहीं पास से आता मधुर गीत सुना। अपने पास आते इस गीत को सुनकर तताँरा अपनी सुध-बुध खोने लगा।

प्रश्न 6.
सुध-बुध खोए तताँरा की तंद्रा कैसे टूटी? तंद्रा टूटने पर उसने क्या किया?
उत्तर-
मधुर गीत सुनकर सुध-बुध खोए तताँरा की तंद्रा तब टूटी जब लहरों के प्रबल वेग ने उसकी तंद्रा भंग की। तंद्रा टूटने और सचेत होने पर तताँरा उधर जाने को विवश हो गया जिधर से अब भी मधुर गीत की आवाज आ रही थी।

प्रश्न 7.
वामीरो क्यों न जान सकी कि कोई अजनबी उसे निहारे जा रहा है?
उत्तर-
वामीरो समुद्र के किनारे बैठी ढलती हुई शाम के सौंदर्य में बेसुध-सी सूर्य के आकर्षक रंग को निहार रही थी जो समुद्र के शरीर पर पड़ रहा था। वह मधुर स्वर में गीत गाए जा रही थी। वह गाने में इतनी खोई थी कि उसे अजनबी द्वारा निहारे जाने का ध्यान न आया।

प्रश्न 8.
वामीरो ने मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया?
उत्तर-
वामीरो ने मधुर स्वर में गीत अधूरा इसलिए छोड़ दिया क्योंकि जब वह गीत गाने में तल्लीन थी तभी समुद्र से एक ऊँची लहर उठी और उसे भीगो गई। इसी हड़बड़ाहट में गीत गाना भूल गई।

प्रश्न 9.
तताँरा वामीरो के प्रश्न का जवाब देने के बजाए उससे एक ही आग्रह क्यों किए जा रहा था?
उत्तर-
तताँरा वामीरो के रूप सौंदर्य और मधुर गान में अपनी सुध-बुध खो बैठा था। वह सम्मोहित-सा वामीरो को देखता जा रहा था। सम्मोहन के कारण वामीरो की आवाज या कोई प्रश्न उसे ठीक से सुनाई ही नहीं दे रहा था, इसलिए वह बार-बार तुमने गाना क्यों रोक दिया? गाओ, गीत पूरा करो का आग्रह किए जा रहा था।

प्रश्न 10.
सम्मोहन टूटने और होश आने के बाद तताँरा ने क्या किया?
उत्तर-
सम्मोहन टूटने और होश आने के बाद तताँरा को अपनी गलती का अहसास हुआ। वह वामीरो के सामने रास्ता रोककर निवेदन भरे स्वर में कहने लगा, “मुझे माफ़ कर दो। जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। बस अपना नाम बता दो।”

प्रश्न 11.
तताँरा द्वारा पूछने पर भी वामीरो उसे कोई जवाब क्यों नहीं दे रही थी?
उत्तर-
तताँरा द्वारा पूछने पर भी वामीरो उसे कोई जवाब इसलिए नहीं दे रही थी क्योंकि उसे अपने गाँव की परंपरा का पूरा ध्यान है। वह जानती है कि उसके गाँव के लोग अन्य गाँव में वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं करते हैं। वह केवल अपने गाँव के नवयुवकों के प्रश्नों का जवाब दे सकती है जबकि तताँरा उसके गाँव का नहीं था।

प्रश्न 12.
वामीरो का मन भी तताँरा की ओर आकर्षित हो गया था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पहली ही नज़र में तताँरा को देखते ही वामीरो विस्मित हो गई। उसके मन में कोमल भावना का संचार हो गया। घर पहुँचने पर उसे भीतर ही भीतर बेचैनी-सी महसूस होने लगी। इस बेचैनी से मुक्त होने का उसका प्रयास दिखावा मात्र था। वह झल्लाहट में दरवाजा बंद कर मन को किसी और दिशा में ले जाने का प्रयास करने लगी।

प्रश्न 13.
वामीरो तताँरा को क्यों भूलना चाहती थी ? पर वह चाहकर भी ऐसा क्यों नहीं कर पा रही थी?
उत्तर-
वामीरो को अपने गाँव की रीति का भलीभाँति ज्ञान था कि जिसके अनुसार वह अपने गाँव के अलावा किसी अन्य गाँव के युवक से वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं कर सकती हैं, इसलिए वह तताँरा को भूलना चाहती थी। वह चाहकर भी ऐसा इसलिए नहीं कर सकती थी क्योंकि तताँरा का याचना भरा चेहरा उसकी आँखों के सामने घूम जाता था।

प्रश्न 14.
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा का अगला दिन कैसे बीता?
उत्तर-
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा ने उससे अगले दिन भी आने की याचना की थी। वह वामीरो से बिछड़कर व्यथित था। वामीरो से मिलने की प्रतीक्षा में उसका समय काटना पहाड़ के समान भारी हो रहा था। ऐसे में उसे दिन उत्साहहीन, ठंडा, नीरस और ऊबाऊ प्रतीत हो रहा था।

प्रश्न 15.
वामीरो और तताँरा अगले दिन तो मिले पर वे एक शब्द भी क्यों नहीं बोल पाए?
उत्तर-
वामीरो और तताँरा यद्यपि एक ही बार मिले थे परंतु वे दोनों एक-दूसरे को गहराई से चाहने लगे थे। अपने प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए उनके पास कोई शब्द न था। वे अपने मनोभावों को व्यक्त करने में सर्वथा असमर्थ थे, इसलिए वे मिलकर भी अपने प्रेम की मौन अभिव्यक्ति ही कर सके।

प्रश्न 16.
तताँरा ने अपने क्रोध के शमन के लिए क्या किया?
उत्तर-
वामीरो की माँ और गाँववालों द्वारा अपमानित होने के बाद क्रोधित हो उठा। उसे समझ में नहीं आया कि वह क्या करे। उसने अपनी तलवार निकालकर धरती में पूरी शक्ति से घोंप दी और पूरी शक्ति से धरती को काटने लगा। इससे वह पसीने से लथपथ होकर निढाल हो गया और गिर पड़ा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘तताँरा-वामीरो कथा’ पाठ के आधार पर तताँरा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर-
‘तताँरा-वामीरो कथा’ का नायक तताँरा है जो पासा गाँव का रहने वाला है। उसके चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(क) आकर्षक व्यक्तित्व – तताँरा आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी है। वह शारीरिक रूप से बलिष्ठ, सुंदर और आकर्षक है। उसे देखते ही वामीरो प्रथम मुलाकात में उसकी ओर आकर्षित हो जाती है।

(ख) मानवीय गुणों से युक्त – तताँरा मानवीय गुणों से युक्त है। वह नेक, उदार, सहयोगी और परोपकारी है जो हर किसी की मदद को तत्पर रहता है।

(ग) सम्मान का पात्र – तताँरा अपने व्यवहार एवं सहयोग पूर्ण स्वभाव के कारण द्वीपवासियों के सम्मान का पात्र है। उसे दूसरे गाँव के लोग भी अपने यहाँ निमंत्रित करते हैं।

(घ) दैवीय शक्ति संपन्न व्यक्ति – तताँरा के पास लकड़ी की तलवार थी जो उसे अद्भुत दैवीय शक्ति का स्वामी बनाए हुए थी। इस तलवार की मदद से साहसिक और विलक्षण कार्य करता था, परंतु इसका उपयोग दूसरों का अहित करने के लिए नहीं करता था।

प्रश्न 2.
रूढ़ियों और परंपराओं का बंधन प्रेम की राह में बाधक नहीं बन सकता। तताँरा-वामीरो कथा के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
तताँरा पासा गाँव का सुंदर, साहसी और नेकदिल नवयुवक था और वामीरो लपाती गाँव की जो अंदमान-निकोबार द्वीप समूह का भाग है। वामीरो के गाँव की परंपरा थी कि गाँव के नवयुवक और युवतियाँ अपने ही गाँव में वैवाहिक संबंध स्थापित कर सकते थे, अन्य किसी गाँव में नहीं। एक शाम जब तताँरा शाम के समय सागर तट पर घूम रहा था तो उसने मधुर गायन सुना और उधर गया जहाँ गीत गाती वामीरो को देख वह अपनी सुध-बुध खो बैठा। तताँरा को देखकर वामीरो की भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी। वामीरो अपने गाँव की परंपरा जानती थी फिर भी दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे। वे लोगों द्वारा समझाने पर भी एक दूसरे से प्रेम करते रहे। इससे स्पष्ट होता है कि रूढ़ियों और परंपराओं का बंधन प्रेम की राह में बाधक नहीं बन सकता है।

प्रश्न 3.
तताँरा और वामीरो ने अपने प्रेम के लिए आत्मबलिदान देकर आनेवाली पीढ़ी को नई राह दिखाई। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
तताँरा और वामीरो एक दूसरे को गहराई से प्रेम करते थे। वे जानते थे कि गाँव की परंपरा के अनुसार अलग-अलग गाँव के होने के कारण एक दूसरे के नहीं हो सकते हैं, फिर भी वे नियमपूर्वक मिलते रहे। उन्हें समझाने का प्रयास गाँववालों ने भी किया पर वे अडिग रहे। ‘पासा’ गाँव में आयोजित पशु-पर्व में तताँरा-वामीरो जब परस्पर बातें कर रहे थे तो वामीरो की माँ ने उन्हें देख लिया और खूब अपमानित किया। गाँववालों के सामने अकारण अपमानित किए जाने से तताँरा क्रोधित हो उठा और अपनी जादुई तलवार से धरती चाक करने लगा।

इससे धरती दो भागों में बँट गई। तताँरा एक पर दूसरे पर वामीरो। तताँरा जब वामीरो के पास आना चाहता तो सफल न हुआ और समुद्र में वह गया। कुछ ऐसी ही स्थिति वामीरो के साथ हुई पर इस घटना के बाद निकोबारी अपने गाँव के अलावा अन्य गाँवों से भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे। इस तरह स्पष्ट है कि तताँरा और वामीरो के बलिदान ने आगामी पीढ़ी को नई राह दिखाई।

 

पूर्व वर्षों के प्रश्नोत्तर
2016
अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 1.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 1
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 1a

लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 2.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 2
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 2a

2014
लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 3.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 3
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 3a

Question 4.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 4
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 4a

गद्यांश पर आधारित प्रश्न

Question 5.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 5
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 5a
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 5b

2013
लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 6.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 6
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 6a

Question 7.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 7
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 7a

निबंधात्मक प्रश्न

Question 8.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 8
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 8a

गद्यांश पर आधारित प्रश्न

Question 9.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 9
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 9a

2012
निबंधात्मक प्रश्न

Question 10.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 10
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 10

Question 11.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 11
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 11a

गद्यांश पर आधारित प्रश्न

Question 12.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 12
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 12a

2011
लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 13.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 13
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 13a

Question 14.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 14
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 14a

Question 15.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 15
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 15a

Question 16.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 16
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 16a

निबंधात्मक प्रश्न

Question 17.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 17
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 17a

गद्यांश पर आधारित प्रश्न

Question 18.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 18
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 18a

Question 19.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 19
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 19a
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 19b

2010
गद्यांश पर आधारित प्रश्न

Question 20.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 20
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 20a

Question 21.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 21
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 21a
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 21b

2009
लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 22.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 22
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 22a

गद्यांश पर आधारित प्रश्न

Question 23.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 23
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 23a
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 23b

Question 24.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 24
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 24a
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 24b

Question 25.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 25
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - तताँरा-वामीरो कथा 25a

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