Class 10 Hindi Chapter 14
कक्षा 10 हिंदी पाठ – 14
Girgit (गिरगिट)
Girgit Class 10 Hindi Chapter 14 (गिरगिट), Summary, Notes, Explanation, Questions Answers
Girgit summary of CBSE Class 10 Hindi lesson along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson गिरगिट, all the exercises and Question and Answers given here.
Author Intro – लेखक परिचय
लेखक – अंतोन चेखव
जन्म – 1860 (दक्षिणी रूस, तगनोर नगर)
मृत्यु – 1904
Girgit Class 10 Hindi Chapter Introduction पाठ प्रवेश
अच्छी शासन व्यवस्था वही कहलाती है जो हर तरह से संतुलन बना कर चलाई जाती है। सबको एक सामान देखती है अर्थात किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता। जो भी अन्याय करता है उसके अन्याय को भी न्याय के तराजू में तोला जाता है। अगर शासन व्यवस्था इस तरह की हो तो हर एक व्यक्ति में कानून के प्रति आदर और सम्मान की भावना जाग जाएगी। सभी व्यक्तियों के अंदर इस तरह की न्याय व्यवस्था के कारण निडरता की भावना पैदा हो जाती है। ऐसी शासन व्यवस्था तभी कायम हो सकती है, जब शासन करने वाले बिना किसी भेदभाव के, अपने अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करेंगे। जब कभी भी शासन करने वाले अपना काम सही ढंग से नहीं करते, तब देश में अनियंत्रित एवं विधि विरोधी शासनावस्था का बोलबाला बढ़ जाता है।
1884 में लिखी गई प्रस्तुत पाठ की कहानी में रूस के महान लेखक ने एक ऐसी घटना का वर्णन किया है जब रूस में जार की उपाधि धारक राजाओं के शासन में वहाँ की शासन व्यवस्था चापलूसों और भाई-भतीजावाद के आधार पर तैनात अधिकारियों के भरोसे चल रही थी। वहाँ पर हालात इतने ख़राब थे कि वहाँ के अधिकारी कानून के या आम आदमी की ऐसी शिकायत पर भी सही फ़ैसला नहीं कर पाते थे जिसमें दोषी कोई आदमी नहीं बल्कि कोई खतरनाक कुत्ता ही क्यों न हो। जरूर ऐसी शासन व्यवस्था के लिए ही कवि तुलसीदास ने कहा होगा ‘समरथ को नहिं दोष गुसाई’ अर्थात समर्थवान लोगों का कोई दोष नहीं होता।
Girgit Class 10 Hindi Chapter Summary – पाठ सार
प्रस्तुत पाठ की कहानी में रूस के महान लेखक ने एक ऐसी घटना का वर्णन किया है जब रूस में जार की उपाधि धारक राजाओं के शासन में वहाँ की शासन व्यवस्था चापलूसों के भरोसे चल रही थी।वहाँ पर हालत इतने ख़राब थे कि वहाँ के अधिकारी कानून के या आम आदमी की ऐसी शिकायत पर भी सही फ़ैसला नहीं कर पाते थे जिसमें दोषी कोई आदमी नहीं बल्कि कोई खतरनाक कुत्ता ही हो।
पुलिस इंसपेक्टर ओचुमेलॉव दूसरों से हथियायी बेर की एक किस्म झरबेरियाँ की एक टोकरी को ले कर चौराहे से गुजर रहा था। तो अचानक उसके कानों में कुछ शोर सुनाई पड़ा। ओचुमेलॉव मुड़ा और भीड़ की ओर चल पड़ा। उसने देखा कि एक कुत्ता तीन टाँगों पर रेंगता हुआ आ रहा था वह इसलिए रेंग रहा था क्योंकि एक आदमी ने गिरते-पड़ते किसी तरह से उस कुत्ते की एक टाँग को पकड़ लिया था। वह आदमी अपना दायाँ हाथ ऊपर हवा में उठा कर खड़ा था और वहाँ पर मौजूद लोगों को अपनी खून से लतपथ ऊँगली को दिखा रहा था। ओचुमेलॉव ने उस आदमी को पहचान लिया। वह ख्यूक्रिन नाम का सुनार था । उस भीड़ के बीचोंबीच अपनी अगली टाँगों को फैलाए हुए, नुकीले मुँह वाला और पीठ पर फैले हुए पीले दाग वाला, सफ़ेद रंग का बारजोई नामक प्रजाति का कुत्ता ऊपर से नीचे तक काँप रहा था और अपराधी की तरह नज़र आ रहा था। घटना के बारे में पूछने पर उस आदमी ने बताया कि वह तो चुपचाप अपने रस्ते पर चल रहा था। इतने में अचानक इस कमअक्ल कुत्ते ने बिना किसी कारण के ही उसकी ऊँगली को काट लिया। ख्यूक्रिन की बात सुन कर ओचुमेलॉव कुत्ते के बारे में पूछता है कि वह कुत्ता है किसका। वह इस मामले को छोड़ेगा नहीं। वह उस कमअक्ल आदमी को इतना जुर्माना लगाएगा कि उसको पता चल जयेगा कि कुत्तों और जानवरों को इस तरह कही भी फालतू खुला छोड़ देने का क्या परिणाम हो सकता है। वह अपने सिपाही से पता लगाने को कहता है कि वह पिल्ला किसका है और इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार कर के बिना देरी किए, कुत्ते को मार देने को कह देता है। इतने में भीड़ में से कोई कहता है कि लगता है ये कुत्ता जनरल झिगालॉव का है। ये सुन कर ओचुमेलॉव हड़बड़ा जाता है क्योंकि उसने कुत्ते को मरवाने का आदेश दे दिया था। वह ख्यूक्रिन की तरफ़ मुड़ता है और उससे कहने लगा कि उसको ये बात समझ नहीं आ रही है कि आखिर इस कुत्ते ने उसे कैसे काट लिया। ये उसकी ऊँगली तक आखिर पहुंचा कैसे। ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन को ही कोसते हुए कहता है कि जरूर उसकी ऊँगली में कील इत्यादि लग गई होगी और उसने अचानक ही सोच लिया होगा कि चोट का पूरा इल्जाम कुत्ते पर डाला जाए ताकि उस कुत्ते के मालिक पर दबाव डालकर पैसे वसूल कर सके। सिपाही ध्यान से कुत्ते को देख कर कहता है कि वो कुत्ता जनरल साहब का नहीं है क्योंकि जनरल साहब के पास तो ऐसा कोई कुत्ता नहीं है। जब सिपाही कहता है कि उसे एकदम पक्का विश्वास है कि वो कुत्ता जनरल साहब का नहीं है, तब ओचुमेलॉव फिर से ख्यूक्रिन की ओर हो जाता है और कहता है कि इस कुत्ते ने उसे काटा है तो एक बात को याद रखना है कि इस कुत्ते को किसी भी हालत में छोड़ना नहीं है। इसे हर हालात में मज़ा चखाना ही है। सिपाही फिर से सोचते हुए बोला कि शायद यह जनरल साहब का ही कुत्ता है। कल ही उसने बिलकुल इसी तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था। अब ओचुमेलॉव जानता था कि वह बहुत बार अपनी राय को बदल चूका था इसलिए अब उसने कहा की उस कुत्ते को जरनल साहब के पास ले जाया जाए और अब उन्हीं से पूछा जाए की क्या वह कुत्ता उनका है या नहीं। जब उस कुत्ते के बारे में कोई ठीक से नहीं बता पा रहा था तब ओचुमेलॉव को जनरल साहब के घर में खाना बनाने वाला दिखाई देता है, वह उसको बुलाता है और उससे पता करने की कोशिश करता है। पर बावर्ची मना करते हुए कहता है कि उसने अपनी पूरी ज़िन्दगी में इस तरह के कुत्ते को जरनल साहब के घर में नहीं देखा है। यह सब सुनकर ओचुमेलॉव कहता है की अब और ज्यादा जानने की जरुरत नहीं है। वह कुत्ता फालतू है, अब इस कुत्ते को मार कर सारी घटना को ही ख़त्म कर देना चाहिए। इस पर बावर्ची प्रोखोर कहता है कि यह कुत्ता जनरल साहब का नहीं है, परन्तु यह उनके भाई का है। जब ओचुमेलॉव को पता चला की जनरल का भाई आया है तो ओचुमेलॉव बावर्ची से कहता है कि थोड़ा सोच कर देखो कि जनरल साहब के भाई साहब जनरल साहब से मिलने आए हैं और वह इतना भी नहीं जनता। और ये कुत्ता उनका है। ये जान कर बहुत ख़ुशी हुई, ले जाइए इसे, ये तो बहुत ही सूंदर कुत्ता है। प्रोखोर कुत्ते को सँभालकर काठगोदाम से बाहर चला जाता है और भीड़ ख्यूक्रिन की हालत पर हँसने लगती है। ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन को डराते हुए कहता है की वह उससे बाद में निपटेगा और अपने लम्बे चोगे को शरीर पर डालता हुआ, बाजार के उस चैराहे को पार करता हुआ अपने रास्ते पर निकल जाता है।
बार-बार अपनी बात से पलटने और बड़े अधिकारियों के कुत्ते तक की सिफ़ारिश करने कारण इस पाठ का नाम गिरगिट रखा गया है। और ऐसी शासन व्यवस्था के लिए ही कवि तुलसीदास ने कहा होगा ‘समरथ को नहिं दोष गुसाई’ अर्थात समर्थवान लोगों का कोई दोष नहीं होता।
Girgit Class 10 Hindi Chapter Explanation – पाठ व्याख्या
हाथ में बंडल थामे, पुलिस इंसपेक्टर ओचुमेलॉव नया ओवरकोट पहने हुए, बाजार के चौराहे से गुजरा। उसके पीछे, अपने हाथों में, जब्त की गई झरबेरियों की टोकरी उठाए, लाल बालों वाला एक सिपाही चला आ रहा था। चारों ओर ख़ामोशी थी….. चौराहे पर किसी आदमी का निशान तक नहीं था। दुकानों के खुले दरवाज़े, भूखे जबड़ों की तरह, भगवान की इस सृष्टि को उदास निगाहों से ताक रहे थे। कोई भिखारी तक उनके आस-पास नहीं दिख रहा था।
बंडल – गठ्ठा
ओवरकोट – बड़ा कोट
जब्त – कब्ज़ा करना या हथिया लेना
झरबेरियाँ – बेर की एक किस्म
हाथों में गठ्ठा थामे हुए, पुलिस इंसपेक्टर ओचुमेलॉव अपना नया बड़ा कोट पहन कर, बाजार के चौराहे से गुजर रहा था। उसके पीछे एक लाल बालों वाला एक सिपाही चल रहा था, जिसके हाथों में एक टोकरी थी जिसमें बेर की एक किस्म झरबेरियाँ थी, जिसको उन्होंने दूसरों से हथिया लिया था। चारों ओर ख़ामोशी थी अर्थात कोई शोर सुनाई नहीं दे रहा था। चौराहे पर कोई भी आदमी दिखाई नहीं दे रहा था। दुकानों के खुले हुए दरवाजे ऐसे लग रहे थे जैसे भूख के कारण उनका मुँह खुला हुआ हो क्योंकि कोई भी उनके अंदर खरीददारी करने नहीं जा रहा था और लग रहा था जैसे वे भगवान के द्वारा बनाई इस दुनिया को उदास नजरों से देख रहे हों। यहाँ तक की कोई भिखारी भी उनके आस-पास नहीं भटक रहा था।
सहसा ओचुमेलॉव के कानों में एक आवाज़ गूँजी- “तो तू कटेगा? तू? शैतान कहीं का! ओ छोकरो! इसे मत जाने दो। इन दिनों काट खाना मना है। पकड़ लो इस कुत्ते को। आह….!”
तब किसी कुत्ते के किकियाने की आवाज़ सुनाई दी। ओचुमेलॉव ने उस आवाज की दिशा में घूमकर घुरा और पाया की एक व्यापारी पिचूगिन के काठगोदाम में से एक कुत्ता तीन टाँगों के बल पर रेंगता चला आ रहा है। छींट की कलफ़ लगी कमीज़ और बिना बटन की वास्केट पहने हुए, एक व्यक्ति कुत्ते के पीछे दौड़ रहा था। गिरते-पड़ते उसने कुत्ते को पिछली टाँग से पकड़ लिया। फिर कुत्ते का किकियाना और एक चीख- “मत जाने दो ” दुबारा सुनाई दी। दुकानों में ऊँघते हुए
चेहरे बाहर झांके और देखते ही देखते, जैसे जमींन फाड़ कर निकल आई एक भीड़, काठगोदाम को घेरकर खड़ी हो गई।
किकियाना – कष्ट में होने पर कुत्ते द्वारा की जाने वाली आवाज़
घुरना – देखना
काठगोदाम – लकड़ी के गोदाम
कलफ़ – मांड लगाया हुआ कपड़ा
ऊँघ – हल्की नींद में होने की अवस्था
लेखक कहता है कि जब ओचुमेलॉव चौराहे से गुजर रहा था तो अचानक ओचुमेलॉव के कानों में एक आवाज़ सुनाई पड़ी जैसे कोई किसी से कह रहा था कि अब तू काटेगा? तू, शैतान कही का! फिर किसी लड़के को आवाज देता हुआ कि अरे! ओ लड़के उसको मत जाने दो। आजकल काट खाना बिलकुल मना है। इस कुत्ते को पकड़ लो। फिर कुछ इस तरह की आवाजे आई जैसे कुत्ता कष्ट के मारे चिल्ला रहा हो। ओचुमेलॉव जब उस दिशा की ओर मुड़ा जिस ओर से आवाज आ रही थी, तो उसने देखा कि पिचूगिन नाम के व्यापारी के लकड़ी के गोदाम में से एक कुत्ता तीन टाँगों के सहारे रेंगता हुआ आ रहा था।
कुत्ता तीन टाँगों पर इसलिए रेंग रहा था क्योंकि मांड लगी हुई छींट की कमीज़ और बिना बटन की वास्केट पहने हुए, एक आदमी उस कुत्ते के पीछे दौड़ रहा था और उसने गिरते-पड़ते किसी तरह से उस कुत्ते की एक टाँग को पकड़ लिया था। फिर दुबारा से कुत्ते की वही कष्ट से भरी हुई चीख और उस आदमी का दुबारा चिल्लाना कि ‘मत जाने दो’ सुनाई दिया। शोर को सुन कर दुकानों में से कुछ चेहरे बाहर देखने लगे जो लग रहा था कि आधी नींद से जागे हों और देखते-ही-देखते थोड़ी देर में ही न जाने कहाँ से लकड़ी के गोदाम के इर्द-गिर्द भीड़ खड़ी हो गई, ऐसा लग रहा था मानो वो भीड़ जमीन फाड़ कर आई हो।
“हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है”,सिपाही ने कहा।
ओचुमेलॉव मुड़ा और भीड़ की तरफ चल दिया। उसने काठगोदाम के पास बटन विहीन वास्केट धारण किए हुए उस आदमी को देखा, जो अपना दायाँ हाथ उठाए वहाँ मौजूद था तथा उपस्थित लोगों को अपनी लहूलुहान उँगली दिखा रहा था उसके नशीले-से हो आए चेहरे पर साफ़ लिखा दिख रहा था- “शैतान की औलाद! मैं तुझे छोड़ने वाला नहीं!
और उसकी उँगली भी जीत के झंडे की तरह गड़ी दिखाई दे रही थी। ओचुमेलॉव ने इस व्यक्ति को पहचान लिया। वह ख्यूक्रिन नामक सुनार था और इस भीड़ के बीचोंबीच, अपनी अगली टाँगे पसारे, नुकीले मुँह और पीठ पर फैले पीले दागवाला, अपराधी-सा नजर आता, सफ़ेद बारज़ोई पिल्ला, ऊपर से निचे तक काँपता पसरा पड़ा था। उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आंतक की गहरी छाप थी।
जनशांति भंग – लोगों की शान्ति में दखल
विहीन – बिना
धारण – पहनना
लहूलुहान – खून से लतपथ
पसारना – फैलाना
बारज़ोई – कुत्ते की एक प्रजाति
शोर और भीड़ को देख कर सिपाही ओचुमेलॉव से कहता है कि साहब, यह तो ऐसा दिखाई पड़ रहा है जैसे लोगो की शांति को भंग किया जा रहा है। यह सुन कर ओचुमेलॉव मुड़ा और भीड़ की ओर चल पड़ा। जब वह लकड़ी के गोदाम के पास पंहुचा तो उसने वहाँ बिना बटन वाली वास्केट को पहने हुए एक आदमी देखा, जो वहाँ पर अपना दायाँ हाथ ऊपर हवा में उठा कर खड़ा था और वहाँ पर मौजूद लोगों को अपनी खून से लतपथ ऊँगली दिखा रहा था। उसका चेहरा गुस्से से ऐसे लाल हो गया था जैसे नशे में डूबे व्यक्ति का होता है और उसके चेहरे को देख कर साफ लग रहा था कि जैसे वह कुत्ते से कह रहा हो कि शैतान की औलाद वह उसे छोड़ने वाला नहीं है। और उस व्यक्ति की ऊँगली भी ऐसे दिखाई पड़ रही थी जैसे किसी ने जीत का झंडा गाड़ दिया हो। ओचुमेलॉव ने उस आदमी को पहचान लिया। वह ख्यूक्रिन नाम का सुनार था और उस भीड़ के बीचोंबीच अपनी अगली टाँगों को फैलाए हुए, नुकीले मुँह वाला और पीठ पर फैले हुए पीले दाग वाला, सफ़ेद रंग का बारजोई नमक प्रजाति का कुत्ता ऊपर से नीचे तक काँप रहा था और अपराधी की तरह नज़र आ रहा था। उसकी आँखे आँसुओं से भरी हुई थी और उसमें खतरे और डर का मिश्रण दिखाई दे रहा था।
“यह सब क्या हो रहा है?” भीड़ को चीरते हुए ओचुमेलॉव ने सवाल किया-“तुम सब लोग इधर क्या कर रहे हो? तुमने अपनी यह ऊँगली ऊपर क्यों उठा रखी है? चिल्ला कौन रहा था?”
“हुज़ूर! मैं तो चुपचाप चला जा रहा था,” मुँह पर हाथ रखकर खाँसते हुए ख्यूक्रिन ने कहा- “मुझे मित्री मित्रिच से लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाना था, तब अचानक इस कम्बख्त ने अकारण मेरी ऊँगली काट खाई। माफ़ करें। आप तो जानते हैं मैं ठहरा कामकाजी आदमी….. मेरा काम भी एकदम पेचीदा किस्म का है। मुझे लग रहा है एक हफ्ते तक मेरी यह ऊँगली अब काम करने लायक नहीं हो पाएगी। तो हुज़ूर! मेरी गुजारिश है कि इसके मालिकों से मुझे हरज़ाना तो दिलवाया जाए। यह तो किसी कानून में नहीं लिखा है हुज़ूर कि आदमखोर जानवर हमें काट खाएँ और हम उन्हें बरदाश्त करते रहें। अगर हर कोई इसी तरह काट खाना शुरू कर दे तो यह जिंदगी तो नर्क हो जाए…..”
निपटाना – ख़त्म करना था
कम्बख्त – कमसमझ
अकारण – बिना किसी कारण
पेचीदा – जटिल / कठिन
गुजारिश – प्रार्थना
हरज़ाना – हानि होने पर उसके बदले में दिया जानेवाला धन
आदमखोर – आदमियों को खाने वाला
बरदाश्त – झेलना
जब ओचुमेलॉव वहाँ भीड़ के पास पहुँचा तो उसने कई प्रश्न एक साथ किए जैसे- यह सब क्या हो रहा है? तुम सब लोग इधर क्या कर रहे हो? तुमने अपनी यह ऊँगली ऊपर क्यों उठा रखी है? चिल्ला कौन रहा था?
इन प्रश्नों के उत्तर में ख्यूक्रिन मुँह पर हाथ रखकर खाँसते हुए कहता है कि साहब, वह तो चुपचाप अपने रस्ते पर चल रहा था। उसे मित्री मित्रिच से लकड़ी लेकर अपना कुछ काम ख़त्म करना था। इतने में अचानक इस कमअक्ल कुत्ते ने बिना किसी कारण के ही उसकी ऊँगली को काट लिया। फिर ख्यूक्रिन ओचुमेलॉव से माफ़ी मांगते हुए कहता है कि वह तो रोजमर्रा का काम करने वाला एक छोटा आदमी है और उसका काम भी बहुत ज्यादा कठिन है। ख्यूक्रिन आगे कहता है कि उसे लग रहा है कि उसकी ऊँगली एक हफ्ते से पहले काम करने योग्य नहीं हो पाएगी। इसलिए वह ओचुमेलॉव से प्रार्थना करता है कि उसे उस कुत्ते के मालिक से हानि होने पर उसके बदले में दिया जाने वाला धन दिलवाया जाए। ख्यूक्रिन ओचुमेलॉव से कहता है कि यह तो किसी कानून में नहीं लिखा है कि आपको कोई आदमखोर जानवर काट खाएँ और आप चुप-चाप सहन करते जाएँ। अगर इसी तरह सभी काट खाते रहे तो इंसानों की जिंदगी तो नर्क ही बन जाएगी।
“हूँ.. ठीक है, ठीक है,” ओचुमेलॉव ने अपना गला खँखारते और अपनी त्योरियाँ चढ़ाते हुए कहा- “ठीक है यह तो बताओ कि यह कुत्ता किसका है। मैं इस मामले को छोड़ने वाला नहीं हूँ। कुत्ते को इस तरह आवारा छोड़ देनी का मज़ा मैं इसके मालिकों को चखाकर रहूँगा। जो कानून का पालन नहीं करते, अब उन लोगों से निबटने का वक्त आ गया है। उस बदमाश आदमी को मैं इतना जुर्माना ठोकूँगा ताकि उसे इल्म हो जाये कि कुत्तों और जानवरों को इस तरह आवारा छोड़ देने का क्या नतीज़ा होता है? मैं उसे ठीक करके रहूँगा,” तब सिपाही की तरफ मुड़कर उसने अपनी बात जारी रखी- “येल्दीरीन! पता लगाओ यह पिल्ला किसका है और इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करो। इस कुत्ते को बिना देर किए ख़त्म कर दिया जाए। शायद यह पागल हो…. मैं पूछ रहा हूँ आखिर यह किसका कुत्ता है?”
खँखारना – गला साफ़ करना
त्योरियाँ – भौहें चढ़ाना
निबटना – समाधान
इल्म – जानकारी / ज्ञान
नतीज़ा – परिणाम
ख्यूक्रिन की बात सुन कर ओचुमेलॉव अपना गला साफ करता है और अपनी भौंहों को चढ़ाते हुए कहता है कि ये सब तो ठीक है परन्तु यह तो बताओ कि यह कुत्ता है किसका। ओचुमेलॉव कहता है कि वह इस मामले को छोड़ेगा नहीं। अपने कुत्ते को इस तरह फालतू खुला छोड़ने का मज़ा तो वह उस कुत्ते के मालिक को जरूर देगा। ओचुमेलॉव कहता है कि जो लोग कानून का पालन नहीं करते हैं उनका समाधान करने का समय आ गया है। वह उस कमअक्ल आदमी को इतना जुर्माना लगाएगा कि उसको पता चल जयेगा कि कुत्तों और जानवरों को इस तरह कही भी फालतू खुला छोड़ देने का क्या परिणाम हो सकता है। वह उस इंसान को सबक सिखा कर रहेगा। ये बातें कहता हुआ ओचुमेलॉव सिपाही की ओर मुड़ता है और सिपाही से कहता है कि येल्दीरीन! पता लगाओ यह पिल्ला किसका है और इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करो। बिना देरी किए इस कुत्ते को मार दो। क्या पता यह कुत्ता पागल हो। ओचुमेलॉव एक बार फिर से पूछता है कि कुत्ता आखिर है किसका?”
“मेरे ख्याल में यह जनरल झिगालॉव का है,” भीड़ में से एक आवाज उभर कर आई।
“जनरल झिगालॉव! हूँ येल्दीरीन, मेरा कोट उतरवाने में मेरी मदद करो… ओफ्फ़! आज कितनी गरमी है। लग रहा है बारिश हो कर रहेगी,” वह ख्यूक्रिन की तरफ़ मुड़ा- “एक बात मेरी समझ में नहीं आती-आखिर इसने तुम्हें कैसे काट खाया? यह तुम्हारी ऊँगली तक पहुँचा कैसे? तू इतना लम्बा-तगड़ा आदमी और यह रत्ती भर का जानवर! जरूर ही तेरी ऊँगली में कोई कील वगैरह गड़ गई होगी और तत्काल तूने सोचा होगा कि इसे कुत्ते के मत्थे मढ़कर कुछ हरज़ाना वगैरह ऐंठकर फ़ायदा उठा लिया जाए। मैं तेरे जैसे शैतान लोगों को अच्छी तरह समझता हूँ।”
“इसने अपनी जलती सिगरेट से इस कुत्ते की नाक यूँ ही जला डाली होगी, हुज़ूर! वरना यह कुत्ता बेवकूफ़ है क्या जो इसे काट खाता!” येल्दीरीन ने कहा- “हुज़ूर! मैं जानता हूँ यह ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है।”
वगैरह – आदि, इत्यादि
तत्काल – अचानक
ऐंठना – दबाव डालकर पैसे वसूल करना
जब ओचुमेलॉव सब लोगों से पूछ रहा था कि कुत्ता किसका है तो भीड़ में से किसी ने जवाब दिया कि लगता है ये कुत्ता जनरल झिगालॉव का है। ये सुन कर ओचुमेलॉव हड़बड़ा गया क्योंकि उसने कुत्ते को मरवाने के लिए तक कह दिया था और जब उसे बताया गया कि वह कुत्ता जनरल झिगालॉव का है तो ओचुमेलॉव हड़बड़ाहट में अपने सिपाही से कहने लगा कि येल्दीरीन उसका कोट उतरवाने में उसकी मदद करो क्योंकि उसको बहुत गर्मी लग रही है और लगता है बारिश जरूर होगी। ऐसा कहकर वह ख्यूक्रिन की तरफ़ मुड़ा और उससे कहने लगा कि उसको ये बात समझ नहीं आ रही है कि आखिर इस कुत्ते ने उसे कैसे काट लिया? ये उसकी ऊँगली तक आखिर कैसे पहुंचा? वह इतना लम्बा-चौड़ा है और वो कुत्ता बेचारा रत्ती भर छोटा सा, ये उसको कैसे काट सकता है? ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन को ही कोसते हुए कहता है कि जरूर उसकी ऊँगली में कील इत्यादि लग गई होगी और उसने अचानक ही सोच लिया होगा कि चोट का पूरा इल्जाम कुत्ते पर डाला जाए ताकि उस कुत्ते के मालिक पर दबाव डालकर पैसे वसूल कर सके। वह उन जैसे शैतान और बुरे इंसानों को जानता है जो इस तरह के काम करते हैं। इस पर येल्दीरीन जो ओचुमेलॉव का सिपाही है वो भी उसका साथ देते हुए कहता है कि वह इस ख्यूक्रिन को जनता है ये हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है। इसी ने अपनी जलती सिगरेट से इस कुत्ते की नाक को जलाया होगा, वरना ये कुत्ता बेवकूफ़ थोड़ी न है जो इसको इस तरह से काट लेता।
“अबे, ओ काने की औलाद! तूने मुझे ऐसा करते जब देखा ही नहीं तो झूठ-मूठ में सब क्यों बके जा रहा है? हुज़ूर तो खुद बुद्धिमान आदमी हैं और बखूबी जानते हैं कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। यदि मैं झूठ बोलता पाया जाऊँ तो मुझ पर अदालत में मुकदमा ठोक दो। कानून सम्मत तो यही है….. कि सब लोग अब बराबर हैं। मैं, यदि आप चाहें तो यह भी बता दूँ कि मेरा एक भाई भी पुलिस में हैं… “
“बकवास बंद करो!”
“नहीं! यह जनरल साहब का कुत्ता नहीं है,” सिपाही ने गंभीरतापूर्वक टिप्पणी की- “जनरल साहब के पास ऐसा कोई कुत्ता नहीं है। उनके तो सभी कुत्ते पोंटर हैं।”
“तुम विश्वास से कह रहे हो?”
“एकदम हुज़ूर!”
काना – अन्धा
बखूबी – अच्छी तरह से
सम्मत – माना गया / सहमत
टिप्पणी – संक्षिप्त रूप
येल्दीरीन के ये कहने पर कि ख्यूक्रिन ने अपनी जलती सिगरेट से इस कुत्ते की नाक को जलाया होगा, तभी कुत्ते ने उसे काटा है, ख्यूक्रिन गुस्से में आ जाता है और येल्दीरीन को कहता है कि जब उसने उसे ऐसा कुछ करते हुए देखा ही नहीं है तो वह झूठ क्यों बोल रहा है। और ओचुमेलॉव को बुद्धिमान बताते हुए कहता है कि साहब तो बहुत बुद्धिमान हैं और उनको अच्छी तरह से पता है कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। और अगर उनको लगता है कि वह झूठ बोल रहा है तो उस पर अदालत में मुकदमा चला दो। कानून का तो यही मानना है कि अब सभी बराबर हैं। और वह ओचुमेलॉव को बताता है कि उसका एक भाई पुलिस में भी है । ऐसा इसलिए कहता है ताकि ओचुमेलॉव जान जाए की उसकी पहुँच भी पुलिस तक है और ओचुमेलॉव उसके साथ न्याय करने में ढील न दिखाए। परन्तु ओचुमेलॉव उससे कहता है कि वह फालतू की बातें न करें। इतने में सिपाही ध्यान से कुत्ते को देख कर कहता है कि वो कुत्ता जनरल साहब का नहीं है क्योंकि जनरल साहब के पास तो ऐसा कोई कुत्ता नहीं है। उनके तो सभी कुत्ते पोंटर नाम की नस्ल के हैं। ओचुमेलॉव सिपाही से कहता है कि क्या उसको पूरा विश्वास है कि वो कुत्ता जनरल साहब का नहीं है। तो सिपाही हामी भरते हुए कहता है कि उसे एकदम पक्का विश्वास है कि वो कुत्ता जनरल साहब का नहीं है।
“तुम सही कहते हो। जनरल साहब के सभी कुत्ते मँहगे और अच्छी नस्ल के हैं, और यह- ज़रा इस पर नजर तो दैड़ाओ। कितना भद्दा और मरियल-सा पिल्ला है। कोई सभ्य आदमी ऐसा कुत्ता काहे को पालेगा? तुम लोगों का दिमाग ख़राब तो नहीं हो गया है। यदि इस तरह का कुत्ता मॉस्को या पीटर्सवर्ग में दिख जाता, तो मालूम हो उसका क्या हश्र होता? तब कानून की परवाह किए बगैर इसकी छुट्टी कर दी जाती। तुझे इसने काट खाया है, तो प्यारे एक बात गाँठ बाँध ले, इसे ऐसे मत छोड़ देना। इसे हर हालत में मज़ा चखवाया जाना जरुरी है। ऐसे वक्त में….”
“शायद यह जनरल साहब का ही कुत्ता है।” गंभीरता से सोचते हुए सिपाही ने कहा- “इसे देख लेने भर से तो नहीं कहा जा सकता कि यह उनका नहीं है। कल ही मैंने बिलकुल इसी तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था।”
“हाँ! यह जनरल साहब का ही तो है,” भीड़ में से एक आवाज उभर कर आई।
भद्दा – बदसूरत / गन्दा
मरियल – कमज़ोर
सभ्य – शिष्ट / भला आदमी
हश्र – हाल
गाँठ बाँध लेना – स्मरण या याद रखना
जब सिपाही कहता है कि उसे एकदम पक्का विश्वास है कि वो कुत्ता जनरल साहब का नहीं है, तब ओचुमेलॉव फिर से ख्यूक्रिन की ओर हो जाता है और कहता है कि सिपाही सही कह रहा है। जनरल साहब के सभी कुत्ते मँहगे और अच्छी नस्ल के हैं, और इस कुत्ते को ध्यान से देखो। ये कितना बदसूरत और कमजोर है। कोई भी भला और समृद्ध आदमी ऐसा कुत्ता क्यों पालेगा? सभी का दिमाग ख़राब हो गया है जो इस कुत्ते को जरनल साहब का कुत्ता कह रहे हैं। अगर इस तरह का कुत्ता मॉस्को या पीटर्सवर्ग में दिख जाता, तो वहाँ पर किसी भी कानून की कोई परवाह किये बिना इसे मार दिया जाता। ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन से कहता है कि इस कुत्ते ने उसे काटा है तो एक बात को याद रखना है कि इस कुत्ते को किसी भी हालत में छोड़ना नहीं है। इसे हर हालात में मज़ा चखाना ही है। अभी ओचुमेलॉव की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि सिपाही फिर से सोचते हुए बोला कि शायद यह जनरल साहब का ही कुत्ता है। इस कुत्ते को सिर्फ देख कर कुछ नहीं कहा जा सकता कि यह उनका कुत्ता है की नहीं। कल ही उसने बिलकुल इसी तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था। सिपाही की बात को सही ठहराते हुए भीड़ में से कोई बोला कि हाँ, यह कुत्ता जनरल साहब का ही तो है।
“हूँ! येल्दीरीन, मेरा कोट पहन लेने में ज़रा मेरी मदद करो। मुझे इस हवा से ठण्ड लगने लगी है। इस कुत्ते को जरनल साहब के पास ले जाओ और पता लगाओ कि क्या यह उन्ही का तो नहीं है? उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापिस उनके पास भेजा है। और उनसे यह भी विनती करना कि वे इसे गली में चले आने से रोकें। लगता है कि यह काफ़ी मँहगा प्राणी है, और यदि हाँ, हर गुंडा-बदमाश इसके नाक में जलती सिगरेट घुसेड़ने लगे, तो यह तबाह ही हो जाएगा। तुम्हें मालूम है कुत्ता कितना नाज़ुक प्राणी है। और तू अपना हाथ नीचे कर बे! गधा कहीं का। अपनी इस भद्दी ऊँगली को दिखाना बंद कर। यह सब तेरी अपनी गलती है….”
विनती – प्रार्थना
तबाह – बर्बाद
नाज़ुक – कोमल
जब सिपाही ने फिर सोच कर बोला कि शायद यह जनरल साहब का ही कुत्ता है, तो ओचुमेलॉव फिर से हड़बड़ा गया और फिर से उल्टी-सीधी बातें करने लगा जैसे- अपने सिपाही से कोट पहनाने में मदद करने को कहने लगा क्योंकि अब उसे हवा के कारण ठण्ड लग रही थी। वह बहुत बार अपनी राय को बदल चुका था इसलिए अब उसने कहा की उस कुत्ते को जरनल साहब के पास ले जाया जाए और अब उन्हीं से पूछा जाए की क्या वह कुत्ता उनका है या नहीं? यदि उनका हो तो उनसे कहना कि यह ओचुमेलॉव को मिला है और उसने इसे वापिस उनके पास भेजा है। और उनसे यह भी प्रार्थना करना कि वे इसे गली में आने से रोकें क्योंकि देखने से ही लग रहा है कि यह बहुत मँहगा है और अगर यह इसी तरह गलियों में घूमेगा तो गुंडे-बदमाश इसके नाक में जलती सिगरेट घुसेड़ने लगेंगे और इसकी खूबसूरती बरबाद हो जाएगी। ओचुमेलॉव वहाँ मैजूद लोगो को कहता है कि क्या उनको पता भी है कि कुत्ता कितना कोमल प्राणी होता है। फिर ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन से कहता है कि वह अपना हाथ निचे कर दें और अपनी गन्दी ऊँगली को दिखाना बंद कर दे। ये सब जो उसके साथ हुआ है वह उसी की गलती की वजह से हुआ है।
“उधर देखो, जनरल साहब का बावर्ची आ रहा है। ज़रा उससे पता लगाते हैं…. ओ प्रोखोर! इधर आना भाई। इस कुत्ते को तो पहचानो….. क्या यह तुम्हारे यहाँ का है?”
“एक बार फिर से तो कहो! इस तरह का पिल्ला तो हमने कई ज़िन्दगियों में नहीं देखा होगा।”
“अब अधिक जाँचने की जरुरत नहीं है,” ओचुमेलॉव ने कहा- “यह आवारा कुत्ता है। इसके बारे में इधर खड़े होकर चर्चा करने की जरुरत नहीं है। मैं तुमसे पहले ही कह चुका हूँ कि यह आवारा है, तो है। इसे मार डालो और सारा किस्सा ख़त्म!”
“यह हमारा नहीं है,” प्रोखोर ने आगे कहा- “यह तो जनरल साहब के भाई का है, जो थोड़ी देर पहले इधर पधारे हैं। अपने जनरल साहब को ‘बारजोयस’ नस्ल के कुत्तों में कोई दिलचस्पी नहीं है पर उनके भाई को यही नस्ल पसंद है।”
बावर्ची – खाना बनाने वाला
आवारा – फालतू
किस्सा – कहानी / घटना
दिलचस्पी – शौक
नस्ल – जाति / वंश
जब उस कुत्ते के बारे में कोई ठीक से नहीं बता पा रहा था तब ओचुमेलॉव को जनरल साहब के घर में खाना बनाने वाला दिखाई देता है, वह उसको बुलाता है और उससे पता करने की कोशिश करता है। ओचुमेलॉव उससे पूछता है कि ज़रा वह उस कुत्ते को पहचान कर बताये क्या वह जनरल साहब का है? इस पर बावर्ची मना करते हुए कहता है कि उसने अपनी पूरी ज़िन्दगी में इस तरह के कुत्ते को जरनल साहब के घर में नहीं देखा है।
यह सब सुनकर ओचुमेलॉव कहता है की अब और ज्यादा जानने की जरुरत नहीं है। वह कुत्ता फालतू है, उसके बारे में यहाँ भीड़ लगाकर बात करने की जरुरत नहीं है और उसने तो पहले ही बताया था कि वह कुत्ता फालतू है। अब इस कुत्ते को मार कर सारी घटना को ही ख़त्म कर देना चाहिए। इस पर बावर्ची प्रोखोर कहता है कि यह कुत्ता जनरल साहब का नहीं है, परन्तु यह उनके भाई का कुत्ता है। जो थोड़ी देर पहले जनरल साहब के पास आये हैं। जनरल साहब को ‘बारजोयस’ प्रजाति के कुत्तों का कोई शौक नहीं है, परन्तु उनके भाई को तो यही प्रजाति पसंद है।
“क्या? क्या जनरल साहब के भाई साहब पधार चुके हैं? वाल्दीमीर इवानिच?” आह्लाद से सन आए अपने चेहरे को समेटते हुए, ओचुमेलॉव ने हैरानी के भाव प्रदर्शन के साथ कहा- “कितना अद्भुत संयोग रहा। और मुझे मालूम तक नहीं। अभी कुछ दिन रुकेंगे?”
“हाँ! यह सही है।”
“तनिक सोचो! वे अपने भाई साहब से मिलने पधारे हैं और मैं इतना भी नहीं जानता। तो यह उनका कुत्ता है। बहुत ख़ुशी हुई…. इसे ले जाइए…. यह तो एक अति सुंदर ‘डॉगी’ है। यह इसकी ऊँगली पर झपट पड़ा था? हा-हा-हा! बस-बस! अब काँपना बंद कर भाई! गर्र-गर्र….. नन्हा-सा शैतान गुस्से में है….. बहुत खूबसूरत पिल्ला है।”
प्रोखोर कुत्ते को सँभालकर काठगोदाम से बाहर चला गया भीड़ ख्यूक्रिन की हालत पर हँस दी।
“मैं तुझे अभी ठीक करता हूँ!” ओचुमेलॉव ने उसे धमकाया और अपने लम्बे चोगे को शरीर पर डालता हुआ, बाजार के उस चैराहे को काटकर अपने रास्ते पर चला गया।
आह्लाद – प्रसन्नता
प्रदर्शन – दिखाना
तनिक – थोड़ा
धमकाया – डराना / भय दिखाना
जब ओचुमेलॉव को पता चला की जनरल का भाई आया है तो वह ख़ुशी से जरनल के बावर्ची से पूछने लगा कि क्या सच में जनरल साहब के भाई साहब वाल्दीमीर इवानिच आये हुए है? फिर अपने चेहरे पर आई ख़ुशी को छुपाते हुए और अपने चेहरे पर बनावटी हैरानी की भावनाओं के साथ कहता है कि कितनी आश्चर्य की बात है और उसे कुछ पता भी नहीं। फिर पूछता है की अभी तो वे कुछ दिन जरनल साहब के पास ही रुकेंगे न? बावर्ची हामी भरते हुए कहता है कि ओचुमेलॉव सही कह रहा है। ओचुमेलॉव बावर्ची से कहता है कि थोड़ा सोच कर देखो कि जनरल साहब के भाई साहब जनरल साहब से मिलने आए हैं और वह इतना भी नहीं जनता। और ये कुत्ता उनका है। ओचुमेलॉव कहता है कि जान कर बहुत ख़ुशी हुई, ले जाइए इसे, ये तो बहुत ही सूंदर कुत्ता है। ओचुमेलॉव हँसता हुआ ख्यूक्रिन को देखता है और कहता है की वह कुत्ता ख्यूक्रिन की ऊँगली पर झपट पड़ा था। फिर ओचुमेलॉव कुत्ते को प्यार करते हुए कहता है कि वह काँपना बंद कर दे। कुत्ता गर्र-गर्र की आवाज करके गुस्सा दिखाता है और ओचुमेलॉव फिर प्यार दिखता हुआ कहता है कि वह तो नन्हा शैतान है जो गुस्से में है और वह एक बहुत ही सुंदर पिल्ला है। प्रोखोर कुत्ते को सँभालकर काठगोदाम से बाहर चला जाता है और भीड़ ख्यूक्रिन की हालत पर हँसने लगती है। ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन को डराते हुए कहता है की वह उससे बाद में निपटेगा और अपने लम्बे चोगे को शरीर पर डालता हुआ, बाजार के उस चैराहे को पार करता हुआ अपने रास्ते पर निकल जाता है।
Girgit Class 10 Hindi Chapter Questions Answers – प्रश्न अभ्यास
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
प्रश्न 1 – ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की क्या दलील दी?
उत्तर – ख्यूक्रिन ने कहा की वह तो रोजमर्रा का काम करने वाला एक छोटा आदमी है और उसका काम भी बहुत ज्यादा कठिन है। उसे लग रहा है कि उसकी ऊँगली एक हफ्ते से पहले काम करने योग्य नहीं हो पाएगी। इसलिए वह ओचुमेलॉव से प्रार्थना करता है कि उसे उस कुत्ते के मालिक से हानि होने पर उसके बदले में दिया जाने वाला धन दिलवाया जाए।
प्रश्न 2 – ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को ऊँगली ऊपर उठाने का क्या कारण बताया?
उत्तर – ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को ऊँगली ऊपर उठाने का कारण बताया कि उसे लकड़ी लेकर अपना कुछ काम ख़त्म करना था। इतने में अचानक उस कमअक्ल कुत्ते ने बिना किसी कारण के ही उसकी ऊँगली को काट लिया।
प्रश्न 3 – येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए क्या कहा?
उत्तर – येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए कहा कि ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है। इसी ने अपनी जलती सिगरेट से इस कुत्ते की नाक को जलाया होगा, वरना ये कुत्ता बेवकूफ़ थोड़ी न है जो इसको इस तरह से काट लेता।
प्रश्न 4 – ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के पास यह सन्देश क्यों भिजवाया होगा कि ‘उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापिस उनके पास भेजा है’?
उत्तर – ओचुमेलॉव एक चापलूस किस्म का सिपाही था। जनरल साहब के पास यह सन्देश कि उनका कुत्ता उसे मिला और उसी ने उनके पास उसको भेजा है इसलिए भिजवाया ताकि जरनल साहब की नजरों में वह खुद को बेहतरीन साबित कर सकें।
प्रश्न 5 – भीड़ ख्यूक्रिन पर क्यों हँसने लगती है?
उत्तर – भीड़ ख्यूक्रिन पर इसलिए हँसने लगती है क्योंकि ख्यूक्रिन मुआवज़े की बात कर रहा था और अंत में उसे कुछ भी नहीं मिला और ओचुमेलॉव के पल-पल बदलते व्यवहार से लग रहा था जैसे वह ख्यूक्रिन का मज़ाक बना रहा था।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
प्रश्न 1 – किसी कील-वील से ऊँगली छील ली होगी- ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?
उत्तर – जब ओचुमेलॉव सब लोगों से पूछ रहा था कि कुत्ता किसका है तो भीड़ में से किसी ने जवाब दिया कि लगता है ये कुत्ता जनरल झिगालॉव का है। ये सुन कर ओचुमेलॉव हड़बड़ा गया क्योंकि उसने कुत्ते को मरवाने के लिए कह दिया था। वह ख्यूक्रिन की तरफ़ मुड़ा और ओचुमेलॉव ख्यूक्रिन को ही कोसते हुए कहने लगा कि जरूर उसकी ऊँगली में कील इत्यादि लग गई होगी और उसने अचानक ही सोच लिया होगा कि चोट का पूरा इल्जाम कुत्ते पर डाला जाए ताकि उस कुत्ते के मालिक पर दबाव डालकर पैसे वसूल कर सके।
प्रश्न 2 – ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – ओचुमेलॉव एक भ्रष्ट, चालाक, स्वार्थी, मौकापरस्त और दोहरे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति है। दुकानदारों से जरदस्ती चीज़े ऐंठता है। वह एक इंस्पेक्टर होते हुए भी कर्तव्यनिष्ठ नहीं है। वह अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ अन्याय कर सकता है। अपने आप को जनरल साहब की नजरों में अच्छा साबित करने के लिए वह ख्यूक्रिन को ही दोषी साबित करके कुत्ते को ये कहकर जनरल साहब के घर भिजवाता है कि वह उसी को मिला था। ओचुमेलॉव एक अवसरवादी व्यक्ति है, जहाँ उसे अपना लाभ दिखता है वह वहीं पहुँचता है।
प्रश्न 3 – यह जानने के बाद की कुत्ता जनरल साहब के भाई का है- ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आया और क्यों?
उत्तर – ओचुमेलॉव पहले तो कुत्ते को मरियल, भद्दा, आवारा कहता है और कहता है कि हो सकता है कि कुत्ता पागल हो इसलिए उसे मर देना चाहिए। लेकिन जैसे ही ओचुमेलॉव को पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, ओचुमेलॉव के विचारों में परिवर्तन आ जाता है। फिर उसे वही मरियल, भद्दा, आवारा कुत्ता सुंदर और मँहगा ‘डॉगी’ लगने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह जनता है कि ये बाते जनरल साहब तक पहुंचेगी।
प्रश्न 4 – ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है….।’ समाज की किस वास्तविकता की ओर संकेत करता है?
उत्तर – ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है….।’ समाज में ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ लोकोक्ति की और संकेत करती है। अर्थ यह हुआ कि यदि आपका कोई परिचित उच्च पद पर कार्यरत है तो आप हर जगह अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से रख सकते हैं। आप किसी पर भी रौब दिखा सकते है। कहानी में ख्यूक्रिन भी वही करने का प्रयास कर रहा था।
प्रश्न 5 – इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं? अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ इस लिए रखा गया होगा क्योंकि गिरगिट समय के साथ-साथ अपने आप को बचने के लिए अपना रंग बदलता रहता है। उसी तरह इंस्पेक्टर भी मैका देख कर अपने विचारों और बातों से ही बदल जाता है। कुत्ते के लिए ही उसके विचार परिस्थितियों के अनुसार बदल जाते हैं।
हमारे हिसाब से इस पाठ का एक शीर्षक चापलूसी भी रखा जा सकता है क्योंकि ओचुमेलॉव पूरी कहानी में कही पर भी चापलूसी का कोई एक मौका नहीं छोड़ता है।
प्रश्न 6 – गिरगिट कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में भी देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – गिरगिट कहानी के माध्यम से समाज की अनेक विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है जैसे भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, चापलूसी, भाई भतीजावाद और अवसरवादिता आदि। कानून के रहते हुए भी लोगो को चापलूसों के कारण अन्याय का सामना करना पड़ता है क्योंकि चापलूस हमेशा ऊँचे पदों पर बैठे लोगों की ही तरफदारी करते हैं। पूरी शासन व्यवस्था भेदभाव पर ही टिकी हुई है। जो व्यक्ति आदर्शों पर चलता है उस व्यक्ति को आज के समाज में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
ऐसी विसंगतियाँ हम अपने समाज में भी देखते हैं। आजकल हर जगह, समाचार पत्र, न्यूज़ चैनल पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, चापलूसी और अवसरवादिता से परेशान हुए लोगों की खबरें भरी पड़ी होती हैं। आजकल लोग अवसरवादिता को ज्यादा और सच्चाई को कम महत्त्व देते हैं।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –
(1) उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आंतक की गहरी छाप थी।
उत्तर – ख्यूक्रिन ने कुत्ते को बुरी तरह से घसीटा था, जिससे उसे बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी। उसकी आँखे आँसुओं से भरी हुई थी और उनमें खतरे और डर का मिश्रण दिखाई दे रहा था। क्योंकि ख्यूक्रिन का चेहरा गुस्से से ऐसे लाल हो गया था जैसे नशे में डूबे व्यक्ति का होता है और उसके चेहरे को देख कर साफ लग रहा था कि जैसे वह कुत्ते से कह रहा हो कि शैतान की औलाद वह उसे छोड़ने वाला नहीं है।
(2) कानून सम्मत तो यही है….. कि सब लोग अब बराबर हैं।
उत्तर – येल्दीरीन के ये कहने पर कि ख्यूक्रिन ने अपनी जलती सिगरेट से इस कुत्ते की नाक को जलाया होगा, तभी कुत्ते ने उसे काटा है, ख्यूक्रिन गुस्से में आ जाता है और येल्दीरीन को कहता है कि जब उसने उसे ऐसा कुछ करते हुए देखा ही नहीं है तो वह झूठ बोल रहा है। और ओचुमेलॉव को बुद्धिमान बताते हुए कहता है कि साहब तो बहुत बुद्धिमान हैं और उनको अच्छी तरह से पता है कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। और अगर उनको लगता है कि वह झूठ बोल रहा है तो उस पर अदालत में मुकदमा चला दो। कानून का तो यही मानना है कि अब सभी बराबर हैं।
(3) हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है।
उत्तर – जब ओचुमेलॉव चौराहे से गुजर रहा था तो अचानक ओचुमेलॉव के कानों में कुछ शोर सुनाई दिया। शोर को सुन कर दुकानों में से कुछ चेहरे भी बाहर देखने लगे थे और देखते-ही-देखते थोड़ी देर में ही न जाने कहाँ से लकड़ी के गोदाम के इर्द-गिर्द भीड़ खड़ी हो गई, ऐसा लग रहा था मानो वो भीड़ जमीन फाड़ कर आई हो। शोर और भीड़ को देख कर सिपाही ओचुमेलॉव से कहता है कि साहब, यह तो ऐसा दिखाई पड़ रहा है जैसे लोगो की शांति को भंग किया जा रहा है।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 गिरगिट
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1.
काठगोदाम के पास भीड़ क्यों इकट्ठी हो गई थी ?
उत्तर-
काठगोदाम के पास अचानक ही एक व्यक्ति के चीखने की आवाज़ सुनाई दी और उसके बाद कुत्ते के किकियाने की। एक व्यापारी पिचूगिन के कोठगोदाम में से एक कुत्ता तीन टाँगों के बल पर रेंगता हुआ आ रहा था, क्योंकि ख्यूक्रिन नाम के एक व्यक्ति ने कुत्ते को पिछली टाँग से पकड़ा हुआ था और चीख रहा था कि इस कुत्ते को कहीं भी मत जाने दो। ख्यूक्रिन और कुत्ते दोनों के मिले-जुले शोर को सुनकर काठगोदाम के पास भीड़ इकट्ठी हो गई।
प्रश्न 2.
उँगली ठीक न होने की स्थिति में ख्यूक्रिन का नुकसान क्यों होता?
उत्तर-
ख्यूक्रिन एक कामकाजी आदमी था। वह पेचीदा किस्म का काम करता था। उसे लकड़ी लेकर जरूरी काम निपटाना था परंतु उँगली पर घाव होने के कारण वह हफ्तों तक काम नहीं कर पाएगा जिससे उसके काम का नुकसान होगा।
प्रश्न 3.
कुत्ता क्यों किकिया रहा था?
उत्तर-
ख्यूक्रिन ने कुत्ते की पीछे की एक टाँग भी पकड़ ली थी। वह कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चल रहा था। उसे चलने में कष्ट हो रहा था इसलिए वह किकिया रहा था।
प्रश्न 4.
बाज़ार के चौराहे पर खामोशी क्यों थी?
उत्तर-
बाजार में पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही के साथ गश्त लगा रहा था। वह रिश्वतखोर था और जो भी सामने आता था, उससे कुछ-कुछ लूट-खसोट जरूर करता था। लोग बहुत कम थे। सभी दुकानदार अपनी-अपनी दुकानों में खाली बैठे थे। वहाँ कोई खरीदार नहीं था। उस जमाने में रूस में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नही थी। पुलिस वाले आम आदमियों को परेशान करते थे। पुलिस इंस्पेक्टर दौरे और जब्ती की कार्यवाई के कारण लोग सहम गए थे इसलिए बाज़ार के चौराहे पर खामोशी थी।
प्रश्न 5.
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में क्या बताया?
उत्तर-
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में बताया कि यह कुत्ता उनके मालिक का नहीं है, बल्कि उनके भाई ‘इवानिच’ का है। यह कुत्ता ‘बारजोयस नस्ल का है और जनरल साहब इस नस्ल के कुत्तों में कोई दिलचस्पी नहीं रखते। यह नस्ल उनके भाई को पसंद है। अतः यह उन्हीं का है।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की क्या दलील दी?
उत्तर-
ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की यह दलील दी कि इस कुत्ते ने मेरी उँगली काट खाई है। अब मैं एक हफ्ते तक काम नहीं कर पाऊँगा। मुझे लकड़ी का ज़रूरी काम निपटाना था। मैं एक कामकाजी व्यक्ति हूँ और मेरा काम भी पेचीदा है। मेरा भारी नुकसान होगा। अतः मुझे इस कुत्ते के मालिक से हरज़ाना दिलवाया जाए।
प्रश्न 2.
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का क्या कारण बताया?
उत्तर-
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को बताया कि बाज़ार से लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाने के उद्देश्य से वह आया था। तभी अचानक एक कुत्ता कहीं से आया और उसने उसकी उँगुली पर काट लिया । कुत्ते दूद्वारा काटे जाने के कारण ही उसने अपनी उँगली ऊपर उठाई हुई थी। इस तरह से वह लोगों की हमदर्दी बटोरना चाहता था तथा बार-बार उँगली दिखाकर मुआवजे के पक्ष में दलील दे रहा था।
प्रश्न 3.
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए क्या कहा ?
उत्तर-
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए कहा कि मैं इस ख्यूक्रिन को अच्छी तरह से जानता हूँ। यह हमेशा कोई-न-कोई शरारत करता रहता है। इसी ने अपनी जलती हुई सिगरेट इस कुत्ते की नाक में घुसेड़ दी होगी। वरना क्या कुत्ता बेवकूफ़ है, जो इसे काट खाता? यह सब इसी की शरारत का परिणाम है, इसलिए यही दोषी है।
प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के पास यह संदेश क्यों भिजवाया होगा कि उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है’?
उत्तर-
ओचुमेलॉव एक अवसरवादी इंस्पेक्टर था। वह चापलूस था तथा भाई-भतीजावाद में विश्वास रखता था। उसने यह संदेश इसलिए भिजवाया होगा ताकि वह जनरल साहब की नज़रों में अच्छा बन सके। वह जनरल साहब का हितैषी बनकर उनके प्रति निष्ठा व्यक्त कर उन्हें प्रसन्न करते हुए स्वयं श्रेय लेना चाहता था। वह जताना चाहता था कि वह जनरल साहब का ही नहीं उनके कुत्ते का भी ध्यान रखता है। उसे साहब की भलाई की चिंता है। वह उनका आज्ञाकारी, विश्वसनीय सेवक है उसे आशा थी कि यह संदेश सुनकर जनरल साहब उससे खुश हो जाएँगे और उसकी प्रशंसा करने के साथ-साथ उसे पदोन्नति देंगे।
प्रश्न 5.
भीड़ ख्यूक्रिन पर क्यों हँसने लगती है?
उत्तर-
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ने पहले तो ख्यूक्रिन को उसे कुत्ते के काटने पर उसके मालिक के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए कहा, पर जब उसे यह पता चला कि यह कुत्ता तो जनरल साहब या उनके भाई दोनों में से किसी एक का है, तो उसने ख्यूक्रिन को न्याय दिलाने की जगह उसे ही दोषी ठहरा दिया। उसकी इसी विवशता तथा पक्षपातपूर्ण कानून व्यवस्था पर भीड़ हँसने लगती है।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी-ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?
उत्तर-
भाई-भतीजावाद तथा चापलूसी करने में विश्वास रखने वाले पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को जब यह पता चला कि ख्यूक्रिन की उँगली काटने वाला कुत्ता आम नहीं है, बल्कि जनरल साहब या उनके भाई दोनों में से किसी एक का है, तो उसने कुत्ते को बचाने के लिए कुत्ते की जगह ख्यूक्रिन को ही दोषी ठहराते हुए कहा कि उसने स्वयं ही किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी और इसे कुत्ते के माथे मढ़कर कुछ हरजाना ऐंठकर फ़ायदा उठाना चाह रहा है।
प्रश्न 2.
ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का कारण यह बताया कि कुत्ते के काटने से उसकी उँगली लहूलुहान हो गई है। अब वह हफ्तेभर तक काम नहीं कर सकेगा। इसके अलावा वह उससे तथा लोगों से सहानुभूति पाना चाहता था।
प्रश्न 3.
यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है- ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आया और के यों?
उत्तर-
जब ओचुमेलॉव को प्रोखोर यह बताता है कि यह कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, तो उसके विचारों में एकदम परिवर्तन आ जाता है। वह पहले जिस कुत्ते को गंदा, मरियल कह रहा था, अब वही कुत्ता उसे अति ‘सुंदर डॉगी’ लगने लगा। वह उसे खूबसूरत पिल्ला दिखाई देने लगा। उसे अब ख्यूक्रिन का ही दोष दिखाई देने लगा। उसके विचारों में यह परिवर्तन इसलिए आया, क्योंकि वह स्वार्थी एवं अवसरवादी व्यक्ति था और जनरल साहब को नाराज़ नहीं करना चाहता था। उन पर अपनी स्वामिभक्ति की छाप छोड़ना चाहता था।
प्रश्न 4.
ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है…।’ समाज की किस वास्तविकता की ओर संकेत करता है?
उत्तर-
ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है…।’ से समाज में फैले भाई-भतीजावाद जैसी दुष्प्रवृत्ति का पता चलता है जब कुत्ते के काटने की व्यथा झेल रहे ख्यूक्रिन को लगता है कि येल्दीरीन (सिपाही) कुत्ते को दोषमुक्त करने के लिए स्वयं उसे ही दोषी ठहराने पर तुला है तो वह अपने साथ अन्याय होता देख ऐसा कहता है। इस प्रकार वह इंसपेक्टर तथा सिपाही दोनों को ऐसा बताकर भाई-भतीजावाद को अनुचित लाभ लेना चाहता है। इससे स्पष्ट होता है। कि तत्कालीन रूसी समाज में अराजकता, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का बोलबाला है। समाज में कानून नाम की कोई चीज नहीं है। दोषी को निर्दोष तथा निर्दोष को दोषी बनाने का तुच्छ कार्य अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है।
प्रश्न 5.
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं? अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ इसलिए रखा गया है, क्योंकि पूरी कहानी में पुलिस इंस्पेक्टर अवसरानुकूल अपना रूप गिरगिट की तरह बदलता रहता है। कभी वह आम-आदमी की तरफ़दारी करता है, तो कभी भाई-भतीजावादी और चापलूसी करने वाला बनकर कानून के साथ खिलवाड़ करता है। इस कहानी का शीर्षक ‘चापलूस इंस्पेक्टर’ या ‘अवसरवादिता’ भी हो सकता है, क्योंकि वह कानून का साथ न देकर उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों की चापलूसी करता है। चापलूस इंस्पेक्टर का जीवन सिद्धांत यह है कि उसका कोई सिद्धांत नहीं और साथ ही न कोई निर्धारित जीवन-शैली। वह समय व परिस्थितियों के अनुसार अपने को बदल देता है।
प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में भी देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज की कानून व्यवस्था पर व्यंग्य किया है। लेखक ने बताया है कि शासन व्यवस्था पूर्ण रूप से चापलूसों और भाई-भतीजावाद के समर्थक अधिकारियों के भरोसे चल रही है। व्यक्ति परिस्थिति के अनुसार अपनी बात को परिवर्तित करना अच्छी तरह से जानते हैं। चापलूस अधिकारी सही निर्णय नहीं लेते जिसका असर समाज पर पड़ता है। पुलिस का व्यवहार आम आदमी के प्रति उपेक्षापूर्ण होता है, जिसके कारण आम आदमी को न्याय नहीं मिल पाता। पुलिस अधिकारी सदा हित की बात सोचते हैं। समाज में उच्च वर्ग का दबदबा है। उन्हीं का आदेश समाज । की दिशा निर्धारित करता है जबकि सामान्य व्यक्ति का अपराध दंडनीय हो जाता है। वर्तमान समाज में भी ऐसी विसंगतियों को देखा जा सकता है। हम देखते हैं कि चापलूस और रिश्वतखोर लोग निरंतर उन्नति कर रहे हैं। कानून और न्याय व्यवस्था में चारों ओर चापलूसों और भ्रष्ट लोगों का ही बोलबाला है। लोग सफल होने के लिए इसी रास्ते को अपनाते जा रहे हैं। यद्यपि इन विसंगतियों को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, किंतु अभी अधिक सफलता नहीं मिल पाई है।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1.
उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।
उत्तर-
इस कथन का आशय यह है कि जब कुत्ते ने ख्यूक्रिन की उँगली काट ली, तो उसने उसकी खूब पिटाई की और बुरी तरह से उसकी पिछली टाँग को पकड़ कर खींचा। दर्द के कारण उसकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं। अपने चारों ओर भीड़ देखकर कुत्ता और भी आतंकित हो गया, क्योंकि उसे भीड़ रूपी संकट भी गहरी पीड़ा दे रहा था।
प्रश्न 2.
कानून सम्मत तो यही है.. कि सब लोग अब बराबर हैं।
उत्तर-
इस कथन से ख्यूक्रिन यह कहना चाहती है कि वर्तमान काननू-व्यवस्था में सभी बराबर हैं। कोई छोटा-बड़ा नहीं है। यदि कोई बड़ा व्यक्ति अपराध करता है तो उसे भी अवश्य ही दंड मिलना चाहिए। कानून की दृष्टि में कोई छोटा-बड़ी नहीं होता, बल्कि सब बराबर होते हैं। उसने ओचुमेलॉव से कहा कि यदि उसकी बात में सत्य नही होगा तो उस पर मुकदमा चलाया जाए। उसने यह भी कहा कि समाज में हर व्यक्ति के साथ नियम और कानून के अनुसार समान व्यवहार होना चाहिए। इसलिए वह भी न्याय प्राप्त करने का हकदार है और उसका कोई अपराध नहीं है।
प्रश्न 3.
हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है।
उत्तर-
इसका आशय यह है कि जब ख्यूक्रिन की कुत्ते ने उँगली काट ली, तो उसने चिल्लाते और गालियाँ देते हुए उसकी खूब पिटाई की इसलिए कुत्ता दर्द से चीख रहा था, किकिया रहा था। उसकी दर्द भरी पुकार और ख्यूक्रिन का चिल्लाना सुनकर लोग अपने-अपने घरों और दुकानों से बाहर आकर इकट्ठे होने लगे। देखते-देखते ही अपार जन-समूह इकट्ठा हो गया। इस स्थिति को देखकर चापलूस सिपाही ने पुलिस इंस्पेक्टर से परिस्थिति को शीघ्र ही काबू में करने के लिए कहा, क्योंकि किसी विद्रोह के समय जिस प्रकार शांति भंग होती है, उसी प्रकार की शांति इस समय भंग होती दिखाई दे रही थी।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए
- माँ ने पूछा बच्चों कहाँ जा रहे हो
- घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था
- हाय राम यह क्या हो गया।
- रीना सुहेल कविता और शेखर खेल रहे थे
- सिपाही ने कहा ठहर तुझे अभी मजा चखाता हूँ
उत्तर-
- माँ ने पूछा, “बच्चों, कहाँ जा रहे हो?”
- हाय राम! यह क्या हो गया?
- रीना, सुहेल, कविता और शेखर खेल रहे थे।
- सिपाही ने कहा, “ठहर! तुझे अभी मजा चखाता हूँ।”
- घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए-
- मेरा एक भाई भी पुलिस में है।
- यह तो अति सुंदर ‘डॉगी’ है।
- कल ही मैंने बिलकुल इसी की तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था।
वाक्य के रेखांकित अंश ‘निपात’ कहलाते हैं जो वाक्य के मुख्य अर्थ पर बल देते हैं। वाक्य में इनसे पता चलता है किस बात पर बल दिया जा रहा है और वाक्य क्या अर्थ दे रहा है। वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करने में सहायता करते हैं उन्हें निपात कहते हैं; जैसे-ही, भी, तो, तक आदि।
ही, भी, तो, तक आदि निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर-
ही – कल ही श्याम मुंबई से आया।
भी – पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद पर भी ध्यान देना चाहिए।
तो – अगर पिता जी नहीं आए तो हम घूमने नहीं जा पायेंगे।
तक – मुझे बस मंदिर तक जाना है।
मात्र – इस आकर्षक वस्तु का दाम मात्र एक सौ रुपये हैं।
प्रश्न 3.
पाठ में आए मुहावरों में से पाँच मुहावरे छाँटकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर-
- त्योरियाँ चढ़ाना-जब दर्जी ने पुलिसवाले से कपड़े के पैसे माँगे तो उसने त्योरियाँ चढ़ाकर देख लेने की धमकी दी।
- मत्थे मढ़ना-चोर ने अवसर पाकर अपना दोष निर्दोष के मत्थे मढ़ दिया।
- छुट्टी करना-ज्यादा पैसे माँगने पर मालिक ने सब मज़दूरों की छुट्टी कर दी।
- गाँठ बाँध लेना-एक बात गाँठ बाँध लो कि बिना परिश्रम के आप सफलता प्राप्त नहीं कर सकते।
- मज़ा चखाना-जिस किसी ने राम को मारा है, पुलिस उन्हें मज़ा चखाकर रहेगी।
प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए-
- ………. + भाव = ……………
- ……….. + पसंद = ………..
- ………. + धारण = ………….
- …………. + उपस्थित = ………..
- ……….. + लायक = ………….
- ……….. + विश्वास = …………
- ……….. + परवाह = ………
- ……….. + कारण = …………
उत्तर-
- प्र + भावे = प्रभाव
- ना + पसंद = नापसंद
- निर् + धारण = निर्धारण
- अन + उपस्थित = अनुपस्थित
- ना + लायक = नालायके
- अ + विश्वास = अविश्वास
- ला + परवाह = लापरवाह
- अ + कारण = अकारण
प्रश्न 5.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-
- मदद + ……….. = ………
- बुद्धि + ………. = ………
- गंभीर + …….. = ……….
- सभ्य + ……… = ………..
- ठंड + ……… = ………
- प्रदर्शन + …….. = ………..
उत्तर-
- मदद + गरि = मददगार
- बुधि + मान = बुद्धिमान
- गंभीर + ता = गंभीरता
- सभ्य + ता = सभ्यता
- ठंड + आई = ठंडाई
- प्रदर्शन + ई = प्रदर्शनी
प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए-
- दुकानों में ऊँधते हुए चेहरे बाहर झाँके।
- लाल बालोंवाला एक सिपाही चला आ रहा था।
- यह ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है।
- एक कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चला आ रहा है।
उत्तर-
- संज्ञा पदबंध
- विशेषण पदबंध
- क्रिया पदबंध
- क्रियाविशेषण पदबंध
प्रश्न 7.
आपके मोहल्ले में लावारिस/आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है जिससे आने-जाने वाले लोगों को असुविधा होती है। अतः लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
निरीक्षक महोदय
दिल्ली नगर निगम
17, शाहदरा
दिल्ली।
विषय- आवारा कुत्तों की अधिकता से उत्पन्न समस्याओं के संबंध में।
मान्यवर,
निवेदन यह है कि इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने सीमापुरी मोहल्ले में बढ़ती लावारिस और आवारा कुत्तों की संख्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ।
यहाँ आवारा कुत्तों की संख्या अचानक से बढ़ गई है। ये कुत्ते यहाँ के निवासियों पर ही आते-जाते समय भौंकते हैं और उनको काट खाने के लिए दौड़ पड़ते हैं। वे दुपहिया वाहनों पर खास तौर पर झपटते हैं और उनका दूर तक पीछा करते हैं, जिसके कारण कई दुर्घटनाएँ भी हो चुकी हैं। सुबह स्कूल जाने वाले कई बच्चे और सैर पर जाने वाले अनेक वृद्ध इनका शिकार बन चुके हैं। इस कारण लोगों को भय के साये में जीना पड़ रहा है।
आपसे अनुरोध है कि इन आवारा कुत्तों को पकड़कर हमें भयमुक्त करें ताकि हम सब चैन की साँस ले सकें। हम मोहल्ले वाले आपके आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
करन कुमार
ए-27/5,
सीमापुरी, दिल्ली।
27 अगस्त, 20XX
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
जिस प्रकार गिरगिट शत्रु से स्वयं को बचाने के लिए अपने आस-पास के परिवेश के अनुसार रंग बदल लेता है उसी प्रकार कई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपनी बात, व्यवहार, दृष्टिकोण, विचार को बदल लेते हैं। यही कारण है कि ऐसे व्यक्तियों को गिरगिट’ कहा जाता है।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
अवसर के अनुसार व्यावहारिकता का सहारा लेना आप कहाँ तक उचित समझते हैं? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
यहाँ आपने रूसी लेखक चेखव की कहानी पढ़ी है। अवसर मिले तो लियो टाल्स्टॉय की कहानियाँ भी पढ़िए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
परियोजना कार्य
प्रश्न 1.
‘गिरगिट’ कहानी में आवारा पशुओं से जुड़े किस नियम की चर्चा हुई है? क्या आप इस नियम को उचित मानते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
गिरगिट कहानी का कक्षा में या विद्यालय में मंचन कीजिए। मंचन के लिए आपको किस प्रकार की तैयारी और सामग्री की जरूरत होगी उनकी एक सूची भी बनाइए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
ख्यूक्रिन कुत्ते को क्यों पकड़ना चाहता था?
उत्तर-
ख्यूक्रिन एक सुनार था। उसकी उँगली को एक कुत्ते ने काट खाया था। वह कुत्ते को पकड़ने के लिए उसके पीछे भाग रहा था ताकि कुत्ते के मालिक से मुआवजा प्राप्त कर सके।
प्रश्न 2.
सिपाही ने इंसपेक्टर से क्या आशंका प्रकट की?
उत्तर-
काठगोदाम पर एकत्र भीड़ देख सिपाही येल्दीरीन ने अपने साथ चल रहे इंसपेक्टर ओचुमेलॉव से जनशांति भंग होने की आशंका प्रकट की। उसे भीड़ में से एक चीख-‘मत जाने दो’ की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
प्रश्न 3.
कुत्ते के मालिक से मुआवजा पाने के लिए ख्यूक्रिन क्या कर रहा था?
उत्तर-
ख्यूक्रिन की उँगली एक कुत्ते ने काट खाई थी। घाव एवं पीड़ा की गंभीरता व्यक्त करने के लिए वह अपनी लहूलुहान उँगली लोगों को दिखा रहा था ताकि कुत्ते के मालिक से मुआवजा और लोगों की सहानुभूति प्राप्त कर सके।
प्रश्न 4.
कुत्ता डरा हुआ-सा क्यों दिखाई दे रहा था?
उत्तर-
कुत्ते ने ख्यूक्रिन की उँगली काट खाई थी। ख्यूक्रिन ने उसे मारा था। किसी तरह कुत्ता जब ख्यूक्रिन से छूटकर भाग रहा था तो ख्यूक्रिन ने उसे दुबारा पकड़ लिया था। भीड़ के कारण कुत्ता आने वाले संकट से घबराया हुआ था, इसलिए उसकी आँखों में आतंक की छाप थी।
प्रश्न 5.
ओचुमेलॉव कौन था? वह सवाल क्यों पूछ रहा था?
उत्तर-
ओचुमेलॉव पुलिस इंसपेक्टर था। क्षेत्र में शांति व्यवस्था एवं कानून का विधान बनाए रखना उसका कर्तव्य था। काठगोदाम के पास जमा भीड़, कुत्ते का किकियाना, ख्यूक्रिन की चीख सुनकर उसने ये सवाल एक जिम्मेदार अफसर होने के हक से पूछे थे।
प्रश्न 6.
ख्यूक्रिन की लहूलुहान उँगली देखकर ओचुमेलॉव को कितनी खुशी हुई ?
उत्तर-
ख्यूक्रिन की लहूलुहान उँगली देखकर और ख्यूक्रिन की काम करने में असमर्थता की बातें सुनकर भी ओचुमेलॉव का हृदय नहीं पसीजा। वह बस यही जानने का प्रयास करता रहा कि आखिर यह कुत्ता है किसका? उसे ख्यूक्रिन के प्रति सहानुभूति नहीं हुई।
प्रश्न 7.
ओचुमेलॉव कुत्ते के मालिक पर जुर्माना क्यों ठोकना चाहता था?
उत्तर-
ओचुमेलॉव कुत्ते के मालिक पर जुर्माना ठोककर दो उद्देश्य पूरा करना चाहता था। पहला–ऐसा कहकर वह ईमानदार होने का नाटक कर रहा था और दूसरा-अपनी खराब नीयत के कारण वह कुत्ते के मालिक से कुछ वसूलना भी चाहता था।
प्रश्न 8.
ओचुमेलॉव को ख्यूक्रिन की बात का विश्वास क्यों नहीं हो रहा था?
उत्तर-
इंसपेक्टर ओचुमेलॉव शक प्रकट करते हुए ख्यूक्रिन से यह कह रहा था कि एक नन्हा-सा पिल्ला उस जैसे लंबे-तगड़े आदमी तक कैसे पहुँच सकता है। जरूर इसकी उँगली पर कील-वील लग गई होगी और वह जुर्माना पाने के लिए ऐसा कर रहा है।
प्रश्न 9.
कुत्ते की सही पहचान किसने की और कैसे?
उत्तर-
कुत्ते को पहचानने का काम जनरल साहब के रसोइए ने किया। उसने कुत्ते को देखकर कहा कि यह कुत्ता जनरल साहब के भाई का है। उन्हें इस प्रकार (बारजोयस नस्ल) के कुत्ते बहुत पसंद हैं।
प्रश्न 10.
‘गिरगिट’ कहानी में ख्यूक्रिन को कितना न्याय मिला?
उत्तर-
मुआवजा पाने की आस बनाएं ख्यूक्रिन को अंत में निराशा हाथ लगती है। इंसपेक्टर उसकी गलती बताकर उसे ही डाँटता डपटता है। वह भीड़ के सामने उपहास का पात्र ज़रूर बनकर रह जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
ओचुमेलॉव एक जिम्मेदार इंसपेक्टर था, पर उसने न्यायोचित बात क्यों नहीं की?
उत्तर-
ओचुमेलॉव एक हृदयहीन, अवसरवादी, चाटुकार तथा स्वार्थी पुलिस इंसपेक्टर था, जिसे किसी की स्थिति परिस्थिति से कुछ लेना-देना नहीं था। वह छीन-झपट के या धमकाकर पैसे वसूलना जानता था। उसे ख्यूक्रिन जैसे व्यक्ति का पक्ष लेने पर कुछ मिलने वाला नहीं था, इसलिए उसने न्यायोचित बात नहीं की।
प्रश्न 2.
बाज़ार के चौराहे के दृश्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
बाज़ार के चौराहे पर प्रतिदिन की भाँति दुकानें खुली थीं। वहाँ पर इंसपेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही के साथ गस्त लगा रहा था। वह इतना रिश्वतखोर और लालची था कि दुकानदार क्या ग्राहक भी उसके सामने आने से कतराते थे। जो भी सामने होता था, उनसे वह लूट-खसूट जरूर करता था। सामान जब्त करवा लेता था। ग्राहकों की कमी के कारण दुकानदार खाली बैठे थे। इसके अलावा पुलिस वाले लोगों को परेशान करते थे। पुलिस इंसपेक्टर के लूट और सामान जब्ती के भय से चारों ओर खामोशी छाई थी।
प्रश्न 3.
इंसपेक्टर कुत्ते के मालिक का पता लगाने के लिए परेशान क्यों था?
उत्तर-
ख्यूक्रिन द्वारा हरज़ाना दिलाए जाने की बात सुन इंसपेक्टर कह रहा था कि जिसने भी इस तरह के कुत्तों को छोड़ रखा है, मैं उस बदमाश को इतना जुर्माना ठोकेंगा कि यूँ कुत्तों को खुला छोड़ने का इल्म हो जाए। वह अपने सिपाही येल्दीरीन से कहता है कि पता लगाओ यह पिल्ला किसका है। इसके पीछे उसकी कर्तव्यपराणयता की भावना नहीं, बल्कि बदनीयती थी। वह कुत्ते के मालिक का पता लगाकर उस पर जुर्माना लगाने के बहाने उससे कुछ पैसे ऐंठना चाहता था।
प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव गिरगिट की तरह रंग बदलने में माहिर था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
बावर्ची प्रोखोर द्वारा कुत्ते को पहचानने से पूर्व इंसपेक्टर ओचुमेलॉव कह रहा था कि अब अधिक जाँचने की ज़रूरत नहीं है। यह आवारा कुत्ता है। आवारा है, तो है। इसे मार डालो और सारा किस्सा खत्म करो, परंतु जैसे ही प्रोखोर ने बताया कि कुत्ता जनरल के भाई साहब का है, तो उसने कहा तो यह उनका कुत्ता है। बड़ी खुशी हुई… इसे ले जाइए… यह तो एक अति सुंदर डॉगी है। बहुत खूबसूरत पिल्ला है। अब ख्यूक्रिन को धमकाना शुरू कर दिया। इस तरह वह अवसरवादी था जो मौका देखकर प्रतिक्रया देता था।
प्रश्न 5.
‘गिरगिट’ कहानी अपने उद्देश्य में कितनी सफल रही है?
उत्तर-
‘गिरगिट’ कहानी का उद्देश्य है-शासन व्यवस्था की कमियाँ, आम आदमी की स्थिति तथा ओचुमेलॉव जैसे भ्रष्ट अधिकारियों, येल्दीरीन जैसे चापलुस कर्मचारियों का असली चेहरा समाज के सामने लाना। कहानी में संकेत किया गया है कि अच्छी शासन व्यवस्था वह होती है, जो समानता के सिद्धांत पर चलती है, अमीर-गरीब, ऊँच-नीच को एक समान दृष्टि से देखती है तथा न्याय का साथ देती है पर कहानी में वर्णित शासन व्यवस्था में तो सब कुछ उल्टा है। इंसपेक्टर ओचुमेलॉव जिस पर शांति व्यवस्था एवं कानून बनाए रखने की जिम्मेदारी है, वह खुद स्वार्थपरता, अवसरवादिता तथा पक्षपात करने की सारी सीमाएँ पार कर जाते हैं तथा उनके अधीनस्थ कर्मचारी गण भी उनका साथ देते हैं। इस तरह यह कहानी अपने उद्देश्य में पूर्णतया सफल रही है।
पूर्व वर्षों के प्रश्नोत्तर
2016
लघुत्तरात्मक प्रश्न
Question 1.
Answer:
Question 2.
Answer:
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Question 4.
Answer:
2015
अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
Question 5.
Answer:
लघुत्तरात्मक प्रश्न
Question 6.
Answer:
Question 7.
Answer:
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Question 8.
Answer:
लघुत्तरात्मक प्रश्न
Question 9.
Answer:
Question 10.
Answer:
Question 11.
Answer:
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Question 12.
Answer:
गद्यांश पर आधारित प्रश्न
Question 14.
Answer:
2013
लघुत्तरात्मक प्रश्न
Question 15.
Answer:
Question 16.
Answer:
Question 17.
Answer:
Question 18.
Answer:
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Question 19.
Answer:
गद्यांश पर आधारित प्रश्न
Question 20.
Answer:
2012
लघुत्तरात्मक प्रश्न
Question 21.
Answer:
Question 22.
Answer:
Question 23.
Answer:
Question 24.
Answer:
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Question 25.
Answer:
Question 26.
Answer:
Question 27.
Answer:
2011
लघुत्तरात्मक प्रश्न
Question 28.
Answer:
Question 29.
Answer:
Question 30.
Answer:
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Question 31.
Answer:
Question 32.
Answer:
Question 33.
Answer:
2010
लघुत्तरात्मक प्रश्न
Question 34.
Answer:
Question 35.
Answer: