NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6 Madhur Madhur Mere Deepak Jal

Madhur Madhur Mere Deepak Jal Chapter 10 Hindi Chapter 6 – कक्षा 10 हिंदी पाठ 6 मधुर मधुर मेरे दीपक जल (कविता )

Madhur Madhur Mere Deepak Jal ‘मधुर मधुर मेरे दीपक जल’ Explanation, Summary, Question and Answers and Difficult word meaning

Madhur Madhur Mere Deepak Jal (मधुर मधुर मेरे दीपक जल)– CBSE Class 10 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Madhur Madhur Mere Deepak Jal’ by Bihari along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary and all the exercises, Question and Answers given here.

Author Intro – कवयित्री परिचय

कवयित्री – महादेवी वर्मा
जन्म – 1907 (उत्तरप्रदेश – फर्रुखाबाद )
मृत्यु – 11 सितम्बर 1987

Madhur Madhur Mere Deepak Jal Chapter Introduction – पाठ परिचय

दूसरों से बातें करना,दूसरों को समझाना ,दूसरों को सही रास्ता दिखाना ऐसे काम तो सब करते हैं। कोई आसानी से कर लेता है ,कोई थोड़ी कठिनाई उठा कर ,कोई थोड़ी झिझक और संकोच के बाद और कोई किसी तीसरे का सहारा ले कर करता है। लेकिन इससे कहीं ज्यादा परिश्रम का काम होता है आपने आप को समझाना। अपने आप से बात करना ,अपने आप को सही रास्ते पर बनाये रखने की कोशिश करना।  अपने आपको हर परिस्थिति में ढालने के लिए तैयार रखना ,हर स्थिति में सावधान रहना और अपने आपको को चैतन्य बनाये रखना।

प्रस्तुत पाठ में कवयित्री आपने आप से जो उम्मीदें कर रही है , अगर वो उम्मीदें पूरी हो जाती हैं तो न केवल उसका , हम सभी का बहुत भला हो सकता है। क्योंकि हम शरीर से भले ही अनेक हों किन्तु प्रकृति ने हम  सब को एक मनुष्य जाति के रूप में बनाया है।

Madhur Madhur Mere Deepak Jal Chapter Summary – पाठ सार

इस कविता के माध्यम से कवयित्री कहती हैं कि मेरे मन के दीपक (ईश्वर के प्रति आस्था) तू मधुरता और कोमलता से ज्ञान का रास्ता प्रकाशित करता जा। अपनी सुगंध को अर्थात अपनी अच्छाई को इस तरह फैला जैसे एक धुप या अगरबत्ती अपनी खुशबु को फैलाते  हैं। तेरे प्रकाश की कोई सीमा ही न रहे और इस तरह जल की तेरे शरीर का एक – एक अणु उसमें समा कर प्रकाश को फैलाए अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि अज्ञान का अँधेरा बहुत गहरा होता है अतः इसे दूर करने के लिए तन मन दोनों निछावर करने होते हैं।

कवयित्री कहती हैं कि मेरे मन के दीप तू सब को रोमांचित करता हुआ जलता जा। इस तरह से जल कि सभी तुझसे तेरी आग के कुछ कण मांगे अर्थात सभी जिसे भी ज्ञान की जरुरत हो वो तेरे  पास आये। तू उन्हें ऐसा प्रकाश दे या ऐसा ज्ञान दे कि वो कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहे। ज्ञान इतना होना चाहिए की सबके काम आ सके और कोई उसमे जल कर भस्म ना हो जाये। इसलिए कवयित्री कहती है कि  दीपक तू कंपते हुए इस तरह जल की तेरा प्रभाव सब पर पड़े। कवयित्री कहती हैं कि आकाश में जलते हुए अनेक तारे तो हैं परन्तु उनमें दीपक की तरह प्रेम नहीं है क्योंकि उनके पास प्रकाश तो है परन्तु वे दुनिया को प्रकाशित नहीं कर सकते। वहीँ दूसरी ओर जल से भरा सागर अपने हृदय को जलाता रहता है क्योंकि उसके पास इतना पानी होने के बावजूद भी वह पानी किसी के काम का नहीं है और बादल बिजली की सहायता से पूरी दुनिया पर बारिश करता है उसी तरह कवयित्री कहती है कि मेरे मन के दीपक तू भी अपनी नहीं दूसरों की भलाई करता जा।

Madhur Madhur Mere Deepak Jal Chapter Explanation – पाठ व्याख्या

मधुर मधुर मेरे दीपक जल

युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
      प्रियतम का पथ आलोकित कर।

प्रतिक्षण – हर घडी
प्रतिपल – हर पल
प्रियतम – आराध्य , ईश्वर
आलोकित – प्रकाशित

प्रसंग -: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श  भाग -2 ‘ से ली गई है। इन पंक्तियों की कवयित्री महादेवी वर्मा है। इन पंक्तियों में कवयित्री मन के दीपक को जला कर दूसरों को रह दिखने की प्रेरणा दे रही है।

व्याख्या -: कवयित्री कहती हैं कि मेरे मन के दीपक (ईश्वर के प्रति आस्था) तू मधुरता और कोमलता से जलता जा और हर पल ,हर घडी ,हर दिन और युगो -युगो तक मेरे आराध्य अथवा ईश्वर का या ज्ञान का रास्ता प्रकाशित करता जा अर्थात ईश्वर में आस्था बनी रहे।

सौरभ फैला विपुल धूप बन,
मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन;
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल
पुलक पुलक मेरे दीपक जल।

सौरभ – सुगंध
विपुल – विस्तृत
मृदुल – कोमल
अपरिमित – असीमित ,अपार
पुलक – रोमांच

प्रसंग -: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श  भाग -2 ‘ से ली गई है। इन पंक्तियों की कवयित्री महादेवी वर्मा है। इन पंक्तियों में कवयित्री अपने मन के दीपक को अनन्त रौशनी (ज्ञान) फैलाने को प्रेरित कर रही हैं।

व्याख्या -: कवयित्री कहती हैं कि मेरे मन के दीपक, तू अपनी सुगंध को अर्थात अपनी अच्छाई को इस तरह फैला जैसे एक धुप या अगरबत्ती अपनी खुशबु को फैलाते  हैं। अपने स्वच्छ शरीर के सहारे अपनी  कोमल मोम को इस तरह से पिघला दे कि तेरे प्रकाश की कोई सीमा ही न रहे और इस तरह जल की तेरे शरीर का एक – एक अणु उसमें समा कर प्रकाश को फैलाए अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि अज्ञान का अँधेरा बहुत गहरा होता है ।अतः इसे दूर करने के लिए तन मन दोनों निछावर करने होते हैं। कवयित्री कहती हैं कि मेरे मन के दीप तू सब को रोमांचित करता हुआ जलता जा।

सारे शीतल कोमल नूतन,
माँग रहे तुझसे ज्वाला कण
           विश्व शलभ सिर धुन कहता ‘मैं 
           हाय न जल पाया तुझमें मिल।
सिहर सिहर मेरे दीपक जल।

नूतन – नया

ज्वाला कण – आग की लपट

शलभ – पतंगा

सिर धुन – पछताना

सिहर – कांपना

प्रसंग -: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श  भाग -2 ‘ से ली गई है। इन पंक्तियों की कवयित्री महादेवी वर्मा है। इन पंक्तियों में कवयित्री दीपक को इस तरह से जलने को कहती है कि सबको बराबर प्रकाश मिले और किसी को उस प्रकाश से हानि ना हो।

व्याख्या -: कवयित्री कहती हैं कि कि मेरे मन के दीपक तू इस तरह से जल कि सभी ठण्डे , मुलायम और नए तुझसे तेरी आग के कुछ कण मांगे अर्थात सभी जिसे भी ज्ञान की जरुरत हो वो तेरे  पास आये। तू उन्हें ऐसा प्रकाश दे या ऐसा ज्ञान दे कि वो कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहे। पतंगे पछताते हुए कहें कि वो तेरी आग में समा कर क्यों नहीं जले अर्थात सांसारिक लोग भी तेरी तरह बनना चाहें अर्थात ज्ञान इतना होना चाहिए की सबके काम आ सके और कोई उसमे जल कर भस्म ना हो जाये। इसलिए कवयित्री कहती है कि दीपक तू कंपते हुए इस तरह जल की तेरा प्रभाव सब पर पड़े अर्थात सब अपनी जरुरत और क्षमता के हिसाब से प्रकाश या ज्ञान ले सकें।

जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
              जलमय सागर का उर जलता,
              विद्युत ले घिरता है बादल।
विहँस विहँस मेरे दीपक जल।

असंख्यक – अनेक
स्नेहहीन – प्रेम से रहित
उर – ह्रदय
विद्युत – बिजली
विहँस – भलाई

प्रसंग -: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श  भाग -2 ‘ से ली गई है। इन पंक्तियों की कवयित्री महादेवी वर्मा है। इन पंक्तियों में कवयित्री अपने मन के दीपक को सबकी भलाई करते हुए आगे बढ़ने को कह रही हैं।

व्याख्या -: कवयित्री कहती हैं कि आकाश में जलते हुए अनेक तारे तो हैं परन्तु उनमें दीपक की तरह प्रेम नहीं है क्योंकि उनके पास प्रकाश तो है परन्तु वे दुनिया को प्रकाशित नहीं कर सकते। वहीँ दूसरी ओर जल से भरा सागर अपने हृदय को जलाता रहता है क्योंकि उसके पास इतना पानी होने के बावजूद भी वह पानी किसी के काम का नहीं है और बादल बिजली की सहायता से पूरी दुनिया पर बारिश करता है।  उसी तरह कवयित्री कहती है कि मेरे मन के दीपक तू भी अपनी नहीं दूसरों की भलाई करता जा।

Madhur Madhur Mere Deepak Jal Chapter Question Answers – प्रश्न अभ्यास

(क ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1 -: प्रस्तुत कविता में ‘दीपक ‘ और ‘प्रियतम ‘ किसके प्रतिक हैं ?

उत्तर -: प्रस्तुत कविता में ‘दीपक ‘ ईश्वर के प्रति आस्था का और ‘प्रियतम ‘ उसके आराध्य ईश्वर का प्रतिक है।

प्रश्न 2 -: दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों ?

उत्तर -: कवयित्री ने दीपक को निरंतर जलने के लिए इसलिए कहा है क्योंकि जब दीपक निरंतर जलेगा तो उसके आराध्य अर्थात ईश्वर तक जाने का ज्ञान रूपी रास्ता हमेशा प्रकाशमान रहेगा।

प्रश्न 3 -: ‘विश्व – शलभ’ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है ?

उत्तर -: विश्व – शलभ दीपक के साथ अपने आपको मिलाकर प्रकाशमय होना चाहता है। जिस तरह दीपक अपने आपको जला कर ज्ञान रूपी प्रकाश फैलता है पतंगा भी उसी के साथ मिलकर ज्ञान रूपी प्रकाश फैलाना चाहता है।

प्रश्न 4 -: आपकी दृष्टि में मधुर मधुर मेरे दीप जल कविता का सौंदर्य इन में से किस पर निर्भर करता है ?
             (क ) शब्दों की आवृति पर

              (ख) सफल बिंब अंकन पर

उत्तर -: इस कविता में सौंदर्य दोनों पर निर्भर है। पुनरुक्ति रूप में शब्द का प्रयोग है – मधुर मधुर, युग युग, गल गल,पुलक पुलक, सिहर सिहर, विहँस विहँस आदि कविता को लयबद्ध बनाते हुए प्रभावी बना रहे हैं। दूसरी ओर  बिम्ब योजना भी सफल है – विश्व शलभ सिर धुन कहता, मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन जैसे बिम्ब हैं।

प्रश्न 5 -: कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही है?

उत्तर -: कवयित्री अपने प्रियतम अर्थात ईश्वर का पथ आलोकित करना चाह रही है।

प्रश्न 6 -: कवयित्री को आकाश में तारे स्नेहहीन से क्यों  प्रतीत हो रहें हैं ?

उत्तर -: कवयित्री को आकाश में तारे स्नेहहीन से प्रतीत हो रहे है क्योंकि उनमे प्रकाश तो है परन्तु वे दूसरों को प्रकाशित नहीं कर पा रहे हैं।

प्रश्न 7 -: पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है ?

उत्तर -: पतंगा पछ्ता कर अपना क्षोभ व्यक्त कर रहा है। वह सोचता है कि वह उस दीपक के साथ ही क्यों नहीं जल गया क्योकि पतंगा दीपक के साथ जल कर ज्ञान रूपी प्रकाश फैलाना चाहता था।

प्रश्न 8 -: मधुर मधुर ,पुलक पुलक ,सिहर सिहर और विहँस विहँस कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग अलग तरह से जलने को क्यों कहा है ?स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -: कवयित्री अपने मन रूपी दीपक को मधुरता , कंपन , रोमांच और ख़ुशी हर परिस्थिति में जलने के लिए कहा है ताकि हर परिस्थिति में कवयित्री अपने आराध्य अर्थात ईश्वर के मार्ग को प्रकाशमान बनाये रखे।

प्रश्न 9 -: निचे दी गई काव्य – पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए -:
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
             जलमय सागर का उर जलता,
             विद्युत ले घिरता है बादल।
विहँस विहँस मेरे दीपक जल।
(क ) स्नेहहीन दीपक से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर -: स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य उन व्यक्तिओं से है जो दूसरों के लिए कुछ भी नहीं कर सकते।

(ख ) सागर को जलमय कहने से क्या अभिप्राय है और उसका ह्रदय क्यों जलता है ?

उत्तर -: सागर के पास भरपूर पानी होने के बाद भी वह पानी किसी काम नहीं आता लेकिन बादल के पास जितना भी पानी होता है वो संसार पर बरसा देता है यह देख कर   सागर का हृदय जलता है।

(ग ) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है ?

उत्तर -: बादलों में जल भरा होता है वो इस जल को संसार पर बरसा कर संसार को हरा भरा करते हैं और बिजली की चमक से संसार को प्रकाशमान करते हैं अतः बादल का स्वभाव परोपकारी कहा गया है।

(घ ) कवयित्री दीपक को विहँस विहँस कर जलने को क्यों कह रही है ?

उत्तर -: कवयित्री दीपक को सबकी भलाई करते हुए जलने को इसलिए कहती है क्योंकि उसने देखा है कि सागर भरपूर पानी के बाद भी किसी की प्यास नहीं भुजा सकता और बादल थोड़े से पानी से सबको खुश कर देता है तो कवयित्री भी चाहती है की वो सागर ना बन कर बादल बने और सबकी भलाई करे।

प्रश्न 10 -: क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं ,उनमे आपको कुछ समानता या अंतर प्रतीत होता है ? अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर -: महादेवी वर्मा ने ईश्वर को निराकार ब्रम्ह माना है और उसी को अपना अराध्य भी मानती हैं। सबकुछ समर्पित करने की इच्छा भी की है परन्तु उसके स्वरूप का वर्णन नहीं किया है। मीरा कृष्ण को अपना प्रियतम मानती है और उनकी सेविका बनना चाहती हैं। उनके स्वरूप और सौन्दर्य की रचना भी की है। इन दोनों में बस इतना ही फर्क है कि महादेवी अपने अराध्य को निर्गुण मानती है और मीरा अपने प्रियतम की सगुण उपासक है।

(ख ) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –

(1)-: दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
    तेरे जीवन का अणु गल गल
उत्तर -: कवयित्री का मानना है की मेरे आस्था के दीपक तू जल जल कर अपने जीवन के एक – एक कण को गला दे और उस प्रकाश को सागर की भांति फैला दे। ताकि दूसरे लोग भी उसका लाभ उठा सकें।

(2)-: युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
    प्रियतम का पथ आलोकित कर।

उत्तर -: कवयित्री का भाव यह है कि आस्था रूपी दीपक जलता रहे और युगों – युगों तक प्रकाश फैलाता रहे ताकि प्रियतम रूपी ईश्वर का मार्ग हमेशा प्रकाशित रहे अर्थात ईश्वर में आस्था बनी रहे।

(3)-: मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन;

उत्तर -: इस पंक्ति में कवयित्री का मानना है कि इस कोमल तन को मोम की तरह पिघलना होगा ताकि प्रियतम तक पहुंचना संभव हो अर्थात ईश्वर प्राप्ति के लिए कठिन साधना करनी पड़ती है।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में ‘दीपक आत्मा का प्रतीक है और ‘प्रियतम परमात्मा का प्रतीक है। कवयित्री अपने आत्मा रूपी दीपक को जलाकर अपने आराध्य देव अर्थात् प्रियतम परमात्मा तक जाने के मार्ग को प्रशस्त करना चाहती है। यह आत्मा को दीपक कवयित्री की आस्था का दीपक है।

प्रश्न 2.
दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों ?
उत्तर-
दीपक से निरंतर जलते रहने का आग्रह किया जा रहा है। दीपक स्वयं जलता है परंतु दूसरों का मार्ग प्रकाशित कर देता है। वह त्याग और परोपकार का संदेश देता है। दीपक से हर परिस्थिति में चाहे आँधी हो या तूफ़ान, यहाँ तक अपने अस्तित्व को मिटाकर भी जलने का आह्वान किया जा रहा है। कवयित्री के लिए प्रभु ही सर्वस्व है। इसलिए वह अपने हृदय में प्रभु के प्रति आस्था और भक्ति का भाव जगाए रखना चाहती है। – मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!

प्रश्न 3.
‘विश्व-शलभ’ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?
उत्तर-
जिस प्रकार पतंगा दीपक पर मोहित होकर अपने आप को रोक नहीं पाता और राख हो जाता है, उसी प्रकार संपूर्ण विश्व अर्थात् मनुष्य मात्र अपने जीवन को विषय-विकारों, लोभ, मोह तथा धन संग्रह के आकर्षण और आसक्ति में हँसकर जल जाना चाहता है।

प्रश्न 4.
आपकी दृष्टि में ‘मधुर मधुर मेरे दीपक जल’ कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है-
(क) शब्दों की आवृत्ति पर।
(ख) सफल बिंब अंकन पर।
उत्तर-
इस कविता की सुंदरता इन दोनों में से किसी एक पर निर्भर नहीं है न ही दोनों में से किसी एक की विशेषताओं पर। किसी भी कविता की सुंदरता अनेक कारकों पर निर्भर होता है। इस कविता में इन दोनों विशेषताओं का कुछ-न-कुछ योगदान अवश्य है।
(क) शब्दों की आवृत्ति-कविता में अनेक शब्दों की आवृत्ति हुई है

– मधुर मधुर मेरे दीपक जल।
– युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल
– पुलक-पुलक मेरे दीपक जल।
– सिहर-सिहर मेरे दीपक जल।

इनसे प्रभु-भक्ति का भाव तीव्र हुआ है। उसमें और अधिक प्रसन्नता, उत्साह और उमंग से निरंतर जलते रहने का भाव प्रकट हुआ है।

(ख) सफल बिंब अंकन-इस कविता में बिंबों को सफल अंकन हुआ है, जैसे

सौरभ फैला विपुल धूप बन,
मृदुल मोम-सा धुल रे मृदु तन।

इसमें कवयित्री की भावनात्मक कोमलता प्रकट हुई है। दोनों विवेचन से स्पष्ट हो जाता है कि दोनों ही कारण कविता को सुंदर व प्रभावी बनाने में सक्षम हैं। शब्दों की आवृत्ति से कविता में संगीतात्मकता आ गई है। और बिंबों का अंकन भावबोध में सहायक सिद्ध हुआ है।

प्रश्न 5.
कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही है?
उत्तर
कवयित्री अपने परमात्मा रूपी प्रियतम का पथ आलोकित करना चाह रही हैं ताकि परमात्मा तक पहुँच सकें। यदि वहाँ तक पहुँचने का मन रूपी मार्ग अंधकार से पूर्ण है, तो उनकी यह चाह पूरी नहीं हो सकती। इस अंधकार को मिटाना परम आवश्यक है। अतः वे अपने परमात्मा रूपी प्रियतम का पथ आलोकित करना चाह रही हैं।

प्रश्न 6.
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?
उत्तर-
आकाश में असंख्य, अनगिनत तारे होते हैं परंतु वह संसार भर में प्रकाश नहीं फैलाते। प्रकाश तो सूर्य की किरणों में ही होता है। कितने ही स्नेहहीन दीपक हैं जो प्रकाश नहीं देते अर्थात कितने ही मनुष्यों के हृदय में दया, प्रेम, करुणा, ममता आदि भाव नहीं होते। कवयित्री को संसार के प्राणियों में प्रभु-भक्ति का अभाव प्रतीत होता है। इसी भाव को व्यक्त करने के लिए वह प्रतीकों का सहारा लेती हैं। उनके लिए नभ’ है-संसार, ‘तारे हैं लोग, ‘स्नेह’ है-भक्ति का भाव । अतः वह संसार को भक्ति शून्य बताने के लिए आकाश के तारों को स्नेहहीन कह रही हैं।

प्रश्न 7.
पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?
उत्तर-
पतंगा पश्चाताप करते हुए क्षोभ व्यक्त कर रहा है कि वह दीपक की लौ में आत्मसातू क्यों नहीं हुआ? पतंगा दीपक से बहुत प्यार करता है इसलिए उसकी लौ पर मर-मिटना चाहता है, लेकिन जब वह ऐसा करने में असफल होता है, तो वह पछतावा करते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त करता है। इसका भाव यह है कि विश्व के प्रेमी जन भी परमात्मा रूपी लौ में जलकर अपना अस्तित्व विलीन करना चाहते हैं।

प्रश्न 8.
कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से ‘मधुर मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस’ जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कवयित्री ने अपने आस्था रूपी दीपक को हर बार अलग-अलग ढंग से जलने के लिए कहा है। कभी मधुर-मधुर, कभी पुलक-पुलक और कभी विहँस-विहँस खुशी को व्यक्त करने के लिए कहती है। ‘मधुर-मधुर’ में मौन मुस्कान है। ‘पुलक-पुलक’ में हँसी की उमंग है। कवयित्री चाहती है कि उसकी भक्ति भावना में प्रसन्नता बनी रहे। चाहे कैसी भी स्थिति क्यों न हो आस्था रूपी आध्यात्मिक दीपक सदैव जलता रहे और परमात्मा का मार्ग प्रशस्त करे।। कवयित्री के अनुसार परमात्मा को पाने के लिए भक्त को अनेक अवस्थाओं को पार कर भिन्न-भिन्न भावों को अपनाना पड़ता है। उसे आस्था रूपी दीपक प्रज्वलित रखना पड़ता है।

प्रश्न 9.
नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल !
विहँस विहँस मेरे दीपक जल !

  1. ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है?
  2. सागर को ‘जलमय’ कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?
  3. बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?
  4. कवयित्री दीपक को ‘विहँस विहँस’ जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

उत्तर-

  1. स्नेहहीन दीपक नभ के तारों को कहा है, जिसका तात्पर्य है कि आकाश में अनगिनत चमकने वाले तारे स्नेहहीन से प्रतीत होते हैं, क्योंकि ये सभी प्रकृतिवश, यंत्रवत् होकर अपना कर्तव्य निभाते हैं। इनमें कोई प्रेम नहीं है तथा परोपकार का कोई भाव नहीं है अर्थात् ये ईश्वर के प्रेम से हीन हैं। इनमें ईश्वर के लिए तड़प नहीं है।
  2. सागर को ‘जलमय’ कहने का तात्पर्य है कि वह सदा जल से भरा रहता है। उसका हृदय इसलिए जलता है, क्योंकि वह प्रचंड गरमी में तपता है, जलता है और वाष्प बनकर, बादल बनकर बरसता है अर्थात् उसके हृदय में सदा हलचल होती रहती है।
  3. बादलों की यह विशेषता बताई गई है कि इनमें जल के साथ अनंत मात्रा में बिजली और प्रकाश भी भरा हुआ है।
  4. कवयित्री ने दीपक को विहँस-विहँसकर जलने के लिए इसलिए कहा है ताकि ईश्वर का पथ आलोकित हो और प्रत्येक प्राणी इसपर चल पड़े।

प्रश्न 10.
क्या मीराबाई और अधिनिक भीरा’ महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युविक तयाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अंतर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर-

    1. मीरा अपने आराध्य देव से मिलने के लिए उनकी दासी बनना चाहती हैं। वे चाहती हैं कि कृष्ण आएँ और उनके क्लेशों को हरें। मीरा अपने आराध्य के दर्शनों की प्यासी हैं। महादेवी वर्मा भी अपने आराध्य की प्रतीक्षा में अपने आस्था रूपी दीपक को जलाकर उनके पथ को आलोकित करती हैं। मीरा अपने आपको इस अखंड-अनंत में विलीन कर देना चाहती हैं।
    2. मीराबाई ने सहज एवं सरल भावों को जनभाषा के माध्यम से प्रस्तुत किया है जबकि महादेवी ने विभिन्न प्रकार के बिंबों का प्रयोग किया है।
  1. मीरा का प्रियतम इस लोक का प्राणी, सगुण एवं साकार रूप में हमारे समक्ष उपस्थित होता है जबकि महादेवी का प्रियतम इस लोक का प्राणी नहीं हैं जो प्राप्त किया जा सके।

(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1.
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु ल गल !
उत्तर-
वयित्री कहती हैं-हे मेरे मन रूपी दीपक! तू पूरी तरह से समर्पित होकर चारों ओर प्रेरणा का स्रोत बनकर असीमित प्रकाश फैला। तू अपना सर्वस्व न्योछावर कर स्वेच्छा से रोमांचित होकर खुशी से परोपकार हेतु दूसरों का पथ आलोकित कर।

प्रश्न 2.
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षा प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर !
उत्तर-
कवयित्री हृदये के आस्थारूपी दीपक को प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिपल जलने को कहती है, अर्थात् जिस प्रकार दीपक प्रत्येक क्षण, प्रत्येक पल जलता हुआ जीवन का पथ आलोकित करता हुआ चलता है, उसी प्रकार आराध्य देव को पथ-आलोकित करता हुआ तथा अपने अंतर में व्याप्त अंधकार को नष्ट करता हुआ चल। कवयित्री का प्रियतम संसारी मानव न होकर अज्ञान व रहस्यमयी है।

प्रश्न 3.
मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन !
उत्तर-
कवयित्री कहती हैं कि हे मन रूपी दीपक! तू मोम की तरह पूरी तरह से गलकर अर्थात् पूर्ण रूप से समर्पित होकर, स्वेच्छा से रोमांचित होकर चारों ओर अपना प्रकाश फैला। जिस तरह मोम जल-जलकर दूसरों को प्रकाश प्रदान करता है, ठीक उसी तरह कवयित्री भी अपनी ईश्वरीय भक्ति द्वारा सभी को ईश्वर की भक्ति का पथ दिखाना चाहती हैं।

भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
कविता में जब एक शब्द बार-बार आता है और वह योजक चिह्न द्वारा जुड़ा होता है, तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है; जैसे-पुलक-पुलक। इसी प्रकार के कुछ और शब्द खोजिए जिनमें यह अलंकार हो।
उत्तर-
पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार वाले कविता में आए अन्य शब्द-मधुर-मधुर, युग-युग, गल-गल, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस।

योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
इस कविता में जो भाव आए हैं, उन्हीं भावों पर आधारित कवयित्री द्वारा रचित कुछ अन्य कविताओं का अध्ययन करें; जैसे-
(क) मैं नीर भरी दुख की बदली
(ख) जो तुम आ जाते एकबार
ये सभी कविताएँ ‘सन्धिनी’ में संकलित हैं।
उत्तर-
(क) “मैं नीर भरी दुख की बदली’ कविता पुस्तकालय से प्राप्त कर छात्र स्वयं पढ़ें।
(ख) जो तुम आ जाते एक बार।
कितनी करुणा कितने संदेश।
पथ में बिछ जाते बन पराग,
गाता प्राणों का तार-तार।
अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पद पखार।

हँस उठते पल में आर्द्र नयन,
धुल जाता ओठों से विषाद,
छा जाता जीवन में वसंत,
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखें देती सर्वस्व वार।
जो तुम आ जाते एक बार।

प्रश्न 2.
इस कविता को कंठस्थ करें तथा कक्षा में संगीतमय प्रस्तुति करें।
उत्तर-
छात्र कविताओं को कंठस्थ कर उनका गायन स्वयं करें।

प्रश्न 3.
महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा कहा जाता है। इस विषय पर जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
भक्तिकालीन कवयित्री मीरा के पदों एवं गीतों में अपने आराध्य श्रीकृष्ण से न मिल पाने की जो पीड़ा है और उनसे मिलने के तरह-तरह के प्रयास किए गए हैं, उनके रूप-सौंदर्य पर मोहित होकर उनकी अनन्य भक्ति करते हुए उनकी चाकरी करने, नौकरानी बनने और दासी बनने तक के विभिन्न उपाय किए गए हैं। उसी प्रकार महादेवी वर्मा भी अपने आराध्य प्रभु से मिलने के लिए उनकी भक्ति करती हैं और आस्था का दीप जलाए रखना चाहती हैं। महादेवी के गीतों में भी अपने प्रियतम से न मिल पाने की पीड़ा स्पष्ट रूप से महसूस की जा सकती है। अतः महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा कहना पूर्णतया उपयुक्त है।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवयित्री अपने प्रियतम का पथ किस प्रकार आलोकित करना चाहती है?
उत्तर-
कवयित्री अपने प्रियतम से आध्यात्मिक लगाव, श्रद्धा एवं आस्था रखती है। इसी आस्था का दीप वह हर-पल, हर क्षण, हर दिन जलाए रखना चाहती है। इसी आस्था रूपी दीप के प्रकाश के सहारे वह अपने प्रभु तक पहुँचना चाहती है। इस तरह वह अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती है।

प्रश्न 2.
कवयित्री आस्था का दीप किस तरह जलने की अभिलाषा करती है?
उत्तर-
कवयित्री की अभिलाषा है कि उसकी आस्था का दीप जलकर अपना सौरभ उसी तरह चारों ओर बिखरा दे जिस तरह सूर्य की किरणें चारों ओर भरपूर प्रकाश फैला जाती हैं। आस्था का यह दीप जलकर चारों ओर अपरिमित उजाला फैला दे, भले ही उसके लिए अपना एक-एक अणु गला देना पड़े अर्थात् वह अपना अस्तित्व नष्ट कर दे।

प्रश्न 3.
विश्व के शीतल-कोमल प्राणी क्या भोग रहे हैं और क्यों ?
उत्तर-
विश्व के शीतल और कोमल प्राणी अर्थात् जिनकी आस्था प्रभु के चरणों में नहीं है वे प्रकाश पुंज परमात्मा से आस्था एवं भक्ति की चिनगारी माँग रहे हैं ताकि वे भी आस्था का दीप जलाकर अपना जीवन प्रकाशमय कर सकें। वे भी प्रभु के प्रति आस्थावान बन सकें।

प्रश्न 4.
विश्व-शलभ को किस बात का दुख है?
उत्तर-
विश्व-शलभ को इस बात का दुख है कि क्यों प्रभु के चरणों में अपनी आस्था और श्रद्धी पैदा नहीं कर पाया। वह परमात्मा के ज्योतिपुंज में अपना अहंकार, मोह और अज्ञानता क्यों नहीं जला पाया। यदि वह परमात्मा से एकाकार होकर इनका शमन कर लेता तो उसे भी प्रभु का सान्निध्य प्राप्त हो जाता।

प्रश्न 5.
कवयित्री ने ‘जलमय सागर’ किसे कहा है? उसका हृदय क्यों जलता है?
उत्तर-
कवयित्री ने जलमय सागर उन प्राणियों को कहा है जिनका मन रूपी सागर ईर्ष्या, तृष्णा, मोह आदि की सांसारिकता से लबालब भरा हुआ है और आध्यात्मिक आस्था का अभाव है। इसके अभाव में मन इधर-उधर भटकता हुआ सांसारिकता में डूबा रहता है। आस्थाहीन प्राणियों का मन ई और तृष्णा की आग में जलता रहता है।

प्रश्न 6.
कवयित्री अपने जीवन का अणु-अणु गलाकर क्या सिद्ध करना चाहती है?
उत्तर-
कवयित्री अपने प्रियतम के प्रति पूरी तरह समर्पित है। इसके लिए वह अपना अहम भाव पूरी तरह समाप्त करने के लिए इस अहम का एक-एक अणु गला देना चाहती है। इसके द्वारा वह यह सिद्ध करना चाहती है कि अपने प्रियतम (परमेश्वर) के प्रति उसका समर्पण अनन्य है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।’ कविता के आधार पर कवयित्री की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।’ कविता में कवयित्री की आध्यात्मिकता का वर्णन है। वह अपने प्रभु के चरणों में आस्था का दीपक जलाती है और अनवरत जलाए रखना चाहती है। वह इस दीपक से कभी मधुर भाव से जलने के लिए कहती है तो कभी पुलक-पुलककर और कभी विहँस-विहँस कर। वह अपने दीपक की लौ में अपने अहम् को जलाकर अपने आराध्य के प्रति पूर्ण समर्पण, प्रकट करती है। संसार के लोग सांसारिक सुखों में डूबकर ईष्र्या और तृष्णा के कारण जल रहे हैं। कवयित्री चाहती हैं कि वे भी प्रकाश पुंज से चिनगारी लेकर भक्ति की लौ जलाएँ। वह अपने प्रियतम का पथ आलोकित करने के लिए आस्था का दीपक सदा-सदा के लिए जलाकर भक्ति भावना से सारा संसार महकाना चाहती है।

प्रश्न 2.
‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल’ के आधार पर विश्व-शलभ की स्थिति स्पष्ट कीजिए। ऐसे लोगों के प्रति कवयित्री की क्या सोच है?
उत्तर-
‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल’ कविता से ज्ञात होता है कि विश्व रूपी पतंगा अपनी स्थिति पर पछताता है। वह दुख प्रकट करते हुए कहता है कि वह उस प्रभु भक्ति की आस्था रूपी दीपक की ज्वाला से एकाकार न हो सका। वह इस ज्वाला में अपना अहंकार न जला पाने से अब भी अहंकार, ईर्ष्या, अंधकार, मोह, तृष्णा आदि में डूबा हुआ कष्ट भोग रहा है। आस्था एवं आध्यात्मिकता के अभाव में वह प्रभु भक्ति से दूर रह गया और न भक्ति का आनंद उठा सका और न प्रभु का सान्निध्य प्राप्त कर सका। ऐसे लोगों के बारे में कवयित्री सोचती है कि उन्हें भी प्रकाशपुंज से चिनगारी प्राप्त कर अपनी आस्था का दीप जला लेना चाहिए।

पूर्व वर्षों के प्रश्नोत्तर
2016
अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 1.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 1
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 1a

लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 2.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 2
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 2a

Question 3.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 3
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 3a

दीर्घ उत्तरी प्रश्न

Question 4.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 4
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 4a

अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 5.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 5
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 5a

लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 6.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 6
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 6a

2014
लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 7.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 7
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 1a

Question 8.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 8
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 8a

2013
काव्यांश पर आधारित प्रश्न

Question 9.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 9
Answer:

Question 10.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 10
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 10a

काव्यांश पर आधारित प्रश्न

Question 11.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 11
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 11a
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 11b

2013
लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 12.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 12
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 12a

Question 13.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 13
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 13a

Question 14.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 14
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 14a

Question 15.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 15
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 15a

2012
अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 16.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 16
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 16a

लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 17.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 17
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 17a

Question 18.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 18
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 18a

काव्यांश पर आधारित प्रश्न

Question 19.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 19
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 19a
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 19b

अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 20.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 20
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 6

लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 21.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 21
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 21a

2010
लघुत्तरात्मक प्रश्न

Question 22.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 22
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 22a

Question 23.
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 23
Answer:
Chapter Wise Important Questions CBSE Class 10 Hindi B - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 12a

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